हिंदी फिल्मों में एक दौर था, जब राज कपूर राज करते थे. वह ‘शोमैन’ कहलाते. एक्टिंग-डांस करते, तो लाखों दिल फिदा हो जाते, वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वहीं 1950 से लेकर 1970 तक बौलीवुड पर राज करने वाली एक्ट्रेस थीं वहीदा रहमान.
वहीदा रहमान ने उस दौर कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है. चलिए आज हम वहीदा रहमान और राज कपूर से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं जब वहीदा रहमान के लिए भीड़ से लड़ने के लिए राज कपूर निकल पड़े थे और उन्हें रोकने के लिए वहीदा उनके ऊपर तक बैठ गई थीं.
यह वाकया साल 1966 में रिलीज हुई फिल्म तीसरी कसम में के दौरान का है. इस फिल्म में राज कपूर और वहीदा रहमान लीड रोल में थे. दरअसल इस फिल्म की शूटिंग मध्यप्रदेश के बीना में हुई थी और फिल्म शूटिंग खत्म हो चुकी थी. बीना से मुंबई के लिए फ्लाइट्स न होने के वजह से सभी ट्रेन से सफर कर रहे थे जिनमें राज कपूर, उनके दो दोस्त, वहीदा रहमान उनकी बहन सईदा और हेयर ड्रेसर भी शामिल थीं.
सभी अपने-अपने एसी रूम में बैठे थे ट्रेन बीना से निकली लेकिन 5 मिनट बाद ही रुक गई. ट्रेन के बाहर से भीड़ की आवाजें आने लगी कि बाहर आना पड़ेगा, बाहर आना पड़ेगा. राज कपूर ने जब इस बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि कौलेज स्टूडेंट्स ने ट्रेन को रोक दिया है आपसे और वहीदा रहमान से मिलने की जिद पर अड़ गए हैं. यह सुन राज कपूर ट्रेन से उतरे और उनसे मिलने पहुंच गए.
राज कपूर तो स्टूडेंट्स से मिल लिए लेकिन अब स्टूडेंट्स वहीदा से मिलने की जिद करने लगे. भीड़ को देखकर राज कपूर को लगा कि यहां वहीदा को नहीं आना चहिए उन्होंने वहीदा के न आने की बात कही और वापस ट्रेन में आ गए. इससे स्टूडेंट्स गुस्सा हो गए और जिद करने लगे. यहां तक कि स्टूडेंट्स की भीड़ ने ट्रेन पर पत्थराव करना शुरू कर, ट्रेन के शीशे से भी टूट गए.
अब राज कपूर को भी गुस्सा आ गया वह वापस बाहर उन्हें सबक सिखाने जाने लगे तब उनके दोस्तों ने राज कपूर को बाहर जाने से रोका और वहीदा रहमान के रूम में बैठा दिया. दोस्तों ने वहीदा और बाकी लोगों से कहा कि वे राज कपूर को पकड़कर रखें उन्हें बाहर जाने न दें लेकिन राज कपूर भी बाहर जाने की जिद पर अड़ गए. तब वहीदा राज कपूर को रोकने के लिए तपाक के उनके ऊपर बैठ गई इससे राज कपूर और भी गुस्सा हो गए थे. वहीदा लगातार उन्हें बाहर जाने से रोक रही थीं. खैर, जबतक राज कपूर वहीदा के कब्जे से निकल पाते तब तक पुलिस वहां पहुंच गई और स्टूडेंट्स की भीड़ को वहां से हटाकर हालात पर काबू पा लिया. वहीदा रहमान ने इस पूरे वाकये को अपनी एक किताब में लिखा था.