खिलाड़ी के बहाने दिमाग का मवाद निकालते सिरफिरे

कितने दुख की बात है कि हम  भारतीय देशहित से जुड़े गंभीर मुद्दों पर गूंगे हो जाते हैं और जिन बातों का कोई मतलब नहीं होता है, उन पर चीखचीख कर अपना ही गला खरोंच लेते हैं. साथ ही, जो बलि का बकरा बनता है, उस की जिंदगी को जहन्नुम कर देते हैं. इस सब से यह भी पता चल जाता है कि सोशल मीडिया कितने गहरे गड्ढे में जा रहा है और लोग भेड़ की तरह सिर झुकाए गिरे जा रहे हैं इस दलदल में.

ऐसा ही कुछ क्रिकेटर अर्शदीप सिंह के साथ हुआ है. दरअसल, रविवार, 4 सितंबर, 2022 को एशिया कप में पाकिस्तान के साथ हुए एक रोमांचक क्रिकेट मुकाबले में भारत आखिरी ओवर में हार गया था.

इस हार से कुछ समय पहले नौजवान गेंदबाज अर्शदीप सिंह ने एक आसान सा ‘लड्डू’ कैच टपका दिया था. फिर क्या था, सोशल मीडिया की बेहया ‘ट्रोल सेना’ ने उन्हें बुराभला तो कहा ही, साथ ही ‘खालिस्तानी’ और ‘गद्दार’ तक

बता दिया.

हुआ कुछ यों कि स्पिन गेंदबाज रवि बिश्नोई पारी का 18वां ओवर कर रहे थे. उन की तीसरी गेंद पर आसिफ अली ने स्लौग स्वीप शौट खेलना चाहा, लेकिन गेंद उन के बल्ले के ऊपरी हिस्से पर लग कर शौर्ट थर्डमैन की दिशा में चली गई. यह कैच पकड़ कर पाकिस्तान पर दबाव बनाने का बेहतरीन मौका था, पर वहां मौजूद अर्शदीप सिंह ने आसान सा कैच टपका दिया.

नतीजतन, भारत यह मैच हार गया और ‘ट्रोल सेना’ ने अर्शदीप सिंह को निशाने पर ले लिया. उन्होंने सोशल मीडिया पर अर्शदीप सिंह के खिलाफ जम कर भड़ास निकाली. कुछ यूजर्स ने ट्विटर पर प्रपोगेंडा शुरू करते हुए उन्हें ‘खालिस्तानी’ करार दिया.

कुछ ट्विटर अकाउंट्स ने अर्शदीप सिंह के खिलाफ बेहद खराब शब्दों का इस्तेमाल किया, जिस में पाकिस्तानी पत्रकार डब्ल्यूएस खान भी शामिल रहे. उन्होंने कहा, ‘अर्शदीप साफतौर पर पाकिस्तान समर्थित खालिस्तान आंदोलन का हिस्सा हैं.’

इतना ही नहीं, अर्शदीप सिंह को कोसने के चक्कर में कई फर्जी अकाउंट्स भी तैयार किए गए, ताकि लगे कि अर्शदीप सिंह के कैच छोड़ने के बाद भारतीयों ने सिख होने की वजह से उन की बुराई की.

एक सिरफिरे ने तो हद ही कर दी. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिस में अर्शदीप सिंह होटल से टीम बस की तरफ जा रहे थे. उसी

दौरान एक शख्स ने उन्हें ‘गद्दार’ कह कर बुलाया और कैच छोड़ने को ले

कर कोसा.

अर्शदीप सिंह ने बस में खड़े हो कर उस आदमी को थोड़ी देर घूरा और फिर आगे बढ़ गए. हालांकि, टीम बस के पास मौजूद स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट विमल कुमार ने ‘गद्दार’ कहने वाले उस शख्स को खूब खरीखोटी सुनाई थी.

