अगर देश में महामारी, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी के बावजूद लोग चुप हैं तो इसलिए कि सरकार का खुफिया तंत्र हर ऐसे जने पर नजर रख रहा है जो सच को सामने ला सकता है. इजरायल की एक कंपनी एनएसओ ने एक सौफ्टवेयर बनाया है जो सिर्फ एक ब्लैंक काल कर के किसी के टैलीफोन में डाला जा सकता है और फिर उस का कैमरा भी चालू हो जाएगा और मैसेज भी सौफ्टवेयर के जरीए उस इजरायली कंपनी के हाथों में होंगे.
भारत सरकार चाहे इनकार कर रही है पर विदेशी खोजी पत्रकारों ने पता लगाया है कि अजरबैजान, बहरीन, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी, बंगलादेश, भारत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों ने इस सौफ्टवेयर को खरीदा है और भारत में 400 लोगों का फोन अब टैप हो रहा है. इस का आभास इन सब लोगों को है पर कोई सुबूत अब तक नहीं था और इसी एहसास की वजह से ये सरकार की पोलपट्टी खोल नहीं रहे थे कि अपने जैसे लोगों को कैसे ढूंढ़ें और कैसे जनता के दर्द की बात को जगजाहिर करें.
ये भी पढ़ें- हर दुकानदार अपनी मेहनत का पैसा वसूलेगा!
सरकार इस सौफ्टवेयर से राहुल गांधी, उन के साथियों, बहुत से पत्रकारों, अपने ही मंत्रियों की हरकतों पर नजर रख रही है और वे कुछ तैयारी करें उस से पहले गिरफ्तारी न करें तो भी कुछ न कुछ दबाव डाल देगी. जनता के दर्द की आवाज बंद हो कर रह जाती. टीवी और समाचारपत्रों में काम करने वालों को एहसास रहता है और वे इसलिए कोविड से पहले और उस के दौरान जनता के दर्द को छिपा गए.
यह जरूर है कि बहुत से लोग चुप इसलिए हैं कि वे जातिगत भेदभाव बनाए रखने वाली सैकड़ों सालों में बनी सरकार को टिकाए रखना चाहते हैं जो धर्म के धंधे को भी बढ़ावा देती है और जन्म से जिन्हें ऊंचा माना गया है, उन्हें ऊंचा रखने के नियमकानून बनाए जा रही है. वे पेगासस जैसे सौफ्टवेयर को तो पौराणिक दिव्य ज्ञान का सा मानते हैं और उस की तारीफ करते हैं.
लोकतंत्र में सरकार के खिलाफ मिलबैठ कर योजना बनाने का हक हरेक को है. इस तरह की भारत सरकार से किसी तरह की स्वीकारोक्ति की आशा तो नहीं है कि वह अपने ही नागरिकों को शक की निगाह से देखती है और उन पर विदेशी दुश्मनों की तरह की सी नजर रखती है पर यह काम विपक्ष का है कि वह इस बात को चुनावी मुद्दा बनाए. सरकार के पास हिंदूमुसलिम कार्ड का तुरुप का पत्ता है जो वह हर मौके पर इस्तेमाल करती है. पर यह कला विपक्ष को सीखनी होगी कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सरकार से रक्षा करने की जिम्मेदारी उसी की है.
ये भी पढ़ें- देश का शासक चाहे जैसा हो, देश तो चलेगा!
देश का पैसा देश के नागरिकों की गुप्तचरी पर नहीं लगाया जा सकता. भारत सरकार, चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादियों का अपनी गुप्तचरी से पिछले 50-60 साल में बिगाड़ नहीं पाई. असली देशद्रोह तो यह निकम्मापन है. जिन के हाथ में देश की कमान है वे अगर अपने नागरिकों को दुश्मन समझने लगें और असली दुश्मनों से लेनदेन करने लगें तो इसे देशभक्ति नहीं कहा जा सकता.
यह न भूलें कि पेगासस का सौफ्टवेयर यदि इतना कामयाब है कि वह किसी के भी मोबाइल में घुस सकता है तो और दुनिया के कितने ही प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों पर नजर रख रहा है तो भारत के नेता बचे होंगे, यह गलतफहमी न पालें. ऐसी कंपनी को पैसा देने वाला अपने खिलाफ भी गुप्तचरी को बढ़ावा दे रहा है, यह पक्का है.