Caste Violence, लेखक – अलखदेव प्रसाद ‘अचल’
बिहार के दरभंगा मैडिकल कालेज में जातीय जहर की वजह से एक बाप ने अपने दामाद को गोली मार कर बेटी को ही विधवा बना डाला. सिर्फ इसलिए कि हमारी जाति ऊंची है, तो हमारा दामाद निचली जाति (केवट) का कैसे हो सकता है?
सहरसा जिले के बनगांव के रहने वाले प्रेमशंकर ?ा की तकरीबन 19 साल की बेटी तनुप्रिया और पिपरा थाना इलाके के तुला पट्टी के बाशिंदे गणेश मंडल का 24 साल का बेटा राहुल मंडल दोनों डीएमसीएच दरभंगा में बीएसपी नर्सिंग के छात्र थे. राहुल सैकंड ईयर का छात्र था, तो तनुप्रिया फर्स्ट ईयर की छात्रा थी. दोनों में प्यार था और 5 मई को उन्होंने शादी रचा ली थी.
प्रेमशंकर झा को यह नागवार गुजर रहा था. उस ने पहले तो बेटी को सम?ाने की खूब कोशिश कि, पर जब वह उस में नाकाम रहा, तो उस ने मन ही मन दामाद को ही खत्म कर देने के लिए ठान लिया, जबकि शादी के कई महीने बीत जाने पर तनुप्रिया भी निश्चिंत हो गई थी कि अब सबकुछ ठीक है.
तनुप्रिया के सारे खर्च ससुराल वाले ही चला रहे थे. उधर प्रेमशंकर झा के दिल में जो आग धधक रही थी, वह शांत नहीं हुई थी. वह मन ही मन अपने दामाद को खत्म करने की योजना बनाता जा रहा था. इस के लिए शायद उस ने 5 अगस्त का दिन चुना था.
शादी के बाद राहुल मंडल और तनुप्रिया दोनों होस्टल की अलगअलग मंजिल पर रह रहे थे कि 5 अगस्त को प्रेमशंकर झा नकाब पहने कैंपस के अंदर आया, जो कट्टा छिपाए हुए था. पहले तो उस ने राहुल मंडल की मोटरसाइकिल के प्लग की तार काट दी, फिर पास में ही मोबाइल पर बात करते राहुल मंडल से पूछा कि यह मोटरसाइकिल किस की है?
राहुल ने नजदीक आ कर जैसे ही कहा कि ‘मेरी है’, तो प्रेमशंकर झा नजदीक से उस के सीने में 2 गोलियां उतार दीं.
कुछ ही दूरी पर तनुप्रिया भी खड़ी थी. राहुल गोली लगते ही दौड़ा और तनुप्रिया से लिपट गया, पर जल्दी ही जमीन पर गिर पड़ा. इधर होस्टल के गुस्साए लड़कों ने प्रेमशंकर ?ा को दबोच लिया और उस की धुनाई शुरू कर दी.
इसी बीच पुलिस आई और प्रेमशंकर झा को बचा लिया. जब तनुप्रिया देखने पहुंची कि आखिर उस के पति का हत्यारा कौन है, तो उस की आंखें फटी की फटी रह गईं कि वे तो उस के पिता प्रेमशंकर झा हैं, जिन्होंने उसे न सिर्फ विधवा बना डाला, बल्कि उस की जिंदगी भी कर दी.
इस घटना के बाद तनुप्रिया ने अपने ही पिता के लिए फांसी की मांग कर डाली थी. उस ने गुस्से में यह भी कह दिया था कि अगर कोर्ट से इंसाफ नहीं मिलेगा, तो मेरे पिता ने जिस तरह से मेरी जिंदगी बरबाद कर दी है, उसी तरह से उन की जिंदगी भी मैं बरबाद कर दूंगी.
तनुप्रिया ने अपने पति की हत्या के लिए अपने पिता, दोनों भाइयों और मां को भी जिम्मेदार माना है. इधर पिता का कहना था कि निचली जाति के लड़के से तनुप्रिया की शादी होने से उन्हें समाज से उलाहने मिल
रहे थे. लोग खिल्ली उड़ा रहे थे. उधर सोशल मीडिया पर ऊंची जाति के लोग प्रेमशंकर झा के इस कदम का स्वागत करते देखे गए थे.
ऐसे लोगों ने दलील दी थी कि मातापिता ने लड़की को पालापोसा होगा, पढ़ायालिखाया होगा, तो सपना भी देखा होगा कि इस की शादी किस से करनी है. पर बेटी ने मातापिता के मनसूबों पर पानी फेर दिया. ऐसी हालत में बेटी के बाप का गुस्सा होना लाजिमी था, जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि प्रेमशंकर झा की नाक तो बेटी ने कटवाई थी, फिर उस ने तनुप्रिया को गोली न मार कर राहुल मंडल की जीवनलीला क्यों खत्म कर दी?
सिर्फ इसलिए न कि आगे से एससी या पिछड़ी जाति के लड़के ऊंची जाति की लड़की से शादी करने की हिम्मत न जुटाने पाएं कि इस का नतीजा राहुल की तरह हो सकता है.
पर कानून के हिसाब से न तनुप्रिया की गलती है, न राहुल मंडल की, क्योंकि दोनों की उम्र अपना फैसला लेने की हो गई थी. काबिलीयत के हिसाब से भी दोनों ने सही चुनाव किया था.
ऐसा भी नहीं था कि तनुप्रिया और राहुल मंडल ने शादी कर समाज में नया कर दिखाया था. हमारे देश में ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं, जहां किसी भी जाति या मजहब में लोग अपनी मरजी से शादी करते रहे हैं और आज भी कर रहे हैं. वहां प्रेमशंकर झा ने अपने ही हाथों से अपनी ही बेटी को विधवा बना कर अपनी घटिया सोच को जाहिर कर दिया, क्योंकि उस ने न सिर्फ राहुल मंडल को मार दिया, बल्कि अपनी बेटी की भी जिंदगी बरबाद कर दी.
एक तो ऐसा नहीं लगता कि तनुप्रिया अपने मातापिता के पास जाएगी, अगर चली भी गई, तो उन लोगों में विधवा विवाह का प्रचलन नहीं है. इस से और ज्यादा घटिया सोच कुछ हो ही नहीं सकती. Caste Violence




