सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की सुसाइड से कई बातें सामने निकल कर आई हैं जिससे कि सभी लोग इस समय काफी गुस्से मे हैं. दरअसल बॉलीवुड में हो रहे नेपोटिज्म (Nepotism) की वजह से सुशांत सिंह राजपूत जैसे टैलेन्टिड एक्टर्स आगे नहीं बढ़ पाते फिर चाहे उनके अंदर जितना मर्जी टैलेंट हो या उन्होनें जितनी मर्जी स्ट्रगल की हो लेकिन जिनके पीछे गोडफादर हैं उन्हें बहुत ही आराम से बॉलीवुड में एंट्री भी मिल जाती है और फिल्मों की ऑफर में भी कोई कमी नहीं आती.

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सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की बात करें तो खबरों के अनुसार उन्हें जो भी फिल्में मिलती थी वो सब उनसे छीन कर किसी और एक्टर को दे दी जाती थी. इसी के चलते सुशांत ने शुरू में तो ये सब बरदाश्त कर लिया लेकिन एक समय आया जब पानी उनके सर के ऊपर से चला गया और वे धीरे धीरे डिप्रेशन का शिकार होते चले गए. इसके बाद एक दिन उनके मन में ना जाने क्या आया और उन्होनें खुद को फांसी पर लटका लिया.

 

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RIP 🙏 you never no what someone is going through Zindagi rahte huye kisi ki kadra kar lo😭

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ऐसे में ना सिर्फ आम इंसान बल्कि कई बॉलीवुड एक्टर्स भी इंडस्ट्री में हो रहे नेपोटिज्म के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं जैसे कि कंगना रनौत (Kangana Ranaut), मनोज वाजपेयी (Manoj Bajpayee), शेखर सुमन (Shekhar Suman), आदी. इसी कड़ी में भोजपुरी इंडस्ट्री से जुड़े कई लोग भी सामने आए हैं और हाल ही में जानी मानी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह (Akshara Singh) ने अपने सोशल मीडियो अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वे नेपोटिज्म के बारे में खुल कर बात कर रही हैं.

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अक्षरा सिंह (Akshara Singh) ने वीडियो में कहा कि, “मेरे मन में कई तरह के विचार आ रहे हैं. हर कोई नेपोटिज्म के बारे में बात कर रहा है. यहां पर मैं भी अपने मन की बात आप सबसे कहना चाहती हूं. मुझे लगता है कि हर जगह नए टैलेंट को आगे बढ़ने देना चाहिए. हम जैसे आम लोगों को बॉलीवुड में काम करने के लिए बहुत सारी मीटिंग्स करनी होती हैं और ऑडिशन देने होते हैं लेकिन स्टार किड्स को आसानी से मौका मिल जाता है. स्टारकिड्स का भी ऑडिशन होना चाहिए. तभी तो मुकाबला बराबरी का होगा.”

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इसी बारे में बात करते हुए अक्षरा सिंह (Akshara Singh) आगे कहती हैं कि, ‘मुझे लगता है कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म से ज्यादा गुटबाजी खतरनाक है. छोटे और नए कलाकार से लेकर टेक्नीशियन भी गुटबाजी का शिकार बन जाते हैं. मैंने खुद भोजपुरी इंडस्ट्री मे गुटबाजी देखी है. इस गुटबाजी के चलते मुझे काम करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. ये इंसानियत नहीं है.

एक्ट्रेस अक्षरा सिंह (Akshara Singh) की इन बातों से साफ पता चलते है कि नेपोटिज्म सिर्फ बॉलीवुड इंडस्ट्री में ही नहीं बल्कि हर जगह है और हम सबको मिलकर इसके खिलाफ आवाज़ उठानी होगी ताकी ज्यादा से ज्यादा मौका टैलेन्टिड एक्टर्स को मिले ना कि स्टार किड्स को.

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