आशुतोष के आम आदमी पार्टी से इस्तीफे की घोषणा बाद उन्हें मनाने का प्रयास शुरू हो गया है. बुधवार देर शाम पार्टी नेता नोएडा स्थित उनके घर पहुंचे. ट्विटर पर भी ‘आप’ नेता आशुतोष को मनाते रहे. गोपाल राय और दिलीप पांडे उनसे मिलने पहुंचे, लेकिन आशुतोष से मुलाकात नहीं हो पाई.
लोकसभा चुनाव से पहले आशुतोष के इस्तीफे से पार्टी सकते में है. वे कुछ समय से पार्टी में ज्यादा सक्रिय नहीं थे. इसके बाद भी ‘आप’ के बड़े नेता आशुतोष के संपर्क में थे. बुधवार को इस्तीफे के बाद ‘आप’ के बड़े नेताओं का आशुतोष से संपर्क नहीं हो पाया है. पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाएगा और उन्हें मनाया जाएगा.
आशुतोष को मनाने के लिए गोपाल राय और दिलीप पांडे उनके नोएडा स्थित आवास पर पहुंचे, लेकिन आशुतोष घर पर नहीं थे. सूत्रों के मुताबिक, संजय सिंह भी आशुतोष को मनाने के प्रयास में लगे हैं. आशुतोष कई बार इस्तीफे की पेशकश कर चुके थे, लेकिन बार-बार उन्हें मना कर दिया जाता था. इसके बाद उन्होंने बुधवार सुबह ट्विटर पर ‘आप’ छोड़ने की घोषणा कर दी.
सुशील गुप्ता ने पहले निशाना साधा, फिर पलटे
ट्विटर पर आशुतोष द्वारा इस्तीफे की घोषणा के बाद एक नाटकीय घटनाक्रम भी हुआ. आशुतोष की घोषणा के तुरंत बाद ही ‘आप’ के राज्यसभा सांसद सुशील गुप्ता ने कह दिया कि वे कुछ समय से पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे. हालांकि, इसके कुछ देर बाद ही केजरीवाल ने इस्तीफा स्वीकार नहीं करने का ट्वीट किया. इसके तुरंत बाद गुप्ता ने पलटी मारते हुए ट्वीट कर आशुतोष से इस्तीफा वापस लेने की मांग की. हालांकि गुप्ता का दिया बयान वायरल हो गया. बाद में डैमेज कंट्रोल के लिए गुप्ता ने ट्वीट किया.
केजरीवाल के कई साथी कर चुके हैं किनारा
‘आप’ के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले कई साथियों ने पार्टी छोड़ दी है. वरिष्ठ पत्रकार और ‘आप’ नेता आशुतोष के इस्तीफे को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. आशुतोष को केजरीवाल का करीबी माना जाता है. राज्यसभा चुनावों के बाद से आशुतोष पार्टी से नाराज थे. ‘आप’ के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास अभी पार्टी में हैं, लेकिन वे लगातार कटाक्ष करते रहते हैं.
शाजिया इल्मी
‘आप’ की राष्ट्रीय कार्यकारणी में रहीं शाजिया इल्मी अन्ना आंदोलन से जुड़ी थीं. उन्होंने गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ा था. बाद में विवाद से शाजिया ने पार्टी छोड़ दी.
विनोद कुमार बिन्नी
दिल्ली में पहली बार ‘आप’ की सरकार बनने पर विनोद ‘बिन्नी‘ ने विरोध में आवाज उठाई थी. मंत्रालय बंटवारे से वे नाखुश थे.उन्हें पार्टी से 2014 में निकाल दिया गया.
प्रो. आनंद कुमार
आंदोलन का हिस्सा रहे प्रो. आनंद कुमार ने वर्ष 2014 में ‘आप’ से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उन्हें भी 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में हटाया गया था.
योगेंद्र यादव
पार्टी में थिंक टैंक के तौर पर रहे योगेंद्र यादव ने आप को खड़ा करने में अहम रोल निभाया था. वे चुनाव की रणनीति बनाने में रहे. उन्हें भी प्रशांत भूषण के साथ हटाया गया था.
प्रशांत भूषण
पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत भूषण ने 2015 में विधानसभा चुनावों के बाद सवाल उठाए थे. इसके बाद उन्हें पीएसी से बाहर कर दिया गया था.
कुमार विश्वास
कुमार ने पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन उन्हें किनारे कर दिया गया है. विश्वास अलग-अलग मंचों से पार्टी पर निशाना साधते रहे हैं.
कपिल मिश्रा
‘आप’ सरकार में मंत्री रहे विधायक कपिल मिश्रा पार्टी के बागी हैं. 2017 के बाद से वह पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.