भूतप्रेत, टोनाटोटका व पेट से न होने के नाम पर झाड़फूंक की दुकान चलाने वाले ठग तांत्रिकों के निशाने पर ज्यादातर औरतें ही रही हैं, क्योंकि उन को तमाम ऐसी अंदरूनी व दिमागी बीमारियां होती हैं, जिन को ठग तांत्रिक ऊपरी साया बता कर आसानी से बेवकूफ बना देते हैं.

इन पाखंडी तांत्रिकों के जाल में फंस कर औरतें न केवल खुद की सेहत के साथ खिलवाड़ करती हैं, बल्कि अपना पैसा, समय और इज्जत भी गंवा बैठती हैं. कभीकभी ऐसी औरतों के साथ हमबिस्तरी का वीडियो बना कर शातिर तांत्रिक उन्हें ब्लैकमेल भी करते हैं.

झाड़फूंक के नाम पर बाबाओं के पास जाने वाली औरतों में ज्यादातर दलित व पिछड़े तबके की औरतें होती हैं, जिन के मन में बचपन से ही यह भर दिया जाता है कि इन की हर समस्या की वजह ऊपरी साया व टोनाटोटका ही है. ऐसे में ढोंगी तांत्रिकों द्वारा खास तरह की पूजा का ढोंग किया जाता है. इस दौरान ये बाबा औरतों की इज्जत लूटने में कोई गुरेज नहीं करते हैं.

ढोंगी बाबाओं द्वारा इज्जत के साथ खिलवाड़ किए जाने के मामलों में औरतें इसलिए विरोध नहीं कर पाती हैं, क्योंकि उन्हें यह भरोसा होता है कि हो सकता है कि बाबा के साथ हमबिस्तरी से ही उन की गोद भर जाए.

किसीकिसी मामले में लोकलाज के डर से भी औरतें अपने साथ हुई ज्यादती की बात छिपा जाती हैं, लेकिन झाड़फूंक के नाम पर कई औरतों के साथ सैक्स करने की वजह से इन बाबाओं को भी इन्फैक्शन व एड्स जैसी बीमारियां लग जाती हैं, जो औरतों में भी आ जाती हैं.

चूंकि अब झाड़फूंक के नाम पर पाखंडी तांत्रिकों द्वारा औरतों के साथ हमबिस्तरी के कई मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में मर्द अपने घर की औरतों को उन के पास ले जाने में कतराने लगे हैं.

औरतों की तादाद में आई कमी को देखते हुए बाबा भी अपने इस धंधे को चलाने के लिए दूसरा जरीया ढूंढ़ने लगे हैं. वे औरतों को विश्वास में लेने के लिए अपने घर की औरतों या चेलियों को आगे कर उन्हें बड़ा तांत्रिक साबित कर रहे हैं, ताकि धंधा चलता रहे.

औरत तांत्रिकों की तादाद व उन की कमाई में इजाफे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के नामीगिरामी टैलीविजन चैनलों, अखबारों व पत्रपत्रिकाओं में महंगेमहंगे इश्तिहार छपवा कर बड़ी से बड़ी समस्याओं के समाधान का दावा किया जा रहा है.

आसानी से झांसे में

 औरत तांत्रिकों द्वारा पीडि़त औरतों को आसानी से झांसे में ले लिया जाता है, क्योंकि ये तांत्रिक उन से जुड़ी अंदरूनी व घरेलू समस्याओं को आसानी से समझती हैं. यहां तक कि हमबिस्तरी की बातों को भी उगलवाने में वे कामयाब होती हैं. इस के बाद झाड़फूंक के नाम पर पीडि़त औरतों का जिस्मानी, माली व दिमागी शोषण शुरू हो जाता है.

मर्द तांत्रिकों की चाल

झाड़फूंक के नाम पर ठगी की दुकान चलाने वाली औरत तांत्रिकों के पीछे शातिर किस्म के मर्दों का हाथ होता है. ऐसे में जब कोई पीडि़त औरत पेट से न होने की समस्या ले कर इन तांत्रिकों के पास पहुंचती है, तो ये उन के ऊपर दुष्ट आत्मा का साया बता कर उसे नष्ट करने के लिए विशेष पूजा, अनुष्ठान वगैरह कराने की सलाह देती हैं.

