12 मई, 2017 की सुबह करीब 9 बजे सोहाना के थानाप्रभारी राजन परमिंदर सिंह मल्ही को किसी ने उन के मोबाइल पर फोन कर के जानकारी दी कि मोहाली इंटरनैशनल एयरपोर्ट रोड के पास स्थित गांव मौलीबैदवान की ओर से बहने वाले गंदे नाले की झाडि़यों में एक लाश पड़ी है.
यह खबर सुन कर परमिंदर सिंह एएसआई नायब सिंह, कांस्टेबल जसविंदर सिंह, मक्खन सिंह, नवतेज सिंह और सवनीत सिंह के अलावा होमगार्ड के जवान अंगरेज सिंह को साथ ले कर फोन पर बताई गई जगह की ओर रवाना हो गए.
मौके पर लोगों की खासी भीड़ जमा थी. परमिंदर सिंह ने झाडि़यों से जूट के बोरे से ढकी लाश बाहर निकलवाई. लाश नग्वावस्था में थी, जो किसी पुरुष की थी. वह कुछ फूली हुई थी. मुंह व गरदन पर कपड़ा बंधा था. दोनों हाथ भी पीठ पर ले जा कर रबड़ की ट्यूब से बंधे थे.
परमिंदर सिंह ने लाश मिलने की खबर उच्चाधिकारियों को दी तो मोहाली पुलिस के कई उच्चाधिकारियों के अलावा जिले के सीआईए इंसपेक्टर अतुल सोनी भी अपनी टीम के साथ वहां आ पहुंचे. इस बीच पुलिस फोटोग्राफर व डौग स्क्वायड के अलावा फोरैंसिक टीम के सदस्य भी आ कर अपनेअपने काम में लग गए थे.
मौके पर मौजूद लोगों से पुलिस ने लाश की शिनाख्त करानी चाही, पर कोई भी उसे पहचान नहीं सका. पुलिस मौके की काररवाई निपटा रही थी, तभी करीब 40 साल का एक आदमी तेज कदमों से चलता हुआ आया और परमिंदर सिंह से उस ने अपना नाम सुखजीत सिंह और मोहाली के गांव लखनौर का रहने वाला बता कर कहा, ‘‘सर, मुझे अभीअभी किसी ने फोन पर बताया है कि मेरे जीजा सुरजीत सिंह की किसी ने हत्या कर उन की लाश यहां डाल दी है.’’
‘‘हां, एक लाश मिली तो है. देख लें.’’ परमिंदर सिंह ने बोरे से ढकी लाश की तरफ इशारा कर के कहा.
एक कांस्टेबल ने लाश के ऊपर से बोरा हटा दिया. लाश से बदबू आने की वजह से सुखजीत अपनी नाक पर रूमाल रख कर उस लाश को गौर से देखने लगे. लाश बहुत खराब हो चुकी थी. वह काफी हद तक गल चुकी थी. चेहरा भी पूरी तरह पहचान में नहीं आ रहा था. इस के बावजूद भी उन्हें लगातार यही आशंका हो रही थी कि यह लाश उन के जीजा सुरजीत सिंह की ही है.
अचानक उन्हें ध्यान आया कि जीजा ने अपनी एक जांघ पर मोरनी का टैटू गोदवाया था. उन्होंने देखने का प्रयास किया तो वह एक जांघ पर मिल गया. इस के बाद तो संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई.
उस टैटू के आधार पर ही उन्होंने उस लाश की पहचान अपने बहनोई सुरजीत सिंह के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त होने पर पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी की और लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस के बाद पुलिस ने सुखजीत सिंह की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ सुरजीत सिंह की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.
पुलिस ने जब इस मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि 55 साल के अनिवासी भारतीय सुरजीत सिंह मूलरूप से जिला फतेहगढ़ साहिब के गांव फतेहपुर जट्टां के रहने वाले थे. अच्छीखासी खेतीबाड़ी थी उन की. घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी.
