दिल्ली : मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी, सियासत के फंदे में दिल्ली की आधी सरकार

अरविंद केजरीवाल की मजबूत दिल्ली सरकार में वित्त, योजना, शिक्षा, भूमि और भवन, जागरूकता, सेवा, श्रम, रोजगार, लोक निर्माण विभाग, कला और संस्कृति और भाषाएं, ऊर्जा, आवास, शहरी विकास, जल, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण, इंडस्ट्रीज, आबकारी, स्वास्थ्य के अलावा कई और मंत्रालय संभालने वाले उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था.

मंत्रालयों के लिहाज से दिल्ली की आधी सरकार चलाने वाले मनीष सिसोदिया को शायद इस बात की भनक पहले से ही लग गई थी, तभी तो सीबीआई दफ्तर रवाना होने से पहले उन्होंने दिल्ली वालों के नाम एक चिट्ठी लिखी थी, जिसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शेयर किया था.

इस चिट्ठी में मनीष सिसोदिया ने किसी का नाम लिए बगैर कहा था कि ‘ये लोग आज मुझे गिरफ्तार करने वाले हैं. उन्होंने मुझ पर झूठे आरोप लगाए हैं. मुझे यकीन है कि ये सभी मामले अदालत में खारिज हो जाएंगे, लेकिन इस में कुछ समय लग सकता है. हो सकता है मुझे कुछ समय के लिए जेल में रहना पड़े , लेकिन मैं इसे ले कर बिलकुल भी चिंतित नहीं हूं.’

मनीष सिसोदिया का ‘ये लोग’ कहना एक बड़ा इशारा है कि किस तरह देश की केंद्र सरकार दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कमजोर करने के लिए सरकारी एजेंसियों का सहारा ले रही है और दिल्ली में शिक्षा की बेहतरी को बड़ा आंदोलन बनाने वाले ‘शरीफ उपमुख्यमंत्री’ पर ही बड़ा वार किया है.

दूसरी ओर आबकारी घोटाला मामले में सीबीआई का आरोप था कि मनीष सिसोदिया के कंप्यूटर से कुछ फाइलें डिलीट कर दी गई थीं. इन्हें फौरैंसिक टीम ने रिट्राइव किया. इन में मनीष सिसोदिया के खिलाफ अहम सबूत मिले.

इस मामले में सीबीआई ने 17 अगस्त, 2022 को मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने 6 महीने की जांच और कई ठिकानों पर छापेमारी के बाद मनीष सिसोदिया के खिलाफ यह कार्यवाही की. इस से पहले मनीष सिसोदिया को अक्तूबर, 2022 में भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था.

याद रहे कि सीबीआई ने 17 अगस्त, 2022 को नई आबकारी नीति (2021-22) में धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी के आरोप में मनीष सिसोदिया समेत 15 लोगों पर मामला दर्ज किया था. 19 अगस्त, 2022 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के 3 और सदस्यों के आवास पर छापा मारा था.

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से सीबीआई को क्या मिलेगा या मनीष सिसोदिया का आगे क्या होगा, यह तो देरसवेर पता चल ही जाएगा, पर एक बड़ा सवाल यहां यह उठता है कि अब अरविंद केजरीवाल 33 में से 18 महकमे संभालने वाले मनीष सिसोदिया की भरपाई कैसे करेंगे और कौन ऐसा चेहरा होगा जो दिल्ली की आम आदमी पार्टी को मजबूती देगा?

यह सवाल पूछने की सब से बड़ी वजह यह है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास कोई भी महकमा नहीं है. आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में बंद हैं. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी भी चुन कर ऐसे समय हुई, जब बोर्ड के इम्तिहान शुरू हो गए थे. दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के कामों पर इस गिरफ्तारी का यकीनन असर पड़ेगा.

इतना ही नहीं, पंजाब में जो अलगाववाद का ढिंढोरा पीटा जा रहा है और वहां आम आदमी पार्टी को कमजोर किए जाने की जो कोशिश हो रही है, उसी के साथसाथ राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और साल 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी यह पार्टी जुटी हुई है. पर अब मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी की राह में सियासी दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं.

तो क्या यह समझ लिया जाए कि आगामी चुनावों के मद्देनजर यह केंद्र सरकार द्वारा आम आदमी पार्टी को कमजोर करने की कोई साजिश है? इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के बाद पंजाब में अपनी जीत का परचम लहराया है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है.

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के साथसाथ अकाली दल भी इसी मुगालते में था कि पंजाब के लोग अरविंद केजरीवाल पर भरोसा नहीं करेंगे, पर उन सब दलों ने मुंह की खाई और बेशक आम आदमी पार्टी का कोई सियासी विचार या नीतियां नहीं हैं, फिर भी उस ने एक बार को वह कर के दिखा दिया जो उस ने कहा था.

केंद्रीय एजेंसियों का शिकार बन चुके शिव सेना के तेजतर्रार नेता संजय राउत ने इस मसले पर मनीष सिसोदिया का पक्ष लेते हुए कहा, “सिसोदिया पर हुई कार्यवाही बताती है कि केंद्र सरकार विपक्ष का मुंह बंद कराना चाहती है. हम सिसोदियाजी के साथ हैं. महाराष्ट्र हो, झारखंड हो, दिल्ली हो, केंद्र सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल कर विपक्षी नेताओं को जेल भेज रही है या उन्हें समर्पण करने पर मजबूर कर रही है, चाहे वे सिसोदिया हों, नवाब मलिक हों, अनिल देशमुख हों या फिर मैं. क्या भाजपा में सारे संत हैं?” संजय राउत का यह उछलता सवाल भाजपा कैच कर पाएगी या नहीं, यह तो फिलहाल कहा नहीं जा सकता, पर जनता यह सोचने पर जरूर मजबूर होगी कि क्या वाकई भाजपा में सारे संत हैं?

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