तेलुगु फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली हीरोइन इशिता दत्ता की बचपन से इच्छा थी कि उन्हें ऐक्टिंग करने का मौका मिले और यह प्रेरणा उन्हें अपनी हीरोइन बहन तनुश्री दत्ता से मिली जो उन्हें हमेशा अपनी इच्छा से जुडे़ काम करने की सलाह दिया करती थीं. इतना ही नहीं, आज भी किसी काम को करने से पहले इशिता अपनी बहन की राय जरूर लेती हैं.
झारखंड के जमशेदपुर शहर की रहने वाली इशिता दत्ता अभी अपने मातापिता के साथ मुंबई में रहती हैं. हाल ही में उन की फिल्म ‘फिरंगी’ बड़े परदे पर आई है. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश :
फिल्म ‘फिरंगी’ को करने की क्या वजह थी?
इस से पहले मैं ने हिंदी फिल्म ‘दृश्यम’ की थी. इस फिल्म में मैं ने अजय देवगन की बेटी का किरदार निभाया था. उस फिल्म में कास्टिंग डायरैक्टर विकी सदाना ने मेरी कास्टिंग कराई थी. फिल्म ‘फिरंगी’ में भी उन्होंने मुझे मेरे किरदार के बारे में बताया और औडीशन के लिए तैयार होने को कहा. कई औडीशन के बाद मैं चुनी गई.
जब मैं इस फिल्म की टीम से मिली तो पहली मुलाकात में इस की कहानी मुझे रोचक लगी. साथ ही, इतने दिनों तक बे्रक के बाद मुझे एक अच्छी फिल्म करने का औफर मिल रहा था जो बड़ी बात थी.
इस से पहले आप ने टैलीविजन में भी काम किया है. टैलीविजन से फिल्मों में आना कैसे हुआ? आप दोनों में क्या फर्क महसूस करती हैं?
दरअसल, मैं ने पहले फिल्म और उस के बाद टैलीविजन में काम किया है. फिल्म ‘दृश्यम’ के बाद मुझे हर कोई वैसी ही छोटी लड़की के किरदार निभाने का औफर दे रहा था और मुझे वैसा काम नहीं करना था इसलिए मैं मना करती रही.
उसी दौरान मुझे टैलीविजन सीरियल ‘एक घर बनाऊंगा’ का औफर मिला. वह मुझे पसंद आया औैर मैं ने कर लिया.
मुझे काम करते रहना पसंद है. मैं घर बैठ कर समय को बरबाद नहीं करना चाहती थी.
आजकल फिल्म से टीवी और टीवी से फिल्मों में आना आम बात है. बडे़बड़े कलाकार भी टीवी पर आ रहे हैं. इस के अलावा आजकल टीवी की शूटिंग फिल्मों के जैसे ही हो रही है. टीवी में समय की कमी की वजह से काम बहुत ज्यादा होता है जबकि फिल्म में काम आराम से होता है.
क्या ऐक्टिंग करना एक इत्तिफाक था या बचपन से इच्छा थी?
मेरे लिए ऐक्टिंग जौब नहीं बल्कि एक इच्छा थी. मेरी बहन ने इस बात पर बल दिया और मैं इस क्षेत्र में चली आई. मैं ने मास मीडिया में पढ़ाई पूरी करने के बाद कई जगहों पर अपना पोर्टफोलियो भेजा और मुझे पहले तेलुगु फिल्म में काम करने का मौका मिला. यहीं से मेरे अंदर प्रेरणा जगी और अब मैं इस क्षेत्र में अच्छा काम करना चाहती हूं.
मेरे कैरियर की सपोर्ट सिस्टम मेरी दीदी ही हैं. उन्होंने मुझे फिल्म इंडस्ट्री की बारीकियों को समझाया है. दीदी कहती हैं कि जब भी कोई काम करने की इच्छा हो तो उसे कर लेना चाहिए ताकि बाद में अफसोस न हो.
यहां तक पहुंचने में परिवार का सहयोग कितना रहा?
उन्होंने बहुत सहयोग दिया है, जमशेदपुर से वे मुंबई रहने चले आए ताकि हमें सुविधा हो. मैं ने हमेशा काम के साथ परिवार का बैलैंस रखा है. फुरसत मिलते ही उन के साथ समय बिताना पसंद करती हूं. काम मेरे ऊपर इतना हावी नहीं होता है कि मैं परिवार और दोस्तों को भूल जाऊं इसलिए मुझे कभी तनाव नहीं होता.
फिल्मों में चुंबन सीन करने में आप कितनी सहज होती हैं?
अभी तक तो मैं ने कोई फिल्म ऐसी नहीं की है. लेकिन स्क्रिप्ट की जरूरत पर करना पडे़गा. पर मैं सहज नहीं हूं. ग्लैमर के लिए मैं ऐसे सीन नहीं कर सकती.
आगे किस तरह की फिल्में करने की इच्छा रखती हैं?
मैं ने अभी तो शुरुआत की है. मेरी एक ऐक्शन फिल्म करने की इच्छा है. मैं इम्तियाज अली के डायरैक्शन में बनी फिल्म करना चाहती हूं.
आप कितना फैशनेबल हैं? आप को किस तरह का खानपान पसंद है?
मैं बंगाली हूं और हर तरह का खाना पसंद करती हूं. मिठाई खूब पसंद हैं. समय मिले तो खाना भी बना लेती हूं. मैं चिकन बिरयानी और आइसक्रीम बना लेती हूं. कंफर्ट लैवल को ध्यान में रख कर ड्रैस पहनती हूं. मैं इंडियन और वैस्टर्न हर तरह की पोशाक पहनती हूं. मुझे चटकीले रंग के कपड़े पसंद हैं जिस में पीला रंग मेरा पसंदीदा है.
मेकअप कितना पसंद करती हैं?
पहले मुझे मेकअप का शौक था, पर अब नहीं है क्योंकि हमेशा लगाना पड़ता है. रात को सोने से पहले अच्छी तरह से मेकअप उतारना नहीं भूलती.
आप खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं?
मुझे पालतू जानवरों से बहुत लगाव है. मेरे पास एक डौगी है जिस का नाम मैं ने हैप्पी रखा है. उस के साथ मैं खेलती हूं. जब भी मैं काम से घर लौटती हूं तो वह मेरा स्वागत खुशी से करता है. उसे देखते ही मेरी थकान दूर हो जाती है. इस के अलावा मैं अपना खाली समय दोस्तों और अपने परिवार के साथ बिताती हूं.