Hindi Family Story: ईमानदार संसारचंद मेहनत में यकीन रखने वाला नौजवान था. एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले संसारचंद की 3 बहनें और एक छोटा भाई था. 2 बहनों की शादी पहले ही हो चुकी थी. उन की शादी के बाद संसारचंद के पिता का देहांत हो गया. पिता की मौत के बाद उस ने भी अपने पुरखों का बढ़ईगीरी का काम संभाल लिया.
संसारचंद के हाथों में हुनर था और ईमानदारी के चलते काम की कोई कमी नहीं थी. कड़ी मेहनत से संसारचंद पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाए हुए था. वह अपनी मां, छोटी बहन और छोटे भाई की रोटी, पढ़ाईलिखाई और भविष्य के लिए दिनरात मेहनत करता था.
अब संसारचंद की छोटी बहन कमला ब्याह लायक हो चुकी थी. अपने ब्याह के बारे में सोचे बिना संसारचंद ने मेहनत से जोड़े पैसों से कमला के ब्याह की तैयारी शुरू कर दी. रिश्ता अच्छा था, लेकिन एक अड़चन आ खड़ी हुई. वह थी सोने की बालियां.
गांव का रिवाज था कि लड़की को ब्याह के समय खाली कानों से विदा नहीं किया जाता था. यह केवल रिवाज ही नहीं था, बल्कि इज्जत की बात भी थी.
संसारचंद की इतनी औकात नहीं थी कि वह महंगी सोने की बालियां खरीद सके. पुराने कर्ज अभी चुकाए नहीं गए थे. यह बात संसारचंद की बड़ी बहन विमला को पता चली. विमला अपने पति के साथ पास के गांव में खुशहाल जिंदगी बिता रही थी.
भाई की परेशानी सोचसोच कर विमला बेचैन हो जाती. वह यह सोचती कि संसारचंद कमला के लिए बालियों का इंतजाम कैसे कर पाएगा? शादी के समय अपने मायके से मिली सोने की बालियां, जो वह पहने हुए थी, कमला को देने के बारे में सोचती, तो ससुराल वालों के सवालों से डर कर वह अपने विचार से पीछे हट जाती, लेकिन फिर उस ने फैसला कर ही लिया.
कमला की शादी का दिन निकट आ रहा था. एक दिन, पति के काम पर चले जाने के बाद, विमला घर में अकेली थी. उस ने अपनी अलमारी खोली और उस पोटली को निकाला, जिस में शादी के समय मायके से मिली हुई सोने की बालियां रखी थीं.
उन्हें बहन को देने के बारे में सोच कर विमला कुछ देर के लिए दुविधा में पड़ गई, लेकिन दूसरी ओर, बहन की खुशी और भाई की मजबूरी उस की सोच पर भारी पड़ गई.
अगले दिन विमला अपने मायके पहुंची. हाथ में बालियों की पोटली थी.
‘‘ले भैया, कमला की शादी के लिए बालियों की जरूरत थी. मेरे पास ये थीं. क्या अपनी कमला को खाली कानों से विदा करेंगे? मैं फिर कभी बनवा लूंगी,’’ कहते हुए विमला ने बालियां संसारचंद की हथेली पर रख दीं.
‘‘नहीं बहन, मैं ऐसा नहीं कर सकता. तुम्हारा भी अपना परिवार है. तुम्हारे पति और ससुराल वाले क्या कहेंगे?’’ संसारचंद बोला.
लेकिन विमला अड़ी रही. बारबार कहने पर संसारचंद ने नम आंखों से बालियों वाली पोटली को मजबूती से पकड़ लिया.
कमला की शादी अच्छे से हो गई, लेकिन संसारचंद को भीतर ही भीतर यह टीस बनी रही कि उस की बहन ने अपनी एक कीमती चीज, अपने घर से चोरी कर के छोटी बहन को दे दी.
संसारचंद ने अपनेआप से वादा किया कि वह यह कर्ज जरूर उतारेगा. उस ने जीतोड़ मेहनत जारी रखी और पैसे इकट्ठा करने लगा.
2 साल बीत गए. एक दिन संसारचंद शहर में सुनार की दुकान पर पहुंचा. उस ने एक सुंदर जोड़ी सोने की बालियां तैयार करवाईं.
बालियां ले कर संसारचंद सुबहसुबह अपनी बहन विमला के घर तब पहुंचा, जब उस का पति अशोक काम पर जा चुका था.
चायपानी के बाद संसारचंद ने एक छोटीसी डब्बी विमला के हाथों में रख दी. विमला ने डब्बी खोली तो अंदर नई, चमचमाती सोने की बालियां थीं.
‘‘यह क्या भैया?’’ विमला ने हैरानी से पूछा.
‘‘जो तू ने कभी बिना मांगें दी थीं, आज मैं वे तुझे लौटाने आया हूं. मन पर बड़ा बोझ था इस कर्ज का,’’ संसारचंद भावुक हो गया.
‘‘पर कमला मेरी भी तो छोटी बहन है,’’ विमला बोली.
‘‘लेकिन बहन, मुझे पता है कि तू ने वे बालियां अपनी ससुराल से चुरा कर दी थीं, जिस के बोझ से मेरा मन भारी था,’’ संसारचंद बोला.
‘‘सच कहूं तो वह बोझ मेरे मन पर भी बहुत था. मुझे खुद भी लगता था जैसे मैं ने चोरी की है. मुझ से रहा नहीं गया और मैं ने पहले ही दिन अपने पति को सब सच बता दिया था,’’ विमला बोलती जा रही थी, ‘‘उस भले इनसान ने कहा कि विमला, तू ने ठीक किया. उस ने तो यह भी कहा कि ऐसी चीजें तो मुश्किल वक्त में ही काम आती हैं.’’
संसारचंद सुनता रहा. उस की आंखें भर आईं. वह बोला, ‘‘अशोक के लौट आने तक मैं यहीं रुकूंगा. उस भले इनसान का शुक्रिया अदा करना तो बनता है.’’
चारों ओर रिश्तों की मिठास से महक उठी थीं हवाएं… Hindi Family Story