इस पूरे मामले में अर्शदीप सिंह की मां दलजीत कौर को भी अपने दिल की बात कहनी पड़ी. उन्होंने कहा, ‘‘किसी से भी गलती हो जाती है. लोगों का काम है कहना, कहने दो, कोई बात नहीं. लोग अगर खिलाड़ी को बोल रहे हैं तो यानी उस से प्यार भी करते हैं. इस सब को हम पौजिटिव ले रहे हैं.’’

पर दलजीत कौर जो बात कह रही हैं, क्या वह सौ फीसदी सच है? क्या यह ‘ट्रोल सेना’ सिर्फ इसीलिए अर्शदीप सिंह को ट्रोल कर रही थी, क्योंकि वह उन्हें चाहती है? ऐसी चाहत का क्या फायदा कि आप सामने वाले की एक गलती पर उसे ‘खालिस्तानी’ और ‘गद्दार’ करार दे दें?

यह तो अच्छा है कि अर्शदीप सिंह पर कोई हमला नहीं हुआ वरना उन का हाल उन खिलाडि़यों जैसा हो सकता था, जिन की एक गलती उन की जिंदगी पर ही भारी पड़ गई थी.

जी हां, हम बात कर रहे हैं कोलंबियाई फुटबाल खिलाड़ी और कप्तान आंद्रे एस्कोबार की. कोलंबिया की फुटबाल टीम ने साल 1994 में अमेरिका में हुए फीफा वर्ल्ड कप में आंद्रे एस्कोबार की कप्तानी में हिस्सा लिया था. ब्राजील के महान फुटबालर पेले ने तब भविष्यवाणी की थी कि कोलंबियाई टीम कम से कम वर्ल्ड कप के सैमीफाइनल मुकाबले तक जरूर पहुंचेगी.

इस की वजह यह थी कि क्वालिफाइंग राउंड में कोलंबियाई टीम ने अपने सभी 6 मुकाबले जीते थे

और आगे भी बेहतर करने की पूरी उम्मीद थी.

फीफा वर्ल्ड कप 1994 में कोलंबिया को ग्रुप-ए में मेजबान संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और रोमानिया के साथ रखा गया था. वह अपना पहला मुकाबला कैलिफोर्निया के रोज बाउल स्टेडियम में रोमानिया के खिलाफ खेलने उतरी थी, पर  रोमानिया ने उसे 3-1 के अंतर से हरा दिया था.

22 जून, 1994 को रोज बाउल मैदान पर ही अमेरिका और कोलंबिया की टीम आमनेसामने थीं. अगले राउंड में जाने के लिए कोलंबिया की टीम पर यह मैच जीतने का बेहद दबाव था.

मैच के 35वें मिनट में अमेरिका के मिडफील्डर जौन हौर्क्स गेंद को बाएं ओर से ले कर कोलंबियाई गोल पोस्ट की तरफ बढ़ने लगे. इस बीच उन्होंने दाएं छोर पर मौजूद अपने साथी खिलाड़ी एर्ने स्टीवर्ट को पास दिया, लेकिन जब तक गेंद एर्ने स्टीवर्ट के पास पहुंचती, उस से पहले ही कोलंबियाई कप्तान आंद्रे एस्कोबार के पैर से लग कर उन के ही गोल पोस्ट में जा घुसी.

इस ‘आत्मघाती गोल’ की आंद्रे एस्कोबार को बड़ी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. फीफा वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद जब वे अपने देश में एक दिन सुबह के तकरीबन 3 बजे पार्किंग में अपनी कार में अकेले बैठे थे, तभी

3 लोग वहां आए और उन्हें कोलंबियाई टीम के वर्ल्ड कप से बाहर होने का जिम्मेदार ठहराने लगे. इस बात पर आंद्रे एस्कोबार की उन से बहस होने लगी.

