केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah पर कांग्रेस नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों ने एक बार फिर से राजनीतिक हलकों में तूफान मचा दिया है. अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाया गया है. अगर यह कहा जाए कि उन्होंने सीधेसीधे संविधान निर्माता बाबा साहब डाक्टर भीमराव अंबेडकर का अपमान किया है, तो गलत नहीं होगा और जिस तरह से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा है कि अमित शाह को गृह मंत्री पद से हटाया जाए, तो यह भी गलत नहीं है.
दूसरी तरफ गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि कांग्रेस ने राज्यसभा में बाबा साहब डाक्टर भीमराव अंबेडकर पर दिए गए उन के बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया है, जिस से समाज में भ्रांति फैलाई जा सके.
इस मामले में सब से बड़ा सवाल यह है कि क्या अमित शाह ने या फिर कांग्रेस ने वास्तव में डाक्टर अंबेडकर का अपमान किया है? क्या कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठा कर भाजपा को घेरने की कोशिश की है?
इन सवालों के जवाब ढूंढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि इस मामले में दोनों पक्षों के दावे और आरोप क्या हैं. एक ओर, अमित शाह ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने डाक्टर अंबेडकर का अपमान किया है और उन के बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया है, तो दूसरी ओर कांग्रेस ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि भाजपा ने इस मुद्दे को उठा कर उन्हें घेरने की कोशिश की है.
इस मामले में सब से बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस ने वास्तव में डाक्टर अंबेडकर का अपमान किया है? इस का जवाब ढूंढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि डाक्टर भीमराव अंबेडकर के विचार और देश के लिए उन का योगदान क्या है.
बाबा साहब डाक्टर भीमराव अंबेडकर एक महान समाजसुधारक और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसलिए उन का अपमान करना न केवल उन के विचारों और योगदान का अपमान करना है, बल्कि यह भारतीय संविधान और लोकतंत्र का भी अपमान है. लिहाजा, यह जरूरी है कि हम डाक्टर अंबेडकर के विचारों और योगदान का सम्मान करें और उन के अपमान के खिलाफ आवाज उठाएं.
इस मामले में एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि क्या भाजपा ने इस मुद्दे को उठा कर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की है? इस का जवाब ढूंढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच क्या राजनीतिक मतभेद हैं.
भाजपा और कांग्रेस के बीच सब से बड़ा मतभेद यह है कि भाजपा एक राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी पार्टी है, जबकि कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी पार्टी है, इसलिए भाजपा और कांग्रेस के बीच अकसर राजनीतिक मतभेद होते रहते हैं.
लिहाजा, यह जरूरी है कि हम भाजपा और कांग्रेस के बीच के राजनीतिक मतभेदों को समझें और उन के बीच के विवादों को शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से हल करने की कोशिश करें.
इस मामले में एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि क्या हमारे देश में राजनीतिक दलों के बीच के विवादों को शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से हल करने की कोशिश की जा रही है? इस का जवाब ढूंढ़ने से पहले हमें यह समझना होगा कि हमारे देश में राजनीतिक दलों के बीच के विवादों को हल करने के लिए क्या तरीके अपनाए जा सकते हैं.
हमारे देश में राजनीतिक दलों के बीच विवादों को हल करने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं. सब से पहले हमें यह समझना होगा कि राजनीतिक दलों के बीच के विवादों को हल करने के लिए संवाद और समझौता करना बहुत महत्त्वपूर्ण है. इस के अलावा हमें यह भी समझना होगा कि राजनीतिक दलों के बीच के विवादों को हल करने के लिए न्यायपालिका की भूमिका भी बहुत महत्त्वपूर्ण है, इसलिए यह जरूरी है कि हम राजनीतिक दलों के बीच के विवादों को हल करने के लिए संवाद, समझौता और न्यायपालिका की भूमिका को समझें और उन का सम्मान करें.
इस के अलावा हमें यह भी समझना होगा कि हमारे देश में राजनीतिक दलों के बीच के विवादों को हल करने के लिए एकदूसरे के प्रति सहानुभूति और समझ रखनी होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह का साथ दिया है. दरअसल, सच यह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डाक्टर भीमराव अंबेडकर के बारे में एक बयान दिया था, जिस पर विवाद हुआ था.
अमित शाह ने कहा था कि अब अंबेडकर का नाम लेना एक फैशन हो गया है. अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.
इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने अमित शाह की आलोचना की और उन्हें अपना बयान वापस लेने के लिए कहा.