मगर बरसों पहले वह एक बार कनाडा क्या गए, वहीं के हो कर रह गए. उन्होंने वहीं की नागरिकता ले ली. उन की पत्नी बलजीत कौर की सन 2009 में मौत हो गई तो वह अपने बेटे रुपिंदर सिंह के परिवार के साथ रहने लगे. बेटे का परिवार भी कनाडा में ही रहता था.
सुरजीत सिंह भले कनाडावासी हो गए थे, मगर अपने देश व अपने गांव से बराबर उन का लगाव बना रहा. मोहाली तो उन्हें विशेष रूप से पसंद था. कनाडा से भारत आने का वह अकसर बहाना ढूंढा करते थे. मोहाली के सैक्टर-71 में उन्होंने अपनी तिमंजिला कोठी बना रखी थी.
इस कोठी का भूतल और ऊपर वाली मंजिल उन्होंने किराए पर दे रखी थी. बाकी बीच वाला फ्लोर उन्होंने अपने लिए खाली रख छोड़ा था. वह जब भी मोहाली आते थे, अपनी इसी कोठी में रुका करते थे. पिछले कुछ समय से सुरजीत सिंह भारत आए हुए थे. गांव में उन्होंने बड़ा अच्छा समय बिताया.
सब से खूब अपनत्व भाव से मिलतेमिलाते रहे. अपने सभी रिश्तेदारों व कई परिचितों के लिए वह तोहफे भी लाए थे. गांव में कई दिन रहने के बाद वह मोहाली चले गए. यह 5 मई, 2017 की बात है. मोहाली में अपनी कोठी पर उन्होंने 2-3 दिन बिताए. इस बीच उन की अपने कई रिश्तेदारों से फोन पर बातें होती रहीं. बातचीत में उन्होंने बताया था कि वह मोहाली में रुके हुए हैं.
8 मई की शाम करीब 5 बजे सुरजीत सिंह ने अपना बैग उठाया और कहीं चले गए. जाते समय उन के एक किराएदार ने उन्हें देखा जरूर था, मगर आगे बढ़ कर वह यह नहीं पूछ सका कि वह कहां जा रहे हैं.
उस दिन के बाद उन्हें किसी ने नहीं देखा. इस बीच उन के गांव के रहने वाले सेवा सिंह ने 10 मई को उन्हें अपने किसी काम से फोन किया. फोन सुरजीत सिंह ने न उठा कर किसी अन्य ने उठाया. उस आदमी ने अपना नाम परमिंदर सिंह बताते हुए कहा, ‘‘सुरजीत अंकल हम से मिलने आए थे. जाते वक्त अपना मोबाइल यहीं भूल गए. आप से उन की मुलाकात हो तो प्लीज उन्हें इस बारे में बता दीजिएगा.’’
‘‘हां, जरूर बता दूंगा. वैसे आप उन्हें कैसे जानते हैं और आप कहां से बोल रहे हैं? अपना एड्रैस बता दीजिए. टाइम मिला तो मैं ही उन का फोन लेने आ जाऊंगा.’’ सेवा सिंह ने कहा.
‘‘अजीब किस्म की बातें कर रहे हैं, मुझे तो आप कुछ शक्की मिजाज के लग रहे हैं. सुरजीत सिंह मेरी वाइफ गुरप्रीत कौर के अंकल हैं. लीजिए, आप गुरप्रीत से ही बात कर लें.’’ वह आदमी थोड़ा तल्ख लहजे में बोला.
तभी फोन पर किसी महिला की आवाज आई, ‘‘देखिए, मैं सुरजीत अंकल की कोठी में किराए पर रहती थी. वह मुझे अपनी बेटी की तरह मानते हैं. जब भी इंडिया आते हैं, मुझ से मिलने जरूर आते हैं. कल वह हमारे यहां आए थे, रात में खाना खाने के बाद यहीं सो गए थे. गांव जाने को कह कर वह आज सुबह चले गए. उन के जाने के कई घंटे बाद हम ने देखा कि उन का फोन यहीं रह गया है.’’
