सवाल
मैं 32 वर्षीय कामकाजी भारतीय स्त्री हूं और विदेश में रह रही हूं. पिछले महीने से पीठ में दर्द होता है. हर बार पेशाब का रंग अलगअलग होता है. कभी गहरा पीला, कभी हलका पीला, ज्यादातर गहरे लाल रंग का पेशाब निकलता है. डाक्टर ने गौल ब्लैडर में स्टोन होने की आशंका जाहिर की है. मैं ने ऐक्स रे करवाया और बाद में मुझे बताया गया कि स्टोन निकल गया है. अब पिछले कुछ दिनों से मुझे हलका दर्द रह रहा है और पीले रंग का पेशाब आता है. मैं दुविधा में हूं कि पता नहीं स्टोन अभी है या निकल गया है. बताएं क्या करूं?

जवाब
स्टोन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी और सीटी केयूबी बेहतर विकल्प हैं. अगर स्टोन पाया गया तो स्थिति के अनुसार इलाज कराना ठीक रहेगा. ऐक्स रे से किडनी में मौजूद सभी स्टोन का पता नहीं चल पाता है.

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राधा की योनि से लगातार 6 महीनों से स्राव होने के साथसाथ उस में खुजली होती रही. पति के साथ संबंध बनाते वक्त उसे दर्द होता. पेशाब करने के वक्त उसे परेशानी होती. उस ने डाक्टर से संपर्क किया. जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि उसे ट्राइकोमोनियासिस बीमारी हो गई है. पढ़ेलिखे होने के बावजूद अधिकांश महिलाएं अपने प्रजनन अंगों की देखभाल के प्रति गंभीर नहीं होतीं.

स्त्रीपुरुषों में स्पष्ट शारीरिक भिन्नता होती है. स्त्रियों में प्रजनन अंगों का योनि, गर्भाशय व गर्भनली के माध्यम से सीधा संबंध होता है. पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध दोनों के जीवन का सुखकारी समय होता है. किंतु कई बार महिलाओं में प्रसव, मासिक धर्म व गर्भपात के समय भी संक्रमण होने का डर होता है.

ट्राइकोमोनियासिस का इलाज मैट्रोनीडाजोल नामक दवा से होता है जो खाई जाती है और जैल के रूप में लगाई भी जाती है लेकिन डाक्टर की सलाह पर ही दवा लें.

अशिक्षा, गरीबी, शर्म के कारणों से अकसर महिलाएं प्रजनन अंगों के रोगों का उपचार कराने में आनाकानी करती हैं. प्रजनन अंगों के संक्रमण से एड्स जैसा खतरनाक रोग भी हो सकता है.

कौपर टी लगवाने से भी प्रजनन अंगों में रोग के पनपने की आशंका रहती है.  ‘क्लामाइडिया’ रोग ट्राइकोमेटिस नामक जीवाणु से हो जाता है. यह रोग ‘मुख मैथुन’ और ‘गुदामैथुन’ से जल्दी फैलता है. कई बार इस बीमारी से संक्रमण गर्भाशय से होते हुए फेलोपियन ट्यूब तक फैल जाता है. इस में जलन होती है. समय पर उपचार नहीं होने पर एचआईवी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

गोनोरिया : यह रोग महिलाओं में सूजाक, नीसेरिया नामक जीवाणु से होता है. यह स्त्री के प्रजनन मार्ग के गीले क्षेत्र में आसानी से बढ़ी तेजी से बढ़ता है. इस के जीवाणु मुंह, गले, आंख में भी फैल जाते हैं. इस बीमारी में यौनस्राव में बदलाव होता है. पीले रंग का बदबूदार स्राव निकलता है. कई बार योनि से खून भी निकलता है.

गर्भवती महिला के लिए यह बहुत घातक रोग होता है. प्रसव के दौरान बच्चा जन्मनली से गुजरता है, ऐसे में मां के इस बीमारी से ग्रस्त होने पर बच्चा अंधा भी हो सकता है.

