शहर हो या गांव आमतौर पर ऐसी बदनाम गलियां आम हैं जहां जिस्म का कारोबार धड़ल्ले से किया जाता है और औरतें जिस्म के हिसाब से रेट लगाती हैं. खरीदार मर्द भी जिस्म देख कर ही बोली लगाता है और तय रकम देने के बाद शारीरिक सुख भोगता है.

बदनाम गली

यों तो ऐसी दुकानें रात के अंधेरों या फिर आधी रात के बाद सजती हैं, पर बेचने वाले और खरीदार दोनों एकदूसरे को पहचान लेते हैं.

खरीदारों के लिए यह बाजार जन्नत सरीखा होता है पर सभ्य समाज इसे बदनाम गली कहते हैं, भले ही इस बदनाम गली में इसी सभ्य समाज से जाने वाले लोग हों.

बन गया धंधा

राजारजवाड़ों के समय से चली आ रही यह परंपरा नाच और मुजरे से होते हुए देह व्यापार का धंधा ही बन गया, जिस के ग्राहक आमतौर पर मर्द ही होते हैं.

लेकिन ज्यादातर को भी यही पता होता है कि शरीर का सुख भोगने वाले मर्द होते हैं और खरीदार भी वही, तो अब इस सोच को बदलने की जरूरत है.

हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां जिस्म का करोबार तो होता है पर बोली लगाने वाली औरतें होती हैं.

दरअसल, आधी रात को सजने वाली इस मंडी में औरतें मर्दों को कुछ घंटे या फिर पूरी रात के लिए खरीदती हैं.

जान कर हैरानी होगी

यह जान कर हैरानी होगी कि यह बाजार देश के बड़ेबड़े महानगरों में आधी रात को लगता है और इस की ग्राहक होती हैं ऐशोआराम की जिंदगी जीने वाली, पैसे वाली या फिर अकेली रह रही महिलाएं.

ये महिलाएं बोली लगा कर मर्दों को खरीदती हैं और शारीरिक सुख का आनंद उठाती हैं.

पेशेवर अंदाज में कारोबार

राजधानी दिल्ली के भी कई पौश इलाकों में यह बाजार गुपचुप तरीके से लगता है. इन बाजारों को ‘जिगोलो मार्केट’ कहा जाता है. इन इलाकों की जानकारी कुछ को ही रहती है, जहां डील फाइनल करने का तरीका भी बेहद हाईप्रोफाइल होता है.

ऐसे हाईफाई पब, क्लब, कौफी हाउस बगैरा जिन में यह करोबार चलता है, बिलकुल पेशेवर ढंग से काम को अंजाम दिया जाता है. सबकुछ इतना गोपनीय होता है कि दूसरों को भनक तक न लगे.

लगते हैं रेट

दिल्ली में आमतौर पर यह जिगोलो , 1,800 से ले कर 10,000 रूपए या फिर मोलभाव से कमज्यादा पर भी खरीदे जाते हैं. ये घंटों के हिसाब से भी खरीदे जाते हैं.

इनका काम होता है शारीरिक सुख देना. ये इतने पेशेवर होते हैं कि अपने ग्राहक को नाराज नहीं होने देते और वह सब करने के लिए तैयार रहते हैं जो ग्राहक को पसंद हो.

कभीकभी तो महिलाओं की गोपनीय हाईप्रोफाइल पार्टियों में भी जिगोलो को बुलाया जाता है, जिसका काम मनोरंजन करना और ग्राहकों को खुश करना होता है. इन से न्यूड हो कर नाचने को भी कहा जाता है.

यों तो यह काफी समय से किया जा रहा है पर मोबाइल के आने के बाद डील फाइनल करना और भी आसान हो गया है.

खतरे भी बड़े

आधुनिक समय में जब सब कुछ आधुनिक तरीके से किए जा रहे हों तो इस में खतरे भी कम नहीं होते.

जिगोलो किस प्रवृति का है यह ग्राहक को शायद ही पता हो.

अपराधी किस्म का होगा तो खतरनाक मंसूबों से ग्राहक के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है. चोरीछिपे तस्वीरें उतार कर ब्लैकमेल कर बाद में परेशान भी कर सकता है.

हाल ही में एक फर्जी प्लेसमैंट एजेंसी फर्जी विज्ञापन दे कर कई लड़कों को अपने जाल में फांस कर चंपत हो गई. इस एजेंसी ने कईयों से रजिस्ट्रेशन के नाम मोटी रकम वसूले थे.

इस में ज्यादातर कम उम्र के नौजवान थे और अधिकतर छात्र थे. इन्हें जिगोलो बन कर पैसा और मस्ती दोनों कमाने का शौक चर्राया था.

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