‘‘वह तो जब उन्हें ध्यान आएगा, वह किसी और के फोन से अपने नंबर पर फोन कर लेंगे. मुझ से बात होगी तो मैं इस बारे में उन्हें बता दूंगा. मगर मुझे हैरानी इस बात की है कि आप लोग अपना एड्रैस बताने से क्यों हिचकिचा रहे हैं?’’
सेवा सिंह के इतना कहते ही उस औरत ने फोन काट दिया. सेवा सिंह ने दोबारा फोन मिलाया तो इस बार फोन स्विच्ड औफ कर दिया गया था.
सेवा सिंह को शक हुआ. उन के पास सुरजीत सिंह के साले सुखजीत सिंह का मोबाइल नंबर था. उन्होंने सुखजीत सिंह को फोन कर के सारी बात बता दी. इस के बाद सुखजीत सिंह को बहनोई की चिंता हुई. वह उसी समय मोहाली के लिए रवाना हो गए. सेवा सिंह से भी उन्होंने मोहाली के सेक्टर-71 स्थित कोठी नंबर 3217 पर पहुंचने को कहा.
दोनों ही मोहली स्थित सुरजीत सिंह की कोठी पर पहुंचे. जिस फ्लोर पर वह रहते थे, वहां ताला लगा था. ऊपर की मंजिल और भूतल पर रहने वाले किराएदार घर पर मौजूद थे. उन से बात की गई तो उन्होंने किसी परमिंदर और उस की पत्नी गुरप्रीत कौर को जानने से इनकार कर दिया. हां, एक किराएदार ने यह जरूर बताया कि सुरजीत सिंह 8 मई की शाम 5 बजे के करीब अपना बैग ले कर घर से कहीं गए थे.
अब तक जितनी भी बातें सुखजीत सिंह के नोटिस में आई थीं, उन से उन्हें शक हो रहा था कि कहीं उन के बहनोई किसी साजिश का शिकार तो नहीं हो गए. आखिर वह एनआरआई थे, अच्छीखासी संपत्ति के मालिक थे. ऐसे में फिरौती की खातिर उन का अपहरण होने की भी आशंका थी.
उन की कोठी मोहाली के थाना मटौर के अंतर्गत आती थी. कोई दूसरा चारा न देख सुखजीत सिंह रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंच गए. उन्होंने पुलिस को अपने बहनोई के गायब होने की बात बताई तो पुलिस ने केवल गुमशुदगी दर्ज की.
पुलिस ने सुखजीत सिंह से सुरजीत सिंह का फोटो मांगा. उन के पास उन का फोटो नहीं था, वह उन की कोठी से ही मिल सकता था. 2 पुलिस वालों के साथ सुखजीत बहनोई की कोठी पर पहुंचे. लोगों की मौजूदगी में दरवाजे पर लगा ताला तोड़ा गया. उन के कमरे से उन का फोटो तो मिल गया, लेकिन तभी पुलिस की नजर वहां लगे सीसीटीवी कैमरे पर पड़ी.
पुलिस ने कैमरे की फुटेज अपने कब्जे में ले ली. पुलिस ने जब वह फुटेज देखी तो उस में एक लड़का और लड़की उन के कमरों की तलाशी लेते दिखाई दिए. पुलिस ने कोठी में रहने वाले किराएदारों को वह फुटेज दिखाई तो वे उन्हें पहचान नहीं सके. मटौर पुलिस केस की जांच में जुट गई. उधर सुखजीत भी अपने बहनोई की तलाश में लगा था.
सुखजीत सिंह के अलावा अन्य रिश्तेदार और दोस्तों ने भी अपने स्तर से सुरजीत सिंह को संभावित जगहों पर तलाशा, लेकिन उन का कहीं कोई पता नहीं चला. आखिर 12 मई, 2017 की वह मनहूस सुबह आई, जब सुखजीत सिंह को उन के किसी परिचित ने फोन कर के बताया कि उन के जीजा सुरजीत सिंह को किसी ने मार कर उन की लाश मौलीबैदवान के गंदे नाले की झाडि़यों में फेंक दी है. इस पर सुखजीत सिंह वहां पहुंच गए थे.