अंधविश्वास में जकड़ी औरतें बच्चा पाने की चाह में इन तांत्रिकों पर आसानी से आंखें मूंद कर विश्वास कर लेती हैं और फिर तय समय पर ये तांत्रिक अकेले में अनुष्ठान के नाम पर उन्हें बुलाते हैं.

पेट से होने के लालच में औरत के परिवार वाले भी उसे पूजा के नाम पर अकेला छोड़ देते हैं. इस की वजह यह भी होती है कि झाड़फूंक करने वाली एक औरत होती है, जिस से इज्जत लुटने का खतरा नहीं हो सकता, लेकिन ये औरत तांत्रिक ऐसे अनुष्ठान उन कमरों में करती हैं, जहां घुप अंधेरा होता है.

झाड़फूंक के दौरान पीडि़ता को नशीली दवा मिला कर प्रसाद दे दिया जाता है, जिस से वह अपनी सुधबुध खो बैठती है. इस के बाद हवस के भूखे औरत तांत्रिक के गुरु व परिवार के मर्द उस की इज्जत लूट लेते हैं.

अगर इज्जत लूटने वाले के वीर्य में बच्चा पैदा करने की कूवत होती है, तो वह पीडि़ता पेट से हो जाती है. चूंकि झाड़फूंक के दौरान वह अपने होश में नहीं होती है, ऐसे में उसे यह नहीं पता चल पाता कि उस के पेट से होने का राज क्या है और वह तांत्रिक की चमत्कारी शक्तियों का असर मान कर उस की मुरीद बन बैठती है.

कभी कभार अगर बाबाओं द्वारा इज्जत से खिलवाड़ के मामले में पीडि़ता होश में आ भी जाती है, तो वह इस वजह से खुल कर विरोध नहीं कर पाती कि हो सकता है कि उसे बाबा की वजह से ही बच्चे का सुख मिल जाए और उसे बांझपन के ताने से नजात मिल जाए.

इश्तिहारों पर बेहिसाब खर्च

 झाड़फूंक से होने वाली मोटी कमाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि औरत तांत्रिकों के बड़ेबड़े इश्तिहार टैलीविजन चैनलों, अखबारों व पत्रपत्रिकाओं में दिखाए व छापे जाते हैं, जिस के लिए औरत तांत्रिकों द्वारा भारीभरकम रकम का भुगतान किया जाता है, जो झाड़फूंक के दौरान कई गुना के रूप में वापस आ जाती है.

देश की नामीगिरामी पत्रिका में छपे एक औरत तांत्रिक के इश्तिहार का मजमून इस तरह था: ‘फ्री… फ्री… फ्री…’ समस्या कैसी भी हो, जड़ से खत्म. 5 घंटे में समस्या का समाधान. सौ फीसदी गारंटी.  गुरु मां गायत्री देवी घर बैठे गारंटी समाधान.

एक औरत ही औरत का दुख समझती है. कृपया दुखी माताएं व बहनें ही फोन करें. धोखा नहीं पक्का वादा. मैं कहती नहीं कर के दिखाती हूं केवल एक फोन ही आप के जीवन की दिशा व दशा बदल सकता है, ब्लैक मैजिक व ब्लैकमेलिंग से परेशान अवश्य फोन करें.

लव मैरिज, कारोबार, विदेश में रिश्ता करवाना, सौतन दुश्मन से छुटकारा, जिस को चाहोगे तुरंत वश में कर के दूंगी, काम नहीं होने पर पैसा वापस.

नोट: आप का पति, प्रेमी, बेटा किसी के वश में हो, प्यार में धोखा, निराश प्रेमीप्रेमिका, एक बार अवश्य फोन करें, लाटरी, सट्टा नंबर हासिल करें. स्थायी पता चंडीगढ़ मोबाइल नंबर 0988895×××.

