सवाल
मैं 35 साल का हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरी पत्नी मुझे नजदीक नहीं आने देती, क्योंकि पिछले कुछ समय से वह आश्रम के बाबा के चक्कर में पड़ कर मुझे ही अपना भाई जैसा समझने लगी है. मैं उसे छूने की कोशिश करता हूं तो झिड़क देती है. बस बात से मैं दूसरी औरतों को देख कर आपा खोने लगता हूं. मैं क्या करूं?
जवाब
आप की बीवी उन बाबाओं के चक्कर में पड़ गई है, जो अपनी दुकानदारी, खुदगर्जी और हवस के लिए हंसतीखेलती गृहस्थियां उजाड़ने से बाज नहीं आते हैं.
ऐसा भी लगता है कि ऐसे बाबाओं की बातों और प्रवचनों ने आप की बीवी को दिमागीतौर पर हिला दिया है, तभी तो वे आप को भाई कहने लगी हैं. ऐसी हालत में जितना आप उन्हें समझाएंगे, वे उतनी ही जिद पकड़ती जाएंगी, इसलिए तलाक ही एकलौता रास्ता आप के पास बचता है, जो आपसी रजामंदी से लेना बेहतर होगा. इस के लिए किसी काबिल और तजरबेकार वकील से मिलें. हालफिलहाल तो अपनी सैक्स से जुड़ी जरूरतें पूरी करने के लिए एहतियात से काम लें.
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छत्तीसगढ़ आसपास के अनेक राज्यों में जहां आदिवासी बाहुल्य हैं अंधविश्वास को लेकर के महिलाओं की हत्या हो जाती है.छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य झारखंड के साहिबगंज जिले के राधानगर थाना क्षेत्र की मोहनपुर पंचायत के मेंहदीपुर गांव की मतलू चाैराई नामक एक 60 वर्षीय महिला की हत्या डायन बताकर कर दी गई. जिस व्यक्ति ने हत्या की उसे यह शक था कि इसने उसके बेटे को जादू टोना कर मारा है. महिला की हत्या गांव के सकल टुडू ने विगत 7 जुलाई को गला काट कर की और दुस्साहसिक ढंग से और धड़ से कटे सिर को लेकर बुधवार 8 जुलाई की सुबह वह थाने पहुंच गया.
पुलिस बताती है कि कि आरोपी का 25 वर्षीय बेटा साधिन टुडू बीमार था. उसे सर्दी खांसी थी और सोमवार 6 जुलाई की शाम उसकी मौत हो गई. उसकी मौत के बाद गांव में यह अफवाह फैल गई कि जादू टोना कर मतलू चाैराई ने उसकी जान ले ली. इसके बाद साधिन का पिता अपने बेटे का अंतिम संस्कार करने के बजाय महिला की हत्या तय करने का ठान लिया. उसने मंगलवार 7 जुलाई की रात मतलू की गर्दन काट कर हत्या कर दी और कट हुआ सिर लेकर अगली सुबह राधानगर थाना पहुंच गया.
इससे पहले हाल में ही रांची जिले के लापुंग में दो भाइयों ने मिल कर अपनी चाची की डायन होने के संदेह में हत्या कर दी थी. रांची जिले के लापुंग थाना क्षेत्र के चालगी केवट टोली की रहने वाली 56 वर्षीया फुलमरी होनो की हत्या शनिवार 4 जुलाई को उनके दो भतीजों ने धारदार हथियार से कर दी. जहां तक छत्तीसगढ़ की बात है ऐसा कोई महीना नहीं व्यतीत होता जब कुछ पुरुष और महिलाओं की तंत्र मंत्र के नाम पर हत्या नहीं हो जाती.
आवश्यकता जागरूकता की
छत्तीसगढ़ सहित देश में ऐसे अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता की दरकार अभी भी बनी हुई है इसके लिए छत्तीसगढ़ में टोनही अधिनियम बनाया गया है मगर वह भी कागजों में सिमटा हुआ है ऐसे में लगभग तीन दशक से अंधविश्वास और तंत्र मंत्र के खिलाफ जागरूकता फैला रहे डॉक्टर दिनेश मिश्रा की पहल एक आशा की किरण जगाती है.
डॉ. दिनेश मिश्र के अनुसार अंधविश्वास में की गई ये हत्याएं अत्यंत शर्मनाक व दुःखद हैं. जादू टोने जैसे मान्यताओं का कोई अस्तित्व नहीं है और कोई महिला डायन/टोनही नहीं होती. यह अंधविश्वास है, जिस पर ग्रामीणों को भरोसा नहीं करना चाहिए. विभिन्न बीमारियों के अलग-अलग कारण व लक्षण होते हैं. संक्रमण, कुपोषण, दुर्घटनाओं से लोग अस्वस्थ होते है, जिसका सही परीक्षण एवं उपचार किया जाना चाहिए. किसी भी बैगा, गुनिया के द्वारा फैलाये भ्रम व अंधविश्वास में पड़ कर कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए. मगर सच तो यह है कि शासन, प्रशासन व छत्तीसगढ़ की सामाजिक संस्थाएं हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई हैं और महिलाएं अंधविश्वास की चपेट में आकर मारी जा रही है.