हाल में कहीं पढ़ा था कि इनसान के पूर्वज माने जाने वाले चिंपांजी जब आपस में मिलते थे, तब वे सैक्स कर के एकदूसरे का स्वागत करते थे. इस बात से समझा जा सकता है कि सैक्स किसी भी जीव के बहुत जरूरी होता है और इस से मिलने वाली खुशी और मजे को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.

यह भी दावा किया जाता है कि हफ्ते में 2 से 3 बार सैक्स करने से इनसान की बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है. अच्छी नींद के लिए सैक्स बहुत अच्छी दवा माना जाता है. अगर वर्तमान की बात करें तो अभी इसी पल में दुनिया के 25 फीसदी लोग सैक्स के बारे में सोच रहे होंगे.

पर इसी सैक्स को ले कर बहुत सी मनगढ़ंत बातें भी इधर से उधर तैरती रहती हैं. पर क्या है इन की हकीकत, जानते हैं :

हस्तमैथुन का हौआ

हस्तमैथुन यानी मास्टरबेशन सैक्स का ही एक रूप माना जाता है, पर बहुत से लोग हस्तमैथुन को बहुत ज्यादा गंदा काम मानते हैं. उन्हें यह भरम होता है कि हस्तमैथुन करने से इनसान कमजोर हो जाता है. वह नामर्द भी हो सकता है. कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि इस से लोग अंधे तक हो जाते हैं. अगर कोई औरत हस्तमैथुन के लिए वाइब्रेटर का इस्तेमाल करती है, तो वह उस की आदी हो जाती है. लेकिन विज्ञान की नजर में ऐसा कुछ नहीं होता है.

मर्दाना अंग का आकार

दुनियाभर में बहुत से मर्द अपने अंग के लंबे, मोटे और कड़े न होने के भरम में जी रहे होते हैं. उन्हें लगता है कि किसी औरत को असली मजा अंग की लंबाई से मिलता है. यही वजह है लोग अपने अंग को किसी भी तरह बढ़ाने की दवा खाने को उतावले रहते हैं और भारत में तो नीमहकीम इसी बात का फायदा उठा कर अपनी जेब भरते हैं.

एक इंटरनैट सर्वे के मुताबिक, 45 फीसदी मर्द अपने अंग के आकार से संतुष्ट नहीं हैं. बाजार इसी चीज का फायदा उठा रहा है और अंग बड़ा करने की क्रीम, इंजैक्शन, गोलीकैप्सूल और भी न जाने क्याक्या बेच रहा है. अमीर लोग तो सर्जरी करा कर अपना अंग बढ़वाने से भी नहीं झिझकते हैं.

पर एक रिसर्च के मुताबिक, 85 फीसदी औरतें रिलेशनशिप में मर्दाना अंग के आकार को ले कर संतुष्ट रहती हैं. उन्हें आकार या मोटाई से उतना फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि अपनी संतुष्टि ज्यादा जरूरी होती है. अगर कोई मर्द अपनी पार्टनर को सैक्स में संतुष्ट कर रहा है, तो फिर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस के अंग का आकार क्या है.

औरत के बड़े उभार और सैक्स

दुनियाभर में इस बात को ले कर बहस चलती रहती है कि मर्द को सैक्स के दौरान बड़े उभार यानी बड़ी छाती वाली औरतें ही पसंद आती हैं, जबकि औरतों के उभार हर तरह के डीलडौल और आकार के होते हैं. वे बड़े, छोटे, चुस्त और ढीले, हर तरह के हो सकते हैं और यह भी जरूरी नहीं कि दोनों उभार एकसमान हों.

कई तरह के सर्वे में यह सामने आया है कि औरत के उभार के मामले में हर मर्द की पसंद अलग हो सकती है. किसी को बड़े तो किसी को छोटे उभार अच्छे लग सकते हैं. हां, यह जरूर कह सकते हैं कि तकरीबन हर मर्द को औरत के कसे और चुस्त उभार जरूर पसंद आते हैं.

कंडोम से बिगड़े मजा

बहुत से लोग यह मानते हैं कि कंडोम लगा कर सैक्स करने से मजा किरकिरा हो जाता है. पूरी तरह जोश नहीं आ पाता है और औरत भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाती है. यह कुछ ऐसा है जैसे कपड़े पहन कर नहाना.

लेकिन कई तरह की स्टडी में पाया गया है कि यह बात सच नहीं है. लोगों को इस का इस्तेमाल करने पर भी उतना ही मजा आता है, जितना इस के बिना. अब तो कुछ कंडोम इस तरह डिजाइन किए जाते हैं जिस से चरम सुख तक पहुंचने में देरी हो, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि इस से सैक्स का मजा कम हो जाता है.

स्वप्नदोष से कमजोर होते स्पर्म

स्वप्नदोष का मतलब है रात को सोते हुए सैक्स से जुड़ा कोई सपना देखने के बाद सीमन का निकल जाना. बहुत से जवान होते लड़के इसे बीमारी समझ कर इलाज ढूंढ़ने के लिए यहांवहां भटकते हैं और फिर खुद को चूना लगवा लेते हैं. उन्हें लगता है स्वप्नदोष से उन के चेहरे की चमक कम हो रही है और साथ ही सीमन के स्पर्म भी कमजोर हो रहे है. वे नामर्द तक हो सकते हैं.

पर हकीकत इस से उलट है. स्वप्नदोष एक कुदरती चीज है और इस का किसी तरह की कमजोरी से कोई लेनादेना नहीं है. न तो इस से स्पर्म की संख्या घटती है और न ही अंग सिकुड़ने की समस्या आती है. यह किसी भी उम्र में हो सकता है और चढ़ती जवानी की गलती से इस का कोई सरोकार नहीं है.

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