राजू की शादी खुशी से तकरीबन एक साल पहले हुई थी. खुशी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के एक गांव में अपने परिवार के साथ रहती थी. राजू से शादी होने के बाद वह उस के साथ मुंबई आ गई थी.

राजू काम में ज्यादा बिजी रहता था, पर जब भी वह घर आता, तो हर वक्त खुशी को अपनी बांहों मे भरे रहता था और उसे कभी यह अहसास नहीं होने देता था कि वह घर पर कम वक्त देता है.

राजू खुशी का बहुत ध्यान रखता था. घर के कामों में भी पूरी मदद करता था. उसे जिस चीज की जरूरत होती, उसे फौरन हाजिर करता था.

खुशी एक दिन नहा कर बाथरूम से निकल ही रही थी कि वह फिसल कर गिर पड़ी और उस के पैर की हड्डी टूट गई. डाक्टर ने उस के पैर पर प्लास्टर चढ़ा दिया और डेढ़ महीना बिस्तर से उठने को मना कर दिया.

घर आ कर खुशी ने राजू से कहा, ‘‘क्यों न एक महीने के लिए अपनी मां को यहां बुला लूं?’’

राजू ने कहा ‘‘हमारा घर छोटा है, इस में तुम्हारी मां कैसे एडजस्ट करेंगी?’’

खुशी बोली, ‘‘वह सब तुम मु झ पर छोड़ दो. हम तीनों यहीं सो जाया करेंगे.’’

राजू ने कुछ सोच कर कहा, ‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी मरजी. हम तो तुम्हारे गुलाम हैं. तुम्हें जैसा अच्छा लगे वही करो.’’

कुछ ही दिनों में खुशी की मां राजू के घर आ गईं. रात में तीनों फर्श पर बिस्तर बिछा कर सो गए. एक तरफ खुशी की मां, बीच में खुशी और दूसरी तरफ राजू. इस तरह तीनों ने एडजस्ट कर लिया. अगले दिन से ही खुशी की मां राबिया ने घर का सारा कामकाज संभाल लिया.

राजू की सास राबिया में एक अजीब सी कशिश थी. खुशी और उन्हें देख कर कोई भी यह नहीं कहता था कि वे दोनों मांबेटी हैं, बल्कि ऐसा लगता था, जैसे वे बहनें हों.

राबिया देखने में भी खुशी से बहुत ज्यादा खूबसूरत थीं. गदराया बदन, गुलाबी गाल, सुर्ख होंठ उन की खूबसूरती में चार चांद लगाए रहते थे.

रात का समय था. वे तीनों सो रहे थे. इसी बीच खुशी को बाथरूम जाना था. राबिया उसे सहारा दे कर बाथरूम ले गईं और उस के आने के इंतजार में बिस्तर पर आ कर लेट गईं.

नींद में करवट बदलते वक्त राजू का हाथ अपनी सास की छाती से छू गया. राजू ने उन्हें खुशी सम झ कर अपनी बांहों में भर लिया और उन के बदन को सहलाने लगा.

राबिया राजू के मजबूत हाथों की छुअन पाते ही मदहोश होने लगीं. उन्हें एक अजीब सा मजा महसूस होने लगा और धीरेधीरे उन्होंने अपने बदन को राजू की बांहों में धकेल दिया.

राजू हरकत कर रहा था और राबिया पूरी तरह मदहोश हो रही थीं. उन्होंने राजू को अपनी बांहों में पकड़ लिया और उस के होंठों पर अपने होंठ रख कर चुंबनों की बौछार कर दी.

इसी बीच राजू की नींद खुल गई. बांहों में अपनी सास राबिया को देख पहले तो वह थोड़ा हिचकिचाया, पर जल्द ही राबिया ने उस के बदन को चूम कर उस की हिचकिचाहट दूर कर दी.

अभी वे दोनों एकदूसरे के बदन से लिपटे हुए ही थे कि खुशी ने आवाज लगाई, ‘‘अम्मी, मु झे सहारा दो.’’

खुशी की आवाज सुन कर वे दोनों हड़बड़ा कर एकदूसरे से अलग हुए और दोनों के बदन की जलती हुई आग जहां की तहां थम कर रह गई.

