बिहार कृषि विश्वविद्यालय में हुए बहाली घोटाले में कुलपति रह चुके और जनता दल (यू) से बाहर निकाले गए विधायक मेवालाल चौधरी पर एफआईआर दर्ज होने के बाद रोज नएनए खुलासे हो रहे हैं. पटना हाईकोर्ट के जस्टिस रह चुके एसएम आलम की एकल जांच कमेटी के सामने मेवालाल चौधरी को दोषी पाया गया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक, मेवालाल चौधरी ने माना कि पावर प्रैजेंटेशन के अलावा रीमार्क्स, इंटरव्यू और एग्रीमैंट कालम उस ने खुद भरे थे. इस से यह बात साफ हो गई कि ऐक्सपर्टों ने उम्मीदवारों को जो नंबर दिए थे, उन के लिफाफों को खोला भी नहीं गया. असिस्टैंट प्रोफैसरों की बहाली में चहेतों को दिल खोल कर नंबर दिए गए. नियमों को ताक पर रख कर बाहर से ऐक्सपर्टों को बुलाया गया.

नैट में फेल 40 उम्मीदवारों को चुना गया. बहाल हुए प्रोफैसरों में से ज्यादातर का संबंध पश्चिम बंगाल के कृषि विश्वविद्यालय से रहा है. रिपोर्ट में पक्षपात, जोड़तोड़ और घपले करने का जिक्र किया गया है. कई नाकाबिल उम्मीदवारों से टैस्ट लिए बगैर ही अच्छे नंबर दे दिए गए, वहीं काबिल उम्मीदवारों को 10 में से 0.1 नंबर दिए गए.

22 फरवरी, 2017 को सबौर थाने में मेवालाल चौधरी के खिलाफ दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि साल 2011 में सबौर के बिहार कृषि विश्वविद्यालय में तकरीबन 161 प्रोफैसरों व जूनियर साइंटिस्टों की बहाली में जम कर हेराफेरी की गई.

कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव अशोक कुमार की अर्जी पर मेवालाल चौधरी को आरोपी बनाया गया. नौकरी देने के लिए 15 से 20 लाख रुपए तक की बोली लगाई गई थी.

जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेवालाल चौधरी को पार्टी से निकाल दिया है.

बिहार कृषि विश्वविद्यालय से रिटायर होने के बाद साल 2015 में मेवालाल चौधरी ने जद (यू) के टिकट पर मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत गया था.

मेवालाल चौधरी का कहना है कि उसे राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है. जिस ऐक्सपर्ट कमेटी ने बहाली की थी, वह उस कमेटी का अध्यक्ष तो था, लेकिन बहाली में उस का कोई लेनादेना नहीं था, इसलिए उसे कोई जानकारी नहीं है.

भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार ने बताया कि मेवालाल चौधरी का पासपोर्ट जब्त करने की कार्यवाही शुरू की गई है. कोर्ट के बारबार बुलाने के बाद भी वह हाजिर नहीं हो रहा है.

पुलिस ने धारा-164 के तहत 5 गवाहों के बयान दर्ज किए और मेवालाल चौधरी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को पुख्ता सुबूत मिल चुके हैं. रिटायर्ड जज और पुलिस की जांच रिपोर्ट, केस डायरी और गवाहों के बयान पूरी तरह से मेवालाल चौधरी के खिलाफ हैं. सभी गवाहों के बयान फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए जा चुके हैं.

साल 2010 में जब भागलपुर कृषि कालेज को नीतीश कुमार की सरकार ने विश्वविद्यालय का दर्जा दिया था, तो मेवालाल चौधरी को ही उस का पहला कुलपति बनाया गया था.

मेवालाल चौधरी नीतीश कुमार का इतना भरोसेमंद था कि जब वह रिटायर हुआ, तो उसे विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए जद (यू) का टिकट दे दिया. उस से पहले जब वह कुलपति था, तो साल 2010 के चुनाव में उस की बीवी नीता चौधरी तारापुर से विधायक बनी थी.

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