‘‘कुलदीप सिंह, तुम्हारा भांडा फूट चुका है.’’ पुलिस अफसर ने कड़क लहजे में कहा, ‘‘हम तुम्हें युवराज सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार करने आए हैं.’’
‘‘भक्त, तुम भोले हो. तुम्हें हमारे बारे में किसी ने गलत सूचना दी है.’’ कुलदीप सिंह ने पुलिस अफसर को अपनी मीठी बातों से फुसलाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘हम तो माताजी हैं, माताजी मतलब मातेश्वरी.’’
‘‘न तो मैं तुम्हारा कोई भक्त हूं और न तुम कोई मातेश्वरी हो.’’ पुलिस अफसर ने सख्ती से कुलदीप सिंह को बांह पकड़ कर उठाते हुए कहा, ‘‘औरत का वेश धारण कर के तुम लोगों को बेवकूफ बनाते हो, खुद को लिपस्टिक बाबा और माताजी बताते हो.’’
‘‘साहब, मेरी बात तो सुनो,’’ कुलदीप सिंह गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘मैं ने कोई अपराध नहीं किया है. मुझे थाने मत ले जाओ, मेरी सारी इज्जत खराब हो जाएगी. हजारों लोग मेरे भक्त और अनुयाई हैं. वे मेरे बारे में बुराभला सोचेंगे.’’
‘‘अब ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है. चुपचाप चल कर बाहर खड़ी पुलिस की गाड़ी में बैठ जाओ, वरना हमें तुम्हारे जैसे पाखंडियों को ठीक करना आता है.’’ पुलिस अफसर ने उसे कमरे से बाहर निकालते हुए कहा.
कुलदीप सिंह ने खुद को देवी का रूप बता कर पुलिस टीम को अपने प्रभाव में लेने की काफी कोशिश की, लेकिन दाल गलती नहीं देख उस ने पुलिस के साथ जाने में ही भलाई समझी.
वह सिर नीचा कर अपने घर जय मां शक्ति पावन धाम से बाहर निकला. बाहर पुलिस की कई गाडि़यां खड़ी थीं. पुलिस टीम के कुछ लोग उन गाडि़यों में बैठे थे और कुछ हथियारबंद पुलिस वाले कुलदीप सिंह के मकान को घेरे खड़े थे.
अपने घर से बाहर आ कर कुलदीप सिंह चुपचाप पुलिस की एक गाड़ी में बैठ गया. पुलिस की गाडि़यां उसे ले कर सीधे कोतवाली की ओर रवाना हो गईं. 27 मार्च की दोपहर को पुलिस ने कुलदीप सिंह को राजस्थान के झालावाड़ शहर में उस के मकान से पकड़ा था.
पुलिस अधिकारी कुलदीप सिंह को ले कर सीधे कोतवाली थाने आ गए. कोतवाली में डीएसपी छगन सिंह राठौड़ और अन्य पुलिस अधिकारियों ने कुलदीप सिंह से पूछताछ की. इस के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस ने उस का मोबाइल भी जब्त कर लिया.
पुलिस द्वारा कुलदीप सिंह उर्फ मातेश्वरी को उस के घर से पकड़ कर ले जाने की बात पूरे शहर में फैल गई. लोग तरहतरह की चर्चा करने लगे.
दरअसल, चर्चा का कारण यह था कि कुलदीप सिंह शहर का जानापहचाना शख्स था. वह पिछले कई सालों से तंत्रमंत्र से लोगों के कष्टों का निवारण करने का दावा करता आ रहा था. खुद को वह मातेश्वरी के रूप में प्रचारित करता था. अधिकांश समय वह औरत का वेश धारण कर के कथित तंत्रमंत्र करता था. उस ने अपने घर का नाम भी मां शक्ति पावन धाम लिखवा रखा था. कुछ अनुयाई उसे लिपस्टिक बाबा भी कहते थे. उस के अनुयायियों में पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं भी थीं.
कुलदीप सिंह कौन था, उस के बारे में जानने से पहले यह जान लें कि उसे पुलिस ने गिरफ्तार क्यों किया.
झालावाड़ शहर में पंचमुखी बालाजी के सामने रहने वाले सोहन सिंह राजपूत जयपुर बिजली वितरण निगम में कर्मचारी हैं. सोहन सिंह का छोटा सा परिवार था. पत्नी शीला सिंह, बड़ी बेटी और छोटा बेटा.
