बचपन से डांस की शौक रखने वाली भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह (Akshara Singh) पटना की है. उन्हें पहला ब्रेक फिल्म ‘सत्यमेव जयते’ (Satyamev Jayate) से मिला, जिसमें उन्होंने अभिनेतारवि किशन के साथ काम किया था. फिल्महिट रही और वह भोजपुरी इंडस्ट्री में रातों रात प्रसिद्ध हो गयी. इसके बाद से उसे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. वह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की खूबसूरत अदाकारा है, जिसनेभोजपुरी फिल्मों के हर बड़े कलाकार के साथ काम किया है. अक्षरा स्पष्टभाषी है और अपने जीवन में आये उतार-चढ़ाव को डटकर सामना करती है.अक्षरा के माता- पिता भी अभिनय क्षेत्र से जुड़े होने की वजह से उसेअभिनय विरासत में मिली है, जिसे उन्होंने एक नयी पहचान दी है. वह अपने आपको एक जिम्मेदार नागरिक मानती है, इसलिए आज कोरोना वायरस से परेशान देश के लिए जो भी हो सकता है कर रही है.

पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ खास अंश:

प्र. इन दिनों आप क्या करना पसंद कर रही है?

जो काम व्यस्त दिनचर्या की वजह से नहीं कर पायी थी, उसे ही करने की कोशिश कर रही हूं. इसमें योगा, मैडिटेशन, कुकिंग आदि कर रही हूँ. अब तक जो काम मैंने कभी नहीं किया था,मसलन झाड़ू, पोछा, खाना बनाना अब सब कर रही हूं. अबये सब अच्छी तरह से करना आ जायेगा.

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प्र. अभिनय में आने की प्रेरणा कहां से मिली ?

प्रेरणा मुझे मेरे माता-पिता से मिली है. वे दोनों ही थिएटर आर्टिस्ट है. बचपन से ही थिएटर देखते हुए ही बड़ी हुई हूं.

प्र. पहली परफोर्मेंस कब शुरू की?

बचपन से ही मैंने थिएटर करना शुरू कर दिया था. माता-पिता के साथ-साथ थिएटर करती रहती थी. इंडस्ट्री में पहली फिल्म ‘सत्यमेव जयते’ थी, जिसमें मैंने रविकिशन के को स्टार के रूप में काम किया था. इसके बाद काम मिलता गया.

प्र. आप भोजपुरी फिल्मों में काफी लोकप्रिय अभिनेत्री है, हिंदी फिल्मों में न दिखने की वजह क्या है?

मैं भोजपुरी में काफी सफल थी, घर बैठे-बैठे फिल्में मिलती थी, इसलिए इससे अलग कुछ कभी सोचा नहीं. अब थोड़ी सजग हो चुकी हूं और कुछ अलग सोच रही हूं. असल में कभी-कभी जिंदगी की बेवकूफियां खुद से हो जाया करती है. मैं उसमें उलझ गयी और सही निर्णय नहीं ले पायी.

प्र. आप अपनी जर्नी से कितनी संतुष्ट है, क्या कोई रिग्रेट है ?

मैं अपनी जर्नी से संतुष्ट हूं, लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ है कि मैं अच्छी हिंदी धारावाहिक और फिल्मों को करने से मना कर दिया. बाद में लगा कि उसे कर लेना चाहिए था, उसका मलाल है.

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प्र. परिवार का सहयोग आप के साथ कितना रहा?

मेरे माता-पिता अभिनय क्षेत्र से होने की वजह से उन्होंने ही मुझे अभिनय करने की सलाह दी, पर मुझे अभिनय में कोई रूचि नहीं थी. मुझे कोरियोग्राफर बनना था. मेरे पिता की इच्छा थी कि मैं अभिनय करूं. मैंने किया और अब तो 50 से भी अधिक फिल्में कर चुकी हूं. मैंने डांस भी सीखा हुआ है जो अभिनय में काम आ रहा है. इसके अलावा गाना भी गाती हूं. हमेशा से मैं कुछ नया और क्रिएटिव काम करना पसंद करती हूं.