दुख की बात है कि इस तरह के इश्तिहारों में लोग फंस कर लुटने को तैयार बैठे होते हैं.

सभी बनते हैं शिकार

इन औरत तांत्रिकों के पास पढ़ेलिखे व अनपढ़ लोग समान रूप से ठगी का शिकार बनते हैं. क्योंकि इन के मन में बचपन से ही भूतप्रेत व ऊपरी साए के प्रति इस तरह का डर बिठा दिया जाता है, जिसे वे मन से नहीं निकाल पाते हैं.

इस तरह का एक उदाहरण गोंडा व बस्ती जिले की सीमा से लगने वाले मेहदिया ढडौवा गांव में देखने को मिला, जहां दिल्ली से 8 सौ किलोमीटर की दूरी तय कर बीएड पास एक औरत ‘बड़की माई’ नाम से विख्यात किस्मती देवी नाम की अनपढ़ औरत तांत्रिक के पास झाड़फूंक कराने आई थी.

इस औरत की समस्या यह थी कि इसे शादी के 6 साल बाद भी बच्चे नहीं पैदा हो रहे थे. अंधविश्वास की शिकार इस औरत को विश्वास था कि यहां आने से उस की यह मुराद पूरी होगी.

यहां हर सोमवार व शुक्रवार को झाड़फूंक कराने के लिए ऐसे तमाम लोग आते हैं, जो पढ़ेलिखे होते हैं, लेकिन अपनी आंखों पर चढ़े अंधविश्वास के चश्मे के चलते ठगी का शिकार होते हैं.

यहां एक दिन में तकरीबन 50 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है. ऐसे में अगर हर पीडि़ता से 10 रुपए की औसत कमाई को देखा जाए, तो भी यह हफ्ते के 2 दिनों को मिला कर 10 लाख रुपए आसानी से इकट्ठा कर लेती है.

इसी तरह की झाड़फूंक की दुकान चलाने वाली बडगो गांव की पिछड़े तबके की एक अनपढ़ औरत काली माई के नाम पर झाड़फूंक का धंधा चलाती है, जहां रोजाना हजारों की तादाद में लोग बेवकूफ बनने चले आते हैं.

महज कोरी कल्पना

बस्ती जिला चिकित्सालय में डाक्टर वीके वर्मा का कहना है कि भूतपे्रत, तंत्रमंत्र व ऊपरी साया महज कोरी कल्पना है. इस की वजह न तो कभी थी और न है, बल्कि सदियों से पोंगापंथ की दुकान चलाने वाले लोगों ने जनता के मन में इस तरह का वहम बिठा कर उन्हें लूटने का जरीया बनाया है.

डाक्टर वीके वर्मा के मुताबिक, बचपन में भूतप्रेतों की कहानियां, डरावनी फिल्में देखसुन कर लोग मन में यह वहम पाल बैठते हैं कि हमारे आसपास भी बुरी आत्माएं मौजूद होती हैं, जिन की जद में हम कभी न कभी आ ही जाते हैं, लेकिन यह मन का वहम  होता है, क्योंकि बुरी आत्माओं व तंत्रमंत्र का वजूद है ही नहीं.

कैटाटोनिया व साइकोसिस जैसी बीमारियों के चलते औरतें अजीबोगरीब हरकतें करना शुरू कर देती हैं, जिसे घर के लोग आत्माओं का साया मान बैठते हैं. वहीं गर्भाशय में गांठ होना, प्रजनन अंगों में संक्रमण वगैरह के चलते पेट से न होने की समस्या जन्म लेती है, जिसे पाखंडी तांत्रिक भूतप्रेत का साया साबित कर देते हैं.

वकील कृष्ण कुमार उपाध्याय का कहना है कि झाड़फूंक करने वाला चाहे औरत हो या मर्द दोनों ही जुर्म में बराबर के भागीदार होते हैं. ऐसे में लोगों को भूतप्रेत व झाड़फूंक के नाम पर उन का शोषण करना और कभीकभी समस्या के समाधान के लिए तांत्रिकों द्वारा नरबलि के लिए उकसावा देना अपराध की श्रेणी में आता है.

 

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