बेटी की उन्होंने शादी कर दी थी. एकलौता बेटा युवराज सिंह ही उन के भविष्य का सहारा था. युवराज होनहार था. उस ने बीसीए कंपलीट कर ली थी. इस के बाद वह जयपुर से एमसीए करने की तैयारी में जुटा था.
सोहन सिंह चाहते थे कि बेटे की शादी कर दी जाए. युवराज 23 साल का हो गया था. सोहन सिंह बेटे के विवाह के लिए ऐसी लड़की तलाश रहे थे, जो उन के परिवार को भी संभाल सके और युवराज के साथ उस के मातापिता की भी सेवा कर सके. सोहन सिंह ने युवराज के लिए 2-4 रिश्ते देखे भी थे, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं हुईं कि रिश्ता तय नहीं हो सका.
इस बीच ऐसा कुछ हो गया, जिस की उम्मीद न सोहन सिंह को थी और अन्य किसी घरवाले को. युवराज ने फांसी लगा ली. करीब 17-18 घंटे तक जीवन और मौत से संघर्ष करते हुए वह परिवार वालों को बिलखता छोड़ गया. इस घटना ने सोहन सिंह की सारी खुशियां छीन लीं.
एकलौते बेटे की मौत ने मजबूत कलेजे वाले सोहन सिंह को हिला दिया. वह जानते थे कि युवराज कमजोर दिल का नहीं था, जरूर उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया होगा. सोहन सिंह को यह भी पता था कि युवराज कथित तांत्रिक कुलदीप के चंगुल में फंसा हुआ था. कुलदीप सिंह ने युवराज का जीवन नरक बना दिया था.
घर का चिराग बुझने पर सोहन सिंह ने तय किया कि वे पाखंडी कुलदीप सिंह की असलियत सब के सामने उजागर कर के रहेंगे. इस के बाद सोहन सिंह ने मार्च के पहले सप्ताह में झालावाड़ एसपी को एक प्रार्थनापत्र दिया था. एसपी ने सोहन सिंह का वह प्रार्थनापत्र मुकदमा दर्ज कर ने और जांच के लिए झालावाड़ कोतवाली भेज दिया.
कोतवाली में 14 मार्च को सोहन सिंह के प्रार्थनापत्र पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया. प्रार्थनापत्र में सोहन सिंह ने बताया कि उस का 23 साल का एकलौता बेटा युवराज सिंह उर्फ बाबू 19 फरवरी को शाम करीब 7 बज कर 10 मिनट पर बाहर से घर आया.
इस के करीब 10 मिनट बाद ही उस ने घर में फांसी लगा ली. हमें युवराज के फांसी लगाने की घटना का तुरंत पता चल गया. इस पर हम उसे अस्पताल ले गए. दूसरे दिन 20 फरवरी को दोपहर करीब डेढ़ बजे अस्पताल के आईसीयू में इलाज के दौरान उस ने दम तोड़ दिया.
उस समय अस्पताल में सोहन सिंह के परिवार वाले और कुलदीप सिंह के घर में बने मंदिर के 15-20 सेवादार मौजूद थे. एकलौते वारिस की मौत हो जाने पर परिवार के लोग होशोहवास खो बैठे थे. इस का फायदा उठा कर कुलदीप सिंह और मंदिर के सेवादारों ने हमारे परिवार की महिलाओं और अन्य घर वालों पर युवराज सिंह के शव का पोस्टमार्टम न करवाने का दबाव बनाया. इसी वजह से युवराज सिंह के शव का पोस्टमार्टम और थाने में उसी समय रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई गई.
सोहन सिंह ने रिपोर्ट में बताया कि कुलदीप सिंह काफी समय से खुद को माताजी के रूप में देवी बताता है और जादूटोना, तंत्रमंत्र व वशीकरण आदि तांत्रिक क्रियाएं करता है.
रिपोर्ट में बताया गया कि युवराज सिंह पिछले करीब 6 साल से कुलदीप सिंह के गोदाम की तलाई स्थित मंदिररूपी मकान पर जाया करता था. वह कई बार कुलदीप सिंह के घर सो भी जाता था. कुलदीप सिंह अपने मोबाइल से मेरे बेटे युवराज सिंह के वाट्सऐप पर अश्लील मैसेज भेजता था. कभीकभी वह युवराज को रात को बुला कर उस के साथ अश्लील हरकतें और अप्राकृतिक कृत्य भी करता था.
सोहन सिंह जब भी बेटे युवराज की शादी के लिए लड़की देखने जाते तो कुलदीप सिंह घर वालों को भ्रमित करता और युवराज को भी शादी नहीं करने के लिए प्रेरित करता था.