प्र. किस गाने या फिल्म ने आपकी जिंदगी बदल दी?

एक सैड सौंग ने मेरी जिंदगी बदल दी, क्योंकि मैं एक बहुत ही खराब फेज से गुजर रही थी, मैंने इस गाने से अपने आपको स्ट्रोंग महसूस की और उस तनाव भरे जीवन से निकली. इस दौरान मुझे याद आता है मैं एक तरफ और भोजपुरी इंडस्ट्री एक तरफ थी. अभिनेता और सिंगर पवन सिंह मुझे इंडस्ट्री से बाहर निकालने में लगे हुए थे. असल में मैं उसके साथ साल तक रिलेशनशिप में थी. उसने मुझे धोखा दिया और चुपचाप शादी कर ली. मैंने इस बात को अधिक तूल नहीं दिया और चुपचाप काम करती रही और उससे दूरी बनाकर रहने लगी, लेकिन पवन सिंह चाहताथाकि मैं अभी भी उसके साथ इस बेनाम रिश्ते में रहूँ, उन्हें लगा कि मैंउनके बगैर कुछ कर नहीं सकती. इंडस्ट्री से जबलोग मुझसेकिनारा करने लगे, तो मैंने गायिकी को अपनाई, जिसमेंमैं सफल रही गाना हिट हुआ और बहुत सारा प्यार मिला. उसमेंभी उन्होंने सेंध लगाने की कोशिश की, हर कंपनी में जाकर मेरे गाने को रोकने लगा. हर तरीके की कोशिश की मैंने उसपर केस कर दिया.मैंने हार नहीं मानी.मेरे दर्शकों ने मुझे बहुत सहयोग दिया.

प्र. मुश्किल घड़ी में परिवार की प्रतिक्रिया क्या रही?

माता-पिता ने मेरा साथ देकर मेरे मनोबल को बढाया और मुझे लड़ने के लिए हौसला दिया. मैं लड़की हूँ, मैंनेअफेयर किया और लड़ रही हूँ, इसमें उन्होंने साथ दिया. उनकी सोच बहुत अलग है. मेरे पिता ने कह दिया था कि तुम्हे मरना है या लड़ना है. ये खुद निर्णय लेकर आगे बढ़ो. मरने वाले के साथ मैं नहीं, लड़ने वाले के साथ मैं हमेशा रहूँगा, इस बात ने मुझे हिम्मत दी और आज मैं खुश हूँ. मैंने रातोंरात शो कर नाम कमाया.

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प्र. क्या मी टू से ऐसे लोगों का मनोबल टूटेगा? पुरुषों की ऐसी मानसिकता के लिए जिम्मेदार कौन  है?

मनोबल अवश्य टूटेगा और टूटा भी है, लेकिन इन सबके पीछे समाज की मानसिकता है. लड़कियों और औरतों को भी समझने की जरुरत है. हमारी इज्जत हमारे शरीर में है, मन में नहीं. लोगों की नज़रों में इज्जत नहीं है. इन चीजो से सबको अवगत करने के लिए मैं सोशल मीडिया पर भी एक्टिव हूँ. परिवार ही ऐसे लड़कों कीपरवरिश करती है और उसके बाद समाज आता है, जो लड़कों के किसी गलत काम को सपोर्ट करती है.

प्र. आगे क्या है? ड्रीम क्या है?

मुझे काम नहीं मिल रहा था, इस वजह से मैंने एक फिल्म प्रोड्यूस और एक्टिंग की है, जिसका नाम ‘डोली’ है. 70 के दशक की फिल्म है, जो सब नार्मल होने के बाद रिलीज करुँगी. इसके अलावा कुछ अच्छी फिल्में और गाना गाऊंगी.

प्र. भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में किस बात की कमी महसूस करती है?

भोजपुरी फिल्म में अबकाफी बदलाव आया है, लेकिन मेहनताना एक्ट्रेस को कममिलता है. मैंने इसे कम करने की कोशिश की है.

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