उस रात राबिया ठीक से सो नहीं पाईं. उन्हें रहरह कर राजू के मजबूत हाथों की पकड़ सताने लगी थी.

राबिया एक जवान औरत थी. उन के बदन की आग को बूढ़ा शौहर ठंडा नहीं कर पाता था, क्योंकि उम्र के ज्यादा अंतर के हिसाब से राबिया की जवानी जब उफान पर थी, तब उन का शौहर बूढ़ा हो चुका था.

अगले दिन जब राबिया सुबह उठीं, तो उन्होंने तिरछी नजरों से राजू को देखा, जो नजरें चुरा कर उन्हें ही घूर रहा था. राबिया ने आज राजू को नाश्ता देते वक्त अपनापन जाहिर किया और उसे बड़े प्यार से नाश्ता कराया.

दोनों तरफ से नजरों ही नजरों में एकदूसरे के लिए चाहत गोते मार रही थी और दोनों मिलने के लिए मौके की तलाश में थे. जब रहा नहीं गया, तब राबिया ने राजू से कह दिया, ‘‘मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मु झे किसी भी कीमत पर तुम्हारा प्यार चाहिए. उस के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूं.’’

राजू ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं आज नींद की गोली लाता हूं. तुम उसे खुशी के दूध में मिला कर दे देना. जब वह गहरी नींद में सो जाएगी, तब हम एक हो जाएंगे.’’

राबिया ने रात को खुशी के दूध में नींद की गोली डाल दी और उसे वह दूध पिला दिया. जब खुशी गहरी नींद में सो गई, तब राबिया बिना वक्त गंवाए राजू के पास आ गईं और उस पर चुंबनों की बौछार करने लगीं.

आज वे रिश्तों की हर हद को पार करने का इरादा कर चुकी थीं. बरसों से थमी अपने जिस्म की आग को वे राजू जैसे जवां मर्द से ठंडा करने के लिए बेताब हो रही थीं. इस बेताबी में उन्होंने राजू के जिस्म के हर हिस्से को चूमचूम कर लाल कर दिया.

राजू राबिया का गोरा और गदराया बदन देख कर ऐसा दीवाना हुआ कि वह भी सासदामाद के रिश्ते को भूल गया और राबिया को अपनी बांहों में भर कर उन के अंगों से खेलने लगा.

राजू की इस हरकत से राबिया मदहोश होने लगीं. राजू ने पूरी ताकत से राबिया को जकड़ कर ऐसा सुख दिया, जो उन्हें अभी तक नहीं मिला था.

अब तो वे दोनों एकदूसरे के ऐसे दीवाने हो गए कि जब भी वक्त मिलता, वे एक हो जाते.

कहते हैं कि गलत काम करने में भले ही कितनी भी सावधानी बरतें, मगर एक न एक दिन वह गलत काम सामने आ ही जाता है. ऐसा ही कुछ राबिया और राजू के साथ भी हुआ.

खुशी का पैर अब सही हो चुका था. उसे चलनेफिरने में कोई तकलीफ नहीं थी. राबिया को वहां 4 महीने गुजर चुके थे. उन का मन अब वहां से जाने को नहीं कर रहा था.

खुशी ने एक दिन राबिया से पूछा, ‘‘अम्मी, आप का टिकट निकलवा दूं? कब जाने का इरादा है? घर पर अब्बा भी अकेले हैं.’’

राबिया बोलीं, ‘‘तुम मु झे अपने घर से भगाना चाहती हो क्या? जब तक तुम बिलकुल सही नहीं हो जाती, मैं तुम्हें छोड़ कर नहीं जाऊंगी.’’

खुशी बोली, ‘‘मैं तो अब ठीक हो गई हूं. चलफिर भी सकती हूं.’’

इस पर राबिया ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं तुम्हें बताती हूं.’’

राबिया राजू को छोड़ कर जाना नहीं चाहती थीं. राजू ने इन 4 महीनों में राबिया को जो जिस्मानी सुख दिया था, वे उसे खोना नहीं चाहती थीं. उन के बेजान जिस्म को राजू ने अपने प्यार से तराश कर एक नई महक भर दी.