सोहन सिंह ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुलदीप सिंह के घर पर बने मंदिर में जाने वाले अधिकतर लड़केलड़कियों ने बताया है कि कुलदीप सिंह दीक्षा देने के बहाने अश्लील हरकतें और अप्राकृतिक कृत्य करने का दबाव बनाता था. मोबाइल पर अश्लील मैसेज भेजता था, मंदिर में आने वाले लड़केलड़कियां उस का विरोध करते तो वह उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त करता और मारपीट भी करता था. साथ ही लड़कियों को बदनाम करने की धमकी भी देता था.
सोहन सिंह ने अपने घर पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज पुलिस को देते हुए रिपोर्ट में बताया कि युवराज 19 फरवरी की शाम को जब घर पर आया तो मानसिक रूप से परेशान और घबराया हुआ दिखाई दे रहा था.
बाद में कुलदीप सिंह के घर पर बने मंदिर में आने वाले लोगों से पता चला कि युवराज उस दिन कुलदीप सिंह के साथ ही था. कुलदीप सिंह ने उस दिन मंदिर के सदस्यों के सामने युवराज सिंह के साथ गालीगलौज व मारपीट की थी और कहा था कि तू कल मरता है तो आज मर जा, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.
रिपोर्ट में सोहन सिंह ने इस बात का जिक्र भी किया था कि 19 मार्च को युवराज के फांसी लगाने के बाद जब हम उसे अस्पताल ले गए थे तो वहां मेरे भाई खेमराज सिंह के सामने मोहित गुर्जर ने युवराज का मोबाइल, पर्स, चेन, कड़ा व अन्य चीजें निकाली थीं.
मेरे भाई खेमराज ने युवराज की ये चीजें अस्पताल में मौजूद युवराज की मां को देने को कहा था, लेकिन रात साढ़े 8 बजे से रात डेढ़ बजे तक वे सभी चीजें मोहित के पास ही रहीं. इस बीच कुलदीप सिंह, अभय सिंह, अमित, सत्यनारायण, भानू जांगिड़ वगैरह अस्पताल आए थे.
उन्होंने युवराज के मोबाइल की काल डिटेल्स, वाट्सऐप, इंस्टाग्राम आदि का डेटा खत्म कर दिया था. इस के अलावा उसी रात हमारे घर की सीसीटीवी फुटेज में कुलदीप सिंह की बहन रानू और मंदिर के सदस्यों का युवराज के फांसी लगाने वाले कमरे में जाने का पता चला.
इस से यह संदेह है कि इन्होंने युवराज का सुसाइड नोट गायब कर दिया. झालावाड़ कोतवाली में सोहन सिंह के प्रार्थनापत्र पर 5 लोगों तांत्रिक कुलदीप सिंह राजपूत, अभय सिंह राजपूत, सत्यनारायण, भानू जांगिड़ और अमित के खिलाफ भादंसं की धारा 306 एवं 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
चूंकि घटना 19 फरवरी की थी और पुलिस में रिपोर्ट 14 मार्च को दर्ज हुई थी, इसलिए आरोपियों की ओर से अधिकांश सबूत नष्ट किए जाने की आशंका थी. पुलिस ने इस की जांचपड़ताल शुरू कर दी.
इस बीच युवराज के घर वालों और समाज के लोगों ने अपने हाथों में तख्तियां ले कर न्याय दिलाने की मांग की. इन में युवराज के पिता सोहन सिंह और उन के परिवार के अलावा समाज की महिलाएं भी शामिल हुईं. इन लोगों ने तांत्रिक कुलदीप सिंह और उस के साथियों पर युवराज को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए पुलिस की ओर से कोई काररवाई नहीं करने पर विरोध जताया.
दूसरी ओर 19 मार्च को जय मां शक्ति पावन धाम से जुड़े कुलदीप सिंह, अभय सिंह सिसोदिया व सत्यप्रकाश शर्मा ने एसपी को परिवाद दे कर सोहन सिंह की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट को मिथ्या और भ्रामक बताया. उन्होंने युवराज की आत्महत्या मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की.
22 मार्च को विभिन्न संगठनों ने झालावाड़ शहर में रैली निकाल कर प्रदर्शन किया और मिनी सचिवालय पहुंच कर जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया. इस में आरोपियों के खिलाफ काररवाई की मांग की गई. रैली में हाड़ौती महासभा अध्यक्ष तेज सिंह हाड़ा, बारां से मदनमोहन, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के नंद सिंह राठौड़, करणी सेना की अनीता झाला, महेश हाड़ा, नारायण लाल, नारायण राठौड़, श्याम राठौड़, सुनील राठौड़ सहित झालावाड़, बूंदी, बारां व कई अन्य शहरों के लोग बड़ी संख्या में शामिल थे.