मामला एक एनआरआई के कत्ल का था, इसलिए मोहाली के युवा एसएसपी कुलदीप सिंह चहल ने इसे गंभीरता से लेते हुए केस को जल्द से जल्द हल करने के आदेश थाना पुलिस को दिए.
थानाप्रभारी राजन परमिंदर सिंह मल्ही व एएसआई नायब सिंह ने संयुक्त रूप से केस की विवेचना शुरू की. उन्होंने सुरजीत सिंह के फोन नंबर की काल डिटेल्स को खंगालते हुए अपना पूरा ध्यान उस युवक व युवती पर केंद्रित कर दिया, जो सुरजीत सिंह के घर की तलाशी लेते हुए सीसीटीवी फुटेज में कैद थे.
सुरजीत सिंह की कोठी में रहने वाले किराएदारों का कहना था कि उन्होंने उस लड़केलड़की को वहां कभी नहीं देखा था. जबकि दूसरी ओर पड़ोसियों को उन के फोटो दिखाए गए तो कुछ लोगों ने बताया कि करीब 2 साल पहले तक यह लड़की यहां किराए पर रहती थी.
किराया देने की बात पर इस का सुरजीत सिंह से झगड़ा भी हुआ था. झगड़े के बाद उन्होंने इस से मकान खाली करवा लिया था. पुलिस का काम उस समय आसान हो गया, जब एक पड़ोसी ने यह जानकारी दी कि इन दिनों यह लड़की मोहाली के सेक्टर-79 की कोठी नंबर 1069 में किराए पर रह रही है.
यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम सेक्टर-79 के उस पते पर भेज दी गई. मगर पुलिस के वहां पहुंचने से पहले ही वह घर से गायब हो चुकी थी. फिर क्या था, पुलिस तमाम शिद्दत से उस की तलाश में जुट गई. मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया गया.
अगले दिन एक गुप्त सूचना के आधार पर उसे अपने एक साथी के साथ खरड़ के नजदीक लांडरां चौक से हिरासत में ले लिया गया. पूछताछ करने पर युवती ने अपना नाम गुरप्रीत कौर निवासी सैक्टर-79, मोहाली बताया. जबकि उस के साथ वाले युवक ने अपना नाम परमिंदर सिंह उर्फ डौन, निवासी गांव इसरेल, जिला फतेहगढ़ साहिब बताया. दोनों की उम्र 30 व 32 साल के बीच थी. उन्होंने आपस में अपना रिश्ता देवरभाभी का बताया था.
जब उन से सुरजीत सिंह की हत्या के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि एनआरआई सुरजीत सिंह का कत्ल उन्होंने ही किया था. हत्या की उन्होंने जो वजह बताई, उस से पता चला कि सुरजीत सिंह का गुरप्रीत कौर पर 25 हजार रुपया किराया बाकी था, जिसे वह दे नहीं पा रही थी. इस के एवज में सुरजीत सिंह ने उस से शारीरिक संबंध बनाने को कहा था, साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि ऐसा करते समय वह उस की फिल्म भी बनवाएंगे.
गुरप्रीत कौर के पास पैसे नहीं थे, इसलिए वह उस की घिनौनी शर्त मानने को तैयार हो गई. उस ने इस बारे में परमिंदर से बात की तो वह उस की इज्जत बचाने के लिए उस का साथ देने को तैयार हो गया. इस तरह उन्होंने एक योजना बना डाली.
योजना के अनुसार, गुरप्रीत कौर ने सुरजीत सिंह को मनमानी करने का लालच दे कर फोन कर के अपने घर बुला लिया. फिर वहीं पर परमिंदर और गुरप्रीत कौर ने उस की हत्या कर दी. उन की इस कहानी पर पुलिस को पूरी तरह विश्वास नहीं हुआ. लिहाजा पुलिस ने उन्हें 14 मई की सुबह मोहाली की जेएमआईसी बिसमन मान के निवास पर पेश किया.