हर्पीज : यह रोग ‘हर्पीज सिंपलैक्स’ से ग्रसित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से होता है. इस में 2 प्रकार के वायरस होते हैं. कई बार इस रोग से ग्रसित स्त्रीपुरुष को मालूम ही नहीं पड़ता  कि उन्हें यह रोग है भी. यौन अंगों व गुदाक्षेत्र में खुजली, पानी भरे छोटेछोटे दाने, सिरदर्द, पीठदर्द, बारबार फ्लू होना आदि इस के लक्षण होते हैं.

सैप्सिस : यह रोग ‘टे्रपोनेमा पल्लिडम’ नामक जीवाणु से पैदा होता है. योनिमुख, योनि, गुदाद्वार में बिना खुजली के खरोंचें हो जाती हैं. महिलाओं को तो पता ही नहीं चलता है. पुरुषों में भी पेशाब करते वक्त जलन, खुजली, लिंग पर घाव, आदि समस्याएं हो जाती हैं.

हनीमून सिस्टाइटिस

नवविवाहिताओं में यूटीआई अति सामान्य है, इस को हनीमून सिस्टाइटिस भी कहते हैं. महिलाओं में मूत्र छिद्र योनिद्वार और मलद्वार के पास स्थित होता है. यहां से जीवाणु आसानी से मूत्र मार्ग में पहुंच कर संक्रमण कर सकते हैं. करीब 75 प्रतिशत महिलाओं में यूटीआई आंतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है. इस के अतिरिक्त अनेक अन्य प्रजाति के जीवाणु भी यूटीआई उत्पन्न कर सकते हैं.

मूत्रमार्ग का संक्रमण जिस को यूरीनरी ट्रैक्क इन्फैक्शन या यूटीआई कहते हैं, महिलाओं में मूत्र मार्ग की विशिष्ट संरचना के कारण अति सामान्य समस्या है. करीब 40 प्रतिशत महिलाएं इस से जीवन में कभी न कभी ग्रसित हो जाती हैं.

मूत्रद्वार में होने वाली जलन, खुजली अनेक कारणों से हो सकती है लेकिन लगभग 80 प्रतिशत में यह यौन संसर्ग के कारण होती है. अकसर संक्रमण होने पर यौन संबंध बनाने के करीब 24 घंटे बाद लक्षण शुरू हो जाते हैं. विवाह के तुरंत बाद अज्ञानता, हड़बड़ी इत्यादि कारणों से यूटीआई होने की संभावना ज्यादा रहती है.

अगर बात लक्षणों की करें तो यूटीआई होने पर बारबार पेशाब आता है, पर पेशाब कुछ बूंद ही होता है. मूत्र त्याग के समय जलन और कभीकभी दर्द होता है, मूत्र से दुर्गंध आती है, मूत्र का रंग धुंधला हो सकता है. कभीकभी खून मिलने के कारण पेशाब का रंग गुलाबी, लाल, भूरा हो सकता है.

यदि संक्रमण होने पर यौन संबंध बनाए जाते हैं तो जलन बढ़ सकती है. यदि उपचार नहीं किया जाता तो पीठ के निचले हिस्से में पीठदर्द हो सकता है, ज्वर हो सकता है. कुछ स्थितियों में संक्रमण मूत्राशय से ऊपर गुर्दों में पहुंच कर इन में संक्रमण कर सकता है.

बहरहाल, आप पूरी तरह से स्वस्थ तभी हैं जब अपने पार्टनर के संग सुरक्षित सैक्स करें और आप के प्रजनन अंग साफ व सुरक्षित रहें. इस के लिए जरूरी है कि आप अपने प्रजनन अंगों के बारे में जागरूक हों. उन में कोई भी तकलीफ हो तो तुरंत डाक्टर से सलाह लें.

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