युवराज की आत्महत्या के मामले में लगातार हो रहे प्रदर्शन और लोगों में आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल में तेजी ला कर उज्जैन की एक युवती सहित कथित तांत्रिक द्वारा पीडि़त कई लोगों के बयान दर्ज किए.
इन बयानों से इस बात की पुष्टि हो गई कि तांत्रिक कुलदीप सिंह ने 19 फरवरी को युवराज से गालीगलौज और मारपीट कर उसे आत्मघाती कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया.
आवश्यक सबूत जुटाने के बाद पुलिस ने 29 मार्च को तांत्रिक कुलदीप सिंह राजपूत को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया था. तांत्रिक कुलदीप सिंह कौन था, यह जानने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा.
झालावाड़ शहर में गोदाम की तलाई में रहने वाला कुलदीप सिंह 7-8 साल से तंत्रमंत्र के जरिए लोगों के कष्टों का निवारण करने का दावा करता था. शहर में हजारों लोग उस के अनुयाई बन गए थे. अनुयायियों की ओर से शहर में फ्लेक्स लगा कर तांत्रिक बाबा का प्रचारप्रसार किया जाता था. इस से उस के भक्तों की संख्या बढ़ने लगी थी.
कुलदीप सिंह खुद को मातेश्वरी और जगदंबा का रूप बताता था. उस ने अपने मकान का नाम जय मां शक्ति पावन धाम रखा हुआ था और घर में ही मंदिर बना रखा था. वह बडे़बड़े बाल रखता था. दिन में भी वह अकसर महिलाओं के कपड़े पहने रहता था.
वह होंठों पर लिपस्टिक लगाता था, इसीलिए कई भक्त उसे लिपस्टिक बाबा के नाम से भी पुकारते थे. नाक में बाली, कान में कुंडल, माथे पर बिंदिया, पैरों में पायल व बिछिया सहित वह महिलाओं के पूरे 16 शृंगार करता था. तांत्रिक बाबा के शृंगार के लिए ब्यूटी पार्लर से महिलाएं आती थीं.
औरत का वेश धारण कर बाबा माता का दरबार लगाता और तंत्रमंत्र करता था. आरोप है कि मंदिर पर आने वाले लोगों पर वह तांत्रिक क्रियाएं करता था. इस से अधिकतर लोग तथाकथित वशीकरण में रहते थे. उस के अनुयायियों में बड़ी संख्या जवान लड़केलड़कियों की थी.
कुलदीप सिंह महिला का वेश धारण कर, 16 शृंगार कर के साल में एक बार गुरुदीक्षा शोभायात्रा निकालता था. शोभायात्रा में उस के अनुयाई शामिल होते थे.
तांत्रिक कुलदीप सिंह ने गुरुदीक्षा देने का कार्यक्रम मई 2010 में शुरू किया था. गुरुदीक्षा का कार्यक्रम अब तक करीब 9 बार हो चुका था. इस कार्यक्रम में अगले साल की दीक्षा की तिथि घोषित कर दी जाती थी ताकि सभी लोगों को पता रहे. इस बीच, एक साल तक गुरुदीक्षा कार्यक्रम का व्यापक प्रचारप्रसार किया जाता था.
आरोप है कि दीक्षा के बहाने वह रात को कमरे में लड़केलड़कियों से अश्लील हरकतें करता था. इस दौरान कोई उस का विरोध करता था तो वह उसे मानसिक रूप से प्रताडि़त कर मारपीट करता था. लड़कियों को बदनाम करने की धमकी देता था. वह कष्टों का निवारण करने और गुरुदीक्षा के नाम पर लोगों से पैसे भी लेता था.
जांचपड़ताल और पूछताछ में कुलदीप सिंह के 3 बैंकों में खाते होने और अनुयायियों के पैसों से करीब साढ़े 4 बीघा जमीन खरीदने का पता चला. यह जमीन उस ने देवरीघटा बिलोनिया गांव के पास खरीदी थी.
इस के लिए उस ने 25-30 अनुयायियों से एकएक लाख रुपए लिए थे और वहां माता का भव्य मंदिर बनाने के बाद सभी को एकएक प्लौट देने का वादा किया था. जमीन की रजिस्ट्री कुलदीप सिंह के खुद के नाम से थी. पुलिस ने कुलदीप के बैंक खाते सील करा दिए.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने तांत्रिक कुलदीप सिंह को 3 दिन के रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने 30 मार्च को उसे अदालत में पेश किया. पुलिस के निवेदन पर अदालत ने उसे फिर 3 दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया. बाद में 2 अप्रैल को उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.
