Gender Transformation: अभी कुछ समय पहले भारतीय क्रिकेट टीम का कभी हिस्सा रहे बल्लेबाज संजय बांगर के बेटे ने लड़के से लड़की बन कर सनसनी मचा दी थी. सनसनी इसलिए कि आज भी हमारे देश में इस तरह जैंडर बदलवाने को हिकारत की नजर से देखा जाता है. ऐसा समझा जाता है कि जब ‘ईश्वर’ ने आप को लड़का बना कर धरती पर भेजा है, तो फिर आप ‘ईश्वर की कृपा’ की अनदेखी कैसे कर सकते हैं.
अब संजय बांगर के बेटे आर्यन उर्फ अनाया के जिस्म के बदलाव को समझते हैं. अपने दिए एक हालिया इंटरव्यू में अनाया बांगर ने बताया कि भले ही उन्होंने लड़के के शरीर में जन्म लिया था, पर 8 साल की उम्र से उन्हें लगने लगा कि उन के अंदर लड़की के गुण हैं.
एक जगह अनाया बांगर लिखती हैं, ‘जब मैं 8 साल की थी, तो लगा कि कुछ है जो समझ नहीं आ रहा. मैं आईने में देखती और लगता कि जिस शरीर में मैं रह रही हूं, वह मेरा नहीं है. अंदर ही अंदर मुझे लगा कि मैं लड़की हूं. मैं चुपचाप मां के कपड़े पहनती और खुद से कहती कि मैं यही बनना चाहती हूं. मैं ऐसे ही जीना चाहती हूं.
‘मैं ने 2023 में हार्मोन थैरेपी शुरू की. मेरा शरीर बदलने लगा और पहली बार मुझे लगा कि मैं खुद के करीब हूं. यह आसान नहीं था. यह दर्दनाक था, महंगा था और अकेला करने वाला था.’
अनाया बांगर क्रिकेट खेलती थीं, पर उन के लिए इस खेल में कैरियर बनाने से पहले खुद को बदलना था. लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था. एक समय उन्हें लगा कि वे अपनी जिंदगी खत्म कर लें, पर उन्होंने हार नहीं मानी.
अनाया बांगर को जैंडर बदलवाने में उन के परिवार का सहयोग मिला, पैसा लगा और आज वे सब के सामने एक लड़की के तौर पर पहचानी जाती हैं, पर उन आम बच्चों का क्या जवानी की दहलीज पर इस तरह की दोहरी जिंदगी जीने के लिए मजबूर होते हैं?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का एक मामला देखते हैं. लड़के से लड़की बनने की चाहत में 17 साल के एक लड़के ने अपना निजी अंग काट दिया. इस से पहले एक डाक्टर की सलाह पर उस ने अपने कमरे पर ही खुद एनैस्थीसिया का इंजैक्शन लगाया और अपना अंग काट दिया, पर एनैस्थीसिया का असर खत्म होने के बाद जब वह दर्द से तड़पने लगा, तो मकान मालिक की मदद से अस्पताल लाया गया.
परिवार वालों और अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, अमेठी का रहने वाला यह छात्र प्रयागराज में यूपीएससी की तैयारी कर रहा था. पर अकसर गूगल और यूट्यूब पर लड़के से लड़की बनने की जानकारी लेता था. इसी दौरान वह प्रयागराज में कटरा के एक डाक्टर से मिला और इस सिलसिले में जानकारी ली. उस ने डाक्टर से लड़की बनने की इच्छा जाहिर की.
इस पर डाक्टर ने उस लड़के से कहा कि तुम्हें इस के लिए सब से पहले अपना निजी अंग काटना होगा. उन्होंने पूरा तरीका भी समझाया कि घर पर ही यह सब कैसे कर सकते हैं.
कटरा के उस डाक्टर से सलाह ले कर वह लड़का एनैस्थीसिया का इंजैक्शन, सर्जिकल ब्लेड, रुई और बाकी सामान खरीद लाया और फिर कमरे में अकेले ही खुद को एनैस्थीसिया का इंजैक्शन लगाया. इस से कमर के नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया. फिर उस ने अपने ही हाथों से अंग काट दिया और मरहमपट्टी कर ली.
तकरीबन 6 घंटे बाद जब एनैस्थीसिया का असर कम हुआ, तो वह लड़का दर्द से तड़प उठा. दर्द की दवा खाने पर भी कुछ आराम नहीं मिला, तो मदद के लिए मकान मालिक को आवाज लगाई.
अस्पताल पहुंचे उस पीडि़त लड़के से जब डाक्टरों ने पूछताछ की, तो उस ने बताया, ‘‘मुझे लड़कियों में कोई इंट्रैस्ट ही नहीं है. मुझे लगता है कि मेरी आवाज भी लड़कियों जैसी ही है. चलने का स्टाइल भी उन के जैसा है, इसलिए मैं जैंडर बदलना चाहता था, पर मुझे पता नहीं था कि इस में मेरी जान जा सकती थी.’’
यहां पर लड़के ने तो बेवकूफी की ही, पर डाक्टर की भी बहुत बड़ी गलती है, जिस ने ऐसी बचकाना सलाह दी. अगर उस लड़के को अपने शरीर में लड़की होने के लक्षण दिख रहे थे, तो उसे इतनी जल्दबाजी बिलकुल भी नहीं करनी थी.
पर सब से बड़ी गलती उस समाज की है, जहां इस तरह के बदलाव को ईश्वर का कहर बता दिया जाता है. ऐसे बच्चों को हिकारत से देखा जाता है, जबकि उन के मन और तन को समझना जरूरी होता है.
मान लो कि अगर कोई लड़का लड़की बन भी गया और इस बात से वह बहुत खुश है और हर काम को लगन से करता है तो इस में परेशानी क्या है?
अब थोड़ा तीसरे जैंडर की बात करते हैं, जिन्हें किन्नर या ट्रांसजैंडर कहा जाता है. बहुत सी जगह ऐसे लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सिक्योरिटी गार्ड या ग्रीन मार्शल जैसे काम दिए जाने लगे हैं.
साल 2022 में महाराष्ट्र में पुणे की पिंपरी चिंचवड महानगर पालिका ने 30 ट्रांसजैंडरों को बतौर सिक्योरिटी
गार्ड और ग्रीन मार्शल के तौर पर भरती किया था.
गंगा कुमारी राजस्थान की पहली किन्नर कांस्टेबल हैं, जिन्हें कानूनी लड़ाई जीतने के बाद साल 2017 में राजस्थान पुलिस में पोस्ट मिली थी. ऐसे और भी कई उदाहरण हैं.
कहने का मतलब है कि लड़का हो या लड़की या फिर ट्रांसजैंडर ही सही, नौकरी या कोई और रोजगार देने वाले को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सामने वाला किस जैंडर का है. अगर वह अपना काम अच्छे से करता है, तो देश की तरक्की में मददगार है और यही तो आखिर में मायने रखता है. Gender Transformation