उस दिन रविवार की छुट्टी होने की वजह से ऐसा किया गया था. विद्वान दंडाधिकारी ने दोनों अभियुक्तों को 3 दिनों के पुलिस कस्टडी रिमांड पर दे दिया. रिमांड की इस अवधि में महिला पुलिस की मदद से परमिंदर सिंह ने दोनों से गहन पूछताछ की. इस पूछताछ में जो कुछ इन्होंने बताया, उस से लोमहर्षक अपराध की एक अलग ही कहानी सामने आई.
मूलरूप से लुधियाना की सैंट्रल जेल के नजदीक बसे प्रीतनगर की रहने वाली गुरप्रीत कौर शुरू से ही महत्त्वाकांक्षी थी. परिवार में पति हरजीत सिंह के अलावा एक बेटा था. हरजीत एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करते हुए अपनी जिंदगी से पूरी तरह संतुष्ट था. गुरप्रीत कौर के साथ ऐसा नहीं था. अपनी ढर्रे की जिंदगी से हट कर वह कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिस से पैसा उस के कदमों पर बरसे.
उस ने ब्यूटीपार्लर का काम सीख रखा था, जिसे वह धंधे के रूप में अपनाना चाहती थी. जबकि उस का पति इस के लिए तैयार नहीं था. इस से दोनों में तकरार रहने लगी, जो इस कदर बढ़ती गई कि आखिर दोनों ने एकदूसरे से तलाक ले लिया.
इस के बाद गुरप्रीत कौर मोहाली चली आई. बेटा तो उस के साथ था ही, मां से यह कह कर अपनी छोटी बहन को भी साथ ले आई कि वह उस की जिंदगी बनाएगी. मोहाली आते ही उस की छोटी बहन की नौकरी लग गई. बेटा भी स्कूल जाने लगा. मोहाली में गुरप्रीत ने एनआरआई सुरजीत सिंह की कोठी का एक हिस्सा किराए पर ले रखा था, जहां रहते हुए वह अपना ब्यूटीपार्लर भी चलाया करती थी.
गुरप्रीत कौर द्वारा पुलिस को बताए अनुसार, सुरजीत सिंह अकसर इंडिया आते रहते थे. वह उन्हें अंकल कहती थी. एक दिन जब उस का बेटा स्कूल गया हुआ था और बहन नौकरी पर, उसी समय उस ने सुरजीत सिंह को उकसाते हुए उन से शारीरिक संबंध बना लिए और फिर इस एवज में मकान का किराया देना बंद कर दिया.
इसी दौरान गुरप्रीत कौर की मुलाकात फतेहगढ़ निवासी हरजीत सिंह से हुई. दोनों में प्रेम हुआ, फिर इन लोगों ने चंडीगढ़ के सेक्टर-22 के गुरुद्वारा में आनंद कारज (ब्याह) रचा लिया. मगर उसी शाम हरजीत सिंह के घर वाले आ कर उसे जबरन अपने साथ ले गए. उन्होंने बताया कि वह नशा करने का आदी था.
बाद में उसे खरड़ के नशामुक्ति केंद्र में भरती करवा दिया गया. इस सब के चलते गुरप्रीत कौर की जानपहचान हरजीत के चचेरे भाई परमिंदर सिंह उर्फ डौन से हुई. इन के भी आपस में संबंध बने और दोनों ने शादी का मन बना लिया.
उन्हीं दिनों सुरजीत सिंह इंडिया आ गए. अब तक गुरप्रीत कौर उन का घर छोड़ कर कई मकान बदलते हुए सेक्टर-79 की कोठी नंबर 1069 में किराए पर रहने लगी थी. परमिंदर कोई कामधंधा नहीं करता था. गुरप्रीत ने जिस मकसद से घर छोड़ा था, वह पूरा नहीं हो रहा था. वह कोठी, गाड़ी सभी तरह के ऐशोआराम चाहती थी. यह सब उसे परमिंदर से भी मिलता नजर नहीं आ रहा था.
