EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो
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बिजनैस क्लास में सफर कर रही 17 वर्षीय ‘दंगल’ फिल्म की ऐक्ट्रैस जायरा वसीम का आरोप कि पीछे की सीट पर बैठे एक व्यक्ति विकास सचदेव ने उसे पैर से छेड़खानी कर तंग किया था, कुछ अति लगता है. बिजनैस क्लास में 2-3 गुना महंगा किराया देने वाले आमतौर पर इतने छिछोरे नहीं होते कि वे सिर्फ पैर से किसी को छेड़ने की कोशिश करें.
यह स्वाभाविक है कि ऐक्ट्रैस अपनी सुरक्षा के प्रति कुछ ज्यादा ही सतर्क होती हैं क्योंकि वे जानती हैं कि लोग उन्हें पहचान कर अपनी जानपहचान बढ़ाना चाहते हैं पर इस का अर्थ यह नहीं है कि हर कोई उन की इज्जत लूटने की कोशिश करेगा.
लड़कियों के प्रति सहज आकर्षण तो हर पुरुष का होता है पर यह सोचना कि लड़कों या आदमियों के सिर पर हर समय सैक्स का भूत सवार रहता है, अति होगा. कुछ लोग ऐसे मामलों में पेशेवर से हो सकते हैं पर वे सरकारी बसों या लोकल ट्रेनों में सवार होते हैं, हवाई जहाजों के बिजनैस क्लास में नहीं जहां उन्हें अपनी इज्जत का भी खयाल होता है और एटिकेट्स का भी.
लड़कियों को टच कर के आनंद लेने वालों की कमी नहीं है पर हरेक को इसी विचार का समझना भूल भी होगी. किसी जानीअनजानी लड़की से हैंडशेक करते हुए उस का हाथ दबा देना या कुछ ज्यादा देर तक पकड़े रहना, सट कर बैठने की कोशिश करना या बेमतलब की स्माइल फेंकना संभव है पर उसे फालतू समझ कर छोड़ देना ठीक है, उस पर किसी महिला द्वारा हंगामा खड़ा करना निरर्थक सा है. स्त्रीपुरुष का प्राकृतिक आकर्षण तो रहेगा ही, उसे नकारा नहीं जा सकता.
सभ्य समाज ने पुरुषों के स्त्रियों के साथ रहने के नए ढंग सिखाए हैं और वे समाज की आवश्यकता व उस के स्थायित्व के लिए जरूरी भी हैं. आदमियों को भी समझना होगा कि अब औरतें उन के इशारों पर नाचेंगी नहीं और अति करने पर उन्हें बख्शेंगी नहीं. आज की कर्मठ लड़की अपनी सुरक्षा के उपायों को जानती है और तभी इस मामले में इस युवा को अपनी लापरवाही की सजा भुगतनी पड़ रही है.
इस प्रकार के हंगामों का दुष्प्रभाव यह हो सकता है कि आदमी औरतों की किसी भी हालत में कभी भी कोई सहायता करने को न आएं कि न जाने कब पासा पलट जाए और एक साधारण शिष्टाचार मौलेस्टेशन न समझा जाने लगे. अगर ऐसी छुईमुई लड़कियां सब जगह दिखने लगेंगी तो लड़के प्रेमनिवेदन करने से कतराएंगे और प्रेम कर भी लिया तो थोड़ा दूरदूर रहेंगे. स्त्रीपुरुष प्रगाढ़ता में जो निकटता आवश्यक है उस के बीच नारी स्वतंत्रता और कानून की दीवारें न खड़ी हो जाएं.