मृतक युवराज के पिता सोहन सिंह ने पुलिस को सबूत के तौर पर एक डायरी सौंपी. तांत्रिक कुलदीप अपने अनुयायियों को इसी तरह की डायरियों के माध्यम से तांत्रिक विद्या सिखाता था. पुलिस ने इस डायरी की बाकायदा जांच की. कुलदीप सिंह के मोबाइल की भी जांच की गई.
4 अप्रैल को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट स्वाति शर्मा ने कुलदीप सिंह की जमानत अरजी खारिज कर दी. मृतक युवराज के पिता फरियादी सोहन सिंह के अधिवक्ता राजेंद्र सिंह झाला ने बताया कि सीजेएम ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण में अनुसंधान चल रहा है. साक्ष्य की विस्तृत विवेचना किए बिना और प्रकरण की गंभीरता तथा इस से समाज पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अभियुक्त कुलदीप सिंह को जमानत का लाभ दिया जाना, न्यायोचित नहीं है.
जेल में न्यायिक अभिरक्षा भुगत रहे तांत्रिक कुलदीप की मुसीबतें खत्म होने के बजाए और बढ़ गई हैं. उस के खिलाफ 13 अप्रैल को एक और मुकदमा झालावाड़ के महिला पुलिस थाने में दर्ज हुआ. अदालती इस्तगासे के माध्यम से झालावाड़ की एक युवती ने कुलदीप सिंह के खिलाफ गलत हरकत और छेड़खानी करने का मुकदमा दर्ज कराया.
इस महिला ने इस्तगासे में बताया कि वह कुलदीप सिंह के मंदिर जय मां शक्ति पावन धाम पर जाती थी. वहां कुलदीप सिंह ने उस पर बुरी आत्मा का प्रभाव बता कर उस का निवारण करने की बात कही. कष्ट निवारण के बहाने कुलदीप सिंह उस युवती को एक व्यक्ति के मकान पर ले गया. वहां उस ने उस युवती को 5-6 अन्य युवतियों के साथ एक कमरे में खुद को बंद कर दिया.
इस के बाद उस युवती की आंखों पर पट्टी बांध कर कहा गया कि अब बुरी आत्मा प्रकट होगी. वह किसी के साथ कोई भी गलत हरकत कर सकती है. इस दौरान तांत्रिक ने काफी डरावनी आवाजें निकालीं.
इस प्रक्रिया के बीच युवती से छेड़खानी एवं गलत हरकतें कीं. युवती के विरोध करने पर तांत्रिक ने धमकी दी कि अगर यह बात किसी को बताई तो वह तंत्र विद्या से उस के परिवार को तबाह कर देगा.
परिवादी युवती के अधिवक्ता राजेंद्र सिंह झाला ने बताया कि 16 अप्रैल को पीडि़ता के बयान अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट के समक्ष दर्ज कराए गए.
इस मामले में महिला थाना पुलिस आरोपी तांत्रिक कुलदीप सिंह को 26 अप्रैल को प्रोडक्शन वारंट पर ले कर आई. पूछताछ के बाद उसी दिन उसे अदालत में पेश किया गया. अदालत ने उसे फिर जेल भेज दिया.
इस मामले की जांच महिला थाने की कृष्ण चंद्रावत कर रही हैं. युवराज को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले की जांच कोतवाली के सब इंसपेक्टर नैनूराम कर रहे हैं.
तांत्रिक कुलदीप सिंह के खिलाफ दोनों ही मामलों में पीडि़तों की पैरवी कर रहे झालावाड़ के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र सिंह झाला का कहना है कि धर्म के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करने वाले ऐसे ढोंगी बाबाओं को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
एकलौते बेटे युवराज को खो चुके दुखियारे पिता सोहन सिंह का कहना है कि इस मामले में अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की जाए तो तांत्रिक के कई अनछुए राज और उजागर हो सकते हैं. न्यायपालिका पर पूरा भरोसा रखने वाले सोहन सिंह कहते हैं कि मेरा बेटा तो चला गया, अब ऐसे पाखंडियों को सजा दिलाना ही उन का मकसद है.
– कथा पुलिस सूत्रों, युवराज के पिता से की गई बातचीत और दस्तावेजों पर आधारित