लेकिन मोब लिंचिंग का डिजिटल संस्करण भी खूब चलन में है जिसे ट्रोलिंग कहा जाता है . वह तो भक्तों का बस नहीं चलता नहीं तो वे हर उस शख्स को स्क्रीन में घुसकर ही ठोक डालें जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलता हो या फिर किसी भी मुद्दे पर उनसे असहमति जताता हो . ताजा मामला किस फिल्म डायरेक्टर की स्क्रीन लिंचिंग का है यह जानने से पहले भोपाल के एक बुद्धिजीवी की इस बात पर गौर करना दिलचस्प होगा कि जल्द ही भाजपा सरकार एक डिवाइस लांच करने जा रही है जो एक छोटे से बल्ब के आकार की होगी .
इस डिवाइस को हर हिंदुस्तानी के माथे पर अनिवार्य रूप से लगाया जाएगा . इस बल्ब की खूबी यह होगी कि जो भी मोदी जी के खिलाफ सोचेगा तो यह जलने लगेगा और नजदीकी थाने में सायरन बजने लगेगा कि किस नंबर की डिवाइस बाला किस लोकेशन पर मोदी जी के खिलाफ सोचने की जुर्रत कर रहा है . पुलिस की गाडियाँ थाने से निकलकर दौड़ेगी और उस देशद्रोही को गिरफ्तार कर लिया जाएगा बशर्ते इस दौरान भक्तों की भीड़ उसे पीट पीट कर मार न डाले . तो हुआ यूं कि गेंग ऑफ वासेपुर के डायरेक्टर अनुराग कश्यप भी भक्तों की गेंग के शिकार हो गए . इन भक्तों ने अनुराग ही दिखाते ट्रोल कर कर उन्हें सोशल मीडिया की दुनिया को अलविदा कहने मजबूर कर दिया . मूलतः उत्तरप्रदेश के गोरखपुर ( वही योगी जी बाला ) के रहने बाले इस युवा निदेशक का गुनाह बहुत संगीन था कि उसने धारा 370 पर अपने ट्वीट का मुंह खोल दिया था .
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आइये अनुराग के ट्वीट्स पर भी गौर करें उन्होने पहले लिखा , सबसे ज्यादा डराने बाली बात यह है कि एक शख्स सोचता है कि वो जानता है कि 120 करोड़ लोगों के लिए क्या सही है और फायदेमंद है. साथ ही उसके पास ताकत है उसे लागू करने की . ट्विटर के हर यूजर को एक बीमारी भी होती है वह है उसकी प्रतिक्रियाओं की , जो इस ट्वीट पर भी हुईं तो अनुराग का दिल मचल उठा और उन्होने एक और लंबा चौड़ा ट्वीट कर डाला जिसका सार यह था कि वे कश्मीर के भूगोल इतिहास के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते और न ही वे कश्मीरी पंडित या मुसलमान हैं फिर भी उन्हें लगता है कि 370 हटाने का तरीका गलत था . बस इतना पढ़ना भर था कि भक्तों की टोलियों ने उन्हें स्क्रीन पर मारना यानि ट्रोल करना शुरू कर दिया कि उन्हें कश्मीर और धारा 370 के बारे में जो लगा तो वह क्यों लगा , लगना वही चाहिए जो मोदी जी कह दें . उनके कहे और किए से हटकर लगना किसी राष्ट्रद्रोह से कम नहीं लिहाजा सोशल मीडिया की अदालत ने उन्हें मुजरिम मानते सजा भी सुना दी .
इसी दौरान किसी ट्रोलर को याद आया कि अरे यह तो वही मुआ है जिसने कुछ दिन पहले ही मोब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं पर हिज हाइनेस को चिट्ठी भी लिखी थी लिहाजा जुर्म दो गुना हो गया . इसलिए अभी अलिखित सोशल मीडिया एक्ट की इकलौती धारा के तहत उन्हें तो नहीं बल्कि उनके बुजुर्ग माता पिता और युवा बेटी को सजा ए मौत का फैसला सुना डाला गया. बक़ौल अनुराग , जब आपके माता पिता को काल पर और बेटी को ऑन लाइन धमकी मिल रही हो तो उस पर कोई बात करना नहीं चाहता कोई वजह भी नहीं है बात करने की . दबंग शासन करेंगे और दबंगई जीने का नया तरीका होगा . ऐसे नए इंडिया के लिए आप सभी को बधाई .
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इसके बाद उन्होने अपने ट्विटर अकाउंट को बंद कर दिया यानि विसर्जित कर दिया . इसके आगे कहने कुछ नया और खास है नहीं सिवाय इसके कि आपको अगर इस देश में रहना है तो नरेंद्र मोदी के दिमाग से सोचना होगा , उनके हर जायज ( नाजायज तो आजकल कुछ होता ही नहीं ) फैसले से इत्तफाक रखना पड़ेगा . आप को यह याद रखना पड़ेगा कि आप किसी महान लोकतान्त्रिक देश में नहीं बल्कि झींगालाला नुमा एक कबीले में रहते हैं जिसके सरदार के खिलाफ बोलना तो दूर की बात है सोचना भी पाप होता है . और अगर इसके बाद भी बुद्धिमानी दिखाते आपने अपनी खुपड़िया चलाई तो आपके साथ हुये हादसे के जिम्मेदार आपBखुद होंगे .