आज राबिया अपने दामाद राजू की इतनी दीवानी हो चुकी थीं कि जो उन्हें उस से दूर करने की कोशिश करता, वे उसे अपना सब से बड़ा दुश्मन सम झने लगी थीं.

राजू भी अपनी सास का ऐसा दीवाना बना हुआ था कि अब उसे अपनी बीवी से भी कोई लगाव नहीं था. वह तो बस अपनी सास राबिया के गोरे और गदराए बदन का दीवाना बना बैठा था.

शाम का समय था. हलकीहलकी बारिश हो रही थी. राजू भीग चुका था. आज वह काम से जल्दी घर आ गया था. उस ने घर की डोरबैल बजाई. सामने राबिया खड़ी थीं. उन के बाल बिखरे हुए थे.

बाल हटाते हुए जैसे ही राबिया ने अपना मुसकराता हुआ चेहरा राजू के सामने किया, राजू दीवानों की तरह देखता ही रह गया और बोला, ‘‘वाह, क्या नजारा है. ऐसा लग रहा है, जैसे कोई चांद बादलों को चीरता हुआ सामने आ गया हो.’’

राजू अंदर आया. उस के कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे. शरीर का हर अंग साफसाफ नजर आ रहा था. राबिया बोलीं, ‘‘जल्दी कपड़े बदलो, नहीं तो बीमार पड़ जाओगे.’’

राजू ने इधरउधर देखा. खुशी वहां नहीं थी. वह वहीं कपड़े उतारने लगा. राबिया तौलिए से उस के बाल सुखाने लगीं. राबिया के छूने से राजू का हर अंग मचलने लगा. दोनों एकदूसरे का प्यार पाने के लिए उतावले हो उठे.

जल्द ही राजू और राबिया ने अपनेअपने कपड़े उतारे और एकदूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. जल्दीजल्दी में घर का दरवाजा बंद करने का भी उन्हें खयाल न रहा. वे दोनों एकदूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और अपनी रासलीला में इतने मगन थे कि उन्हें कुछ होश न था.

इतने में खुशी वहां आ गई. उस ने जैसे ही दरवाजा धकेला, तो अंदर का नजारा देख उस के होश उड़ गए.

खुशी अपनी मां पर चिल्लाते हुए बोली, ‘‘तुम्हें मेरा ही घर मिला था बरबाद करने को. अपने ही दामाद से नाजायज रिश्ता बनाते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई.’’

इस के बाद खुशी राजू पर बरसते हुए बोली, ‘‘तुम्हें अपनी मां जैसी सास के साथ यह सब करते हुए शर्म आनी चाहिए. लानत है तुम जैसे शौहर पर, जो अपनी सास के साथ ऐसा घिनौना रिश्ता बना रहे हो. अभी मैं तुम दोनों की काली करतूत अब्बा को बताती हूं,’’ कहते हुए खुशी अपने अब्बा के पास फोन करने ही वाली थी कि राबिया ने खुशी के सिर पर पास रखे गमले से ऐसी चोट की कि वह नीचे गिर पड़ी.

राजू ने फौरन खुशी के हाथ से फोन छीन लिया और उस का गला दबाने लगा.

राबिया खुशी के हाथपैर पकड़ कर चिल्लाने लगी, ‘‘राजू, मार दो इसे. इस के जीतेजी हम एक नहीं हो सकते. अगर यह जिंदा रही, तो हमारी असलियत सब को बता देगी,’’ और उस के बाद राजू और राबिया ने मिल कर खुशी को मौत के घाट उतार दिया.

खुशी की लाश घर में पड़ी थी. उसे देख कर वे दोनों इस चिंता में थे कि अब इस का क्या करें और कैसे पुलिस से बचें? देह की प्यास बु झाने के चक्कर में उन दोनों ने अपने रिश्ते को तो शर्मसार किया ही, साथ ही एक मां ने अपने नाजायज रिश्ते के चलते अपनी ही बेटी का खून कर दिया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...