तब गुरप्रीत कौर और परमिंदर को एनआरआई सुरजीत सिंह ही मोटी मुर्गी दिखाई दिए. उन्हीं को दोनों ने न्यूड फोटो के जरिए ब्लैकमेल करने की योजना बनाई. गुरप्रीत कौर के सुरजीत से पहले शारीरिक संबंध बन चुके थे, इसलिए वह आसानी से झांसे में आ सकते थे.
योजनानुसार गुरप्रीत कौर ने सुरजीत सिंह से फोन पर बात कर अपने यहां बुला लिया. बेटा और बहन लुधियाना गए हुए थे. परमिंदर कमरे में पहले से छिप कर बैठ गया. देर रात तक सुरजीत और गुरप्रीत कौर का खानेपीने का दौर चलता रहा, फिर संबंध बनाने को उकसाते हुए गुरप्रीत ने उन के कपड़े उतरवा लिए.
उसी समय परमिंदर आगे आ कर अपने मोबाइल से उन की फिल्म बनाने लगा. इस पर सुरजीत सिंह गुस्से में उस से उलझ गए. मगर परमिंदर ने गुरप्रीत कौर की सहायता से सुरजीत सिंह को काबू कर उन के चेहरे व गरदन पर कपड़ा कस दिया, जिस से उन की मौत हो गई.
उन की योजना तो फोटो के बल पर उन्हें ब्लैकमेल करने की थी, पर अब उन की मौत हो गई. इस से वह घबरा गए. उन्होंने शव को बिस्तर में लपेट कर घर में ही एक तरफ रख दिया. तलाशी में सुरजीत सिंह की जेब से कुछ हजार रुपयों के अलावा और कुछ हाथ नहीं लगा.
जेब में उन की कोठी की चाबी मिल गई. चाबी ले कर वे सेक्टर-71 स्थित उन की कोठी पर पहुंचे. वहां भी वह नकदी, ज्वैलरी तलाशते रहे, पर इन के हाथ कुछ खास नहीं लगा. अलबत्ता घर पर लगे सीसीटीवी कैमरों में उन की फोटो जरूर कैद हो गई.
परमिंदर और गुरप्रीत कौर पतिपत्नी की तरह रह रहे थे. परमिंदर को इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि सुरजीत सिंह गुरप्रीत कौर के जिस्म से खेलता रहा, इसलिए वह सुरजीत सिंह के शव का अंगअंग काट देना चाहता था. इस के लिए वह तेजधार वाली दरांती खरीद लाया.
घर में पड़े शव में से 2 दिनों बाद दुर्गंध उठने लगी. आखिर 11 मई, 2017 की रात एक जूट के बोरे में सुरजीत सिंह का शव भर कर अपनी कार से मौलीबैदवान के गंदे नाले के पास ले गए और झाडि़यों में डाल दिया. फेंकने से पहले खुन्नस में परमिंदर ने सुरजीत सिंह के दोनों पैर और गुप्तांग भी काट कर नाले में फेंक दिए. बाद में कार सेक्टर-43 बसअड्डे की पार्किंग में पार्क कर दी.
पुलिस ने इन की निशानदेही पर कार और अन्य सबूत भी बरामद कर लिए. इन का कहना था कि कपड़े से गला घोंटने से पहले इन लोगों ने सुरजीत सिंह के सिर पर बेसबाल बैट से वार भी किया था, जिस से खून निकल कर फर्श पर फैल गया था. इसे गुरप्रीत कौर ने साफ किया था.
दोनों पैर, गुप्तांग व दरांती इन लोगों से बरामद नहीं किए जा सके. यह बरामद करने के लिए माननीय अदालत ने दोनों अभियुक्तों की कस्टडी 19 मई तक बढ़ा दी. मगर अब इन लोगों का कहना है कि इन्होंने पैर व गुप्तांग नहीं काटे. आरोपी अपने बयान कई बार बदल चुके हैं.
पुलिस का यह भी मानना है कि इस अपराध में उक्त 2 लोगों के अलावा कुछ अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं. इस रिमांड अवधि में भी पुलिस अभियुक्तों से मृतक के काटे हुए अंगों के बारे में पता नहीं लगा सकी तो उन्हें फिर से 19 मई, 2017 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 2 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित