Story In Hindi, लेखक – आर. सेलट

पूरन पाल चुपचाप अपने सरकारी क्वार्टर के पीछे वाले दरवाजे की चौखट पर बैठा गहरी चिंता में डूबा हुआ था. उस के 3 बच्चे थे, 2 लड़कियां, जो नर्स बनने वाली थीं और एक लड़का.

पूरन पाल का एकलौता लड़का 14 साल का था, जो गूंगा ही पैदा हुआ था. पूरन पाल सोचता था, लड़कियों की शादी हो जाए और लड़के का बंदोबस्त हो जाए, तो उस की नैया भी पार लग जाए.

तकरीबन 2 महीने पहले पूरन पाल को पता चला कि शहर में विदेश से एक पादरी साहब आ कर ‘चंगाई सभा’ करने वाले हैं. चर्च के पादरी ने भी सब को इस बारे में बता दिया था. शहर में भी पोस्टर लगे थे.

फैक्टरी की दीवार पर भी एक पोस्टर चिपका था. हैरी ने बताया था, ‘‘बहुत बड़े पादरी आ रहे हैं.’’

पूरन पाल सोच रहा था कि उस के पिताजी भी तो अंगरेजों के समय में चर्च में बैरा थे. पर पहले पादरी छोटेबड़े नहीं होते थे. हां, अब समय भी तो बदल गया है. अब ऐरू को देखो, वह लालू चाचा का लड़का था और लालू चाचा तो उस के पिताजी के साथ चर्च में बैरा थे. पूरन पाल के पिताजी और लालू चाचा आपस में अच्छे दोस्त थे. दोनों मिशन के अनाथ आश्रम में पले थे.

ऐरू ने पूरन पाल के सामने ही गिरजे की किताबें बेचीं. फिर पादरी बनने की ट्रेनिंग ले ली और विदेश हो आया. वह बिशप भी बन गया है.

‘चंट था ससुरा, पर हम रहे भोंदू के भोंदू,’ सोचते हुए पूरन ने सिर झटक दिया, ‘अब तो ऐरू की बात ही और है. बंगला है, 2 कारें हैं, पत्नी शहर के बड़े अंगरेजी स्कूल में प्रिंसिपल है. लोग उसे रेवरंड ऐरन कहते हैं. कभी साथ हौकी खेलता था. अब अकेले में मिलता है, तो दुआसलाम कर लेता है, नहीं तो वह भी नहीं. कलक्टर, पुलिस कप्तान के साथ उठताबैठता है, उस के बच्चे भी तो मिशन स्कूल में ही पढ़ते हैं.’

बहरहाल, ‘चंगाई सभा’ की तैयारी जोरशोर से चल रही थी. सुनने में आया था कि 4-5 लाख रुपए भेजे हैं, विदेशी पादरी ने इंतजाम के लिए. गिरजे का सचिव डगलस बता रहा था कि विदेशी पादरी बहुत पहुंचे हुए हैं. वह सब को चंगा कर देते हैं. लंगड़े दौड़ने लगते हैं, गूंगे बोलने लगते हैं और बहरे सुनने लगते हैं.

डगलस ने कहा था, ‘‘तेरे लड़के की जीभ से ‘शैतानी बंधन’ भी खुल जाएगा. बस, यकीन पक्का होना चाहिए.’’

पूरन पाल बहुत खुश था. उसे ऐसा लग रहा था, मानो सारा तामझाम उसी के लिए हो रहा है. गिरजे के मैदान में हजारों लोगों के बैठने का इंतजाम किया गया था. दर्जनों लाउडस्पीकर और सैकड़ों बल्ब लगे थे. पूरन पाल को एक रात सपना भी आया कि उस का लड़का गोलू बोल रहा है.

आखिर वह दिन भी आ गया, जब ‘चंगाई सभा’ होनी थी. पूरन पाल सुबह से ही शाम होने का इंतजार करने लगा. उस दिन इतवार था, सो फैक्टरी तो जाना नहीं था. शाम होते ही वह गोलू को तैयार कर साइकिल पर बैठा कर ले गया.

पूरा मैदान रंगबिरंगी रोशनियों से नहा रहा था. माइक पर भाषण चालू था. विदेशी पादरी के आने से पहले, जिस को जितना मौका मिला, मंच पर आ कर बोल लिया. हजारों लोग बैठे थे. कुछ बाहर से भी आए थे.

हैरिसन भी आया था, चमकीली कमीज और टाई लगा कर. पूरन पाल को हंसी आ गई. हैरिसन फैक्टरी में कुली था. घर में भले खाने को न हो, पर बड़े दिन पर रम की 3-4 बोतलें जरूर लाता था. तभी लोगों में हलचल होने लगी.

3-4 कारों का काफिला मंच के सामने रुका. गोरे विदेशी पादरी स्टेज पर चढ़ गए. बिशप ऐरू भी साथ में था.

रमेश चंद्र नामक एक नेता, जो पहले ब्याज पर पैसा देता था, वह भी वहां आया हुआ था. पूरन ने सोचा कि यह यहां क्या कर रहा है? अब भोले पूरन पाल को क्या समझ कि ऐसे ‘वोट बैंक’ बारबार तो नहीं मिलते.

