दमा बीमारी को इंगलिश में अस्थमा कहा जाता है. इस में तेज खांसी, घरघराहट और मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है. दमा में सांस लेने की नली में सूजन आ जाती है. बलगम पैदा होने लगता है. इस से सांस लेना मुश्किल हो जाता है.
दमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है. इलाज और बचाव से इस को कंट्रोल किया जा सकता है.
दमा अकसर समय के साथ बदलता है. दमा के लक्षण मामूली से गंभीर और हर किसी के लिए अलग हो सकते हैं. मरीज को बारबार दमा के दौरे पड़ सकते हैं. कई बार किसी एक निश्चित समय पर ही दमा के लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे कि कसरत करते समय यह तकलीफ ज्यादा दिखती है.
दमा को एक विकलांगता माना जाता है, क्योंकि यह लंबे समय तक शारीरिक दुर्बलता पैदा करता है. यह रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों में बाधा डाल सकता है, जो जिंदगी को और ज्यादा मुश्किल बना सकता है.
दमा में सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होती है. धीरेधीरे होने वाला दर्द तेज दर्द में बदल जाता है. ऐसा महसूस हो सकता है कि छाती पर कोई चट्टान रखी है.
इस बारे में डाक्टर मनोज श्रीवास्तव कहते हैं, “दमा का स्थायी इलाज नहीं है. ऐसे में बचाव और परहेज से ही इस को संभाला जा सकता है. ज्यादा दिक्कत होने पर डाक्टरी दवाओं से राहत मिलती है. मसला सांस से जुड़ा होता है तो लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है. धुआं, धूल और धूम्रपान से बच कर रहिए.”
दमा के लक्षण
दमा के लक्षणों में तेज सांस चलना, सांस फूलना, सीने में जकड़न या दर्द, सांस की तकलीफ, खांसी या घरघराहट के चलते नींद में परेशानी होती है. इस के साथ ही सांस छोड़ते समय सीटी सी बजना या घरघराहट की आवाज आना दमा की वजह मानी जाती है. खांसी या घरघराहट के दौरे सर्दी और बुखार में ज्यादा होने लगते हैं.
कई बार दमा अचानक बहुत परेशान करता है. तत्काल राहत के लिए इनहेलर का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है. दमा से पीड़ित शख्स की जांच के लिए छाती का एक्सरे, सांस की जांच, स्पिरोमैट्री, नाइट्रिक आक्साइड टैस्ट, इमेजिंग टैस्ट और एलर्जी टैस्ट किया जाता है.
दमे का इलाज
सांस की तकलीफ बढ़ाने वाले काम कम करने चाहिए. बीमारी को कम करने या कंट्रोल में रखने की कोशिश करनी चाहिए. दूध और उस से बनी चीजों का इस्तेमाल कम करें. ज्यादातर लोगों में दमा की 60 फीसदी वजह दूध और दूध से बनी चीजें ही होती हैं. केला, कटहल और पकाई हुई चुकंदर न लें.
सरसों का तेल कपूर के साथ मिला कर इस्तेमाल कर सकते है. इस मिश्रण को छाती में हर जगह रगड़ें. तेल को लगाने से पहले गरम कर लें. यह तेजी से राहत देने में मदद करेगा. इस के साथ ही अदरक का इस्तेमाल खाने में या इस का रस चूसने में करें. इस से फायदा होता है.
कौफी में मौजूद कैफीन दमा के इलाज में मदद करता है. खट्टे फलों में विटामिन सी होता है जो सूजन को कम करता है, इसलिए अपने दैनिक आहार में नीबू को शामिल कर सकते हैं. दिन में कम से कम 8 गिलास पानी का सेवन लाभकारी होता है.
सब से जरूरी बात यह है कि माहिर डाक्टर की कही गई हिदायतों को नजरअंदाज मत करें और उस के कहे मुताबिक दवा का सेवन करें.