इस बीच 2 लोगों ने आंद्रे एस्कोबार पर 6 राउंड फायर कर दिए. हर एक फायर पर तीनों हमलावर ‘गोलगोल’ चिल्ला रहे थे. इस घटना के 45 मिनट बाद आंद्रे एस्कोबार की अस्पताल में मौत हो गई.

इसी तरह साल 1982 में भारत और पाकिस्तान के बीच एशियन गेम्स हौकी का फाइनल मुकाबला चल रहा था. स्टेडियम खचाखच भरा हुआ था. इस मैच को देखने के लिए तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, उन के बेटे राजीव गांधी, फिल्म कलाकार अमिताभ बच्चन जैसे बड़े लोग आए थे. भारत को अपनी जीत पर भरोसा था, पर पाकिस्तान ने उसे एकतरफा फाइनल मुकाबले में 7-1 से मात दे दी.

इस मैच में भारत के गोलकीपर मीर सिंह नेगी थे, जिन की कुछ तसवीरें पाकिस्तानी खिलाडि़यों के साथ मीडिया में आई थीं. इस के बाद कुछ लोगों ने उन पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने हर गोल के लिए एक लाख रुपए लिए थे, जबकि मीर सिंह नेगी ने अपनी सफाई में कहा था कि वे तसवीरें एशियन गेम्स की ओपनिंग सैरेमनी की थीं, जो किसी पत्रकार ने खींची थीं.

ज्यादा पीछे क्यों जाते हैं. क्रिकेट के इसी एशिया कप मुकाबले में जब बुधवार, 7 सितंबर, 2022 को पाकिस्तान और अफगानिस्तान का मुकाबला था, तब पाकिस्तान की पारी के आखिरी ओवर में पहली ही 2 गेंदों पर छक्के खा कर अफगानिस्तान की टीम बाहर हो गई, तो अफगान और पाकिस्तानी क्रिकेट फैंस आपस में लड़ पड़े थे.

स्टेडियम में ही फैंस द्वारा कुरसियां तोड़ना शुरू हो गया था. खबरों के मुताबिक, स्टेडियम के बाहर पाकिस्तानी फैंस ने अफगानी फैंस पर हमला किया. जवाब में अफगानी फैंस ने पाकिस्तानी फैंस को खूब पीटा.

ऐसा क्यों होता है कि दर्शक और खिलाड़ी खेल में अपनी हारजीत को ले कर इतने ज्यादा उग्र हो जाते हैं कि मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं? आंद्रे एस्कोबार ने खुद अपना ही गोल कर दिया था, पर यह कोई इतनी बड़ी गलती नहीं थी कि उन की हत्या ही कर दी गई. मीर सिंह नेगी पर पैसे ले कर गोल खाने का इलजाम लगा दिया गया और अर्शदीप सिंह को ‘गद्दार’ करार दे दिया गया. बिना किसी सुबूत के लोग ऐसा कैसे कर देते हैं कि किसी खिलाड़ी की जिंदगी, साख और कैरियर ही दांव पर लग जाए?

वैसे, इन सब घटनाओं से यह भी साबित हो जाता है कि दुनिया में कहीं भी चले जाएं, आप को ऐसे सिरफिरे मिल जाएंगे, जिन्हें खेल भावना से कोई लेनादेना नहीं होता है. उन्हें तो बस जीत चाहिए होती है और इस जीत में कोई अनजाने में ही रोड़ा बन जाता है, तो उसे अर्शदीप सिंह की तरह ट्रोल करने में देर नहीं लगती है.

पिछले कुछ सालों में ट्रोल करने का यह ट्रैंड बहुत ज्यादा बढ़ा है. सोशल मीडिया इस ‘ट्रोल सेना’ का वह बेलगाम सारथी है, जिसे पता ही नहीं है कि किस दिशा में जाना है. तभी तो हम अपनों को ही नुकसान पहुंचाने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं. यह ट्रैंड बड़ा खतरनाक है, जिस पर समय रहते लगाम लगाना बहुत जरूरी है.

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