एकदम सन्नाटा छा गया था. आधा घंटा ‘दुआ’ हुई. फिर चंदा इकट्ठा किया गया. कुछ लोग स्टेज पर जा कर लिफाफे दे रहे थे, कुछ नीचे घुमाए जा रहे दान के डब्बे में पैसे डाल रहे थे.

जब चंदे का डब्बा पूरन पाल के सामने आया तो उस ने 10 रुपए का सिक्का पेटी में डाल दिया. नीचे
नोट थे, इसलिए सिक्के की आवाज भी नहीं आई.

पीतल की नक्काशी वाला बड़ा सुंदर डब्बा था, जिस पर बाइबिल की आयत लिखी थी, ‘जब तुम दाएं हाथ से दान करो तो तुम्हारे बाएं हाथ को भी पता न चले’.

फिर ऐलान हुआ, ‘जो लोग चंगाई चाहते हैं, सामने आ जाएं.’

पूरन पाल भी गोलू का हाथ पकड़ कर स्टेज के सामने जा पहुंचा. चंगाई शुरू हुई तो चाय वाले एलबर्ट के लंगड़े बच्चे का हाथ पकड़ कर धकियाते हुए दौड़ाया गया. अगला नंबर गोलू का था. पूरन उसे ले कर स्टेज पर पहुंचा.

विदेशी पादरी अंगरेजी में बोलता था और देशी पादरी हिंदी में उस की बात बताता था. बिशप ऐरू और नेता रमेश चंद्र अपनी बातचीत में मशगूल थे. शायद ईसाई कब्रिस्तान के पीछे पड़ी लंबीचौड़ी जमीन की बात कर रहे थे.

विदेशी पादरी ने गोलू के सिर पर हाथ रख कर ‘दुष्ट आत्माओं’ को भगाने की दुआ की. लोग हैरानी से देख रहे थे.

पादरी ने पूछा, ‘‘लड़का बचपन से गूंगा है?’’

पूरन पाल ने ‘हां’ में सिर हिला दिया. फिर पादरी धीरे से कुछ बुदबुदाने लगा. थोड़ी देर बाद उस ने कहा, ‘‘बेटा, अब बोलो, ‘जीसस लवस यू’…’’

गोलू के गले से वही पुरानी घुटी सी आवाज निकली, ‘‘इसस अम ऊ.’’

विदेशी पादरी जोर से चिल्लाया, ‘‘आलेलुइया… थैंक्स द लार्ड.’’

मंच पर बैठे लोग भी चिल्लाने लगे. उन की देखादेखी नीचे बैठे और खड़े लोग भी चिल्लाने लगे.

चर्च के पादरी ने कहा, ‘‘अब शैतानी बंधन जीभ से टूट चुका है. अब यह लड़का जल्दी ही बोलने लगेगा. बस, एक हफ्ते के अभ्यास की जरूरत है.’’

कुछ लोग अब भी चिल्ला रहे थे. पादरी साहब ने पूरन पाल को धीरे से धकियाते हुए स्टेज के दूसरी तरफ से उतरने का इशारा किया.

एक घंटे बाद ‘चंगाई सभा’ खत्म हुई. इतवार को गिरजे में पादरी ने ‘चंगाई सभा’ की बातें बढ़ाचढ़ा कर बताई.

पूरन पाल के लड़के और दूसरे लोगों के ‘चंगे’ होने की बातें बताईं.

जो लोग ‘चंगाई सभा’ में नहीं आ पाए थे, उन्हें इस बात का दुख था. गिरजे के सचिव डगलस ने नया स्कूटर खरीद लिया था.

2 महीने बाद भी पूरन पाल को थोड़ी उम्मीद थी कि शायद गोलू ठीक हो जाए. किंतु उस की आवाज में सुधार नहीं हुआ था. शाम को फैक्टरी से लौटते वक्त एलबर्ट चाय वाले के लड़के को देखा, जो ‘चंगाई सभा’ में ‘चंगा’ हो गया था, वह सड़क के किनारेकिनारे पहले की तरह बैसाखी के सहारे लंगड़ाते हुए चला आ रहा था. पूरन का दिल बैठ सा गया था.

अब वह घर के पिछवाड़े बैठा बेटे के बारे में सोच रहा था. सोचता था, गोलू ठीकठाक कहीं लग जाए,
तो बुढ़ापे में सहारा हो जाए या गोलू को ही सहारा…?

गरमियों के दिनों में शाम को पीछे बैठना पूरन को बहुत सुहाता था, ठंडीठंडी हवा उसे अच्छी लगती थी.
पर सच ही है. दिल अच्छा न हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता. तभी पीछे के कमरे में लगा कलैंडर हवा में फड़फड़ाया.

पूरन पाल ने अलसाई नजरों से देखा, कलैंडर पर हल चला रहे किसान की तसवीर थी और नीचे बाइबिल की आयत याकुब 2.26 लिखी थी, ‘निदान, जैसे देह ‘आत्मा’ के बिना मरी हुई है, वैसे ही विश्वास भी कर्म के बिना मरा हुआ है’.

पूरन पाल को मानो निदान मिल गया. सुबह गोलू को तैयार कर साइकिल पर बैठा कर ले जाने लगा तो पत्नी सारा ने पूछा, ‘‘कहां…?’’

‘‘गूंगेबहरे बच्चों के सरकारी स्कूल…’’ पूरन पाल ने जवाब दिया. Story In Hindi

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