‘‘जब मैं उसे देखता हूं, तो अपने होश खो बैठता हूं. उस के बिना तो मेरा जीना मुश्किल हो गया है,’’ राकेश ने अपने दोस्त अजय से कहा.
अजय ने चेहरे पर हलकी सी मुसकान लाते हुए कहा, ‘‘यार राकेश, तू तो बड़ा छिपा रुस्तम निकला. तू ने आज तक कभी यह बात नहीं बताई.’’
राकेश बोला, ‘‘प्यार ऐसी चीज है, जिस के बारे में किसी को नहीं बताया जा सकता. तू मेरा बचपन का दोस्त है, इसलिए मैं ने तुझे यह बात बताने की हिम्मत की है.’’
राकेश और अजय एक झोंपड़ी में बैठे हुए ये बातें कर रहे थे, जो राकेश के खेत पर बनी हुई थी. यहीं पर खेतों में सिंचाई करने के लिए एक ट्यूबवैल लगा था.
राकेश ज्यादातर ट्यूबवैल पर ही रहता है. यहीं उस के कुछ दोस्त आ जाते थे, जिन से उस का मन लगा रहता था.
गांव की ज्यादातर औरतें इसी ट्यूबवैल पर पानी भरने आती थीं. क्या करें, उन की भी मजबूरी थी, क्योंकि गांव का पानी खारा था.
गीता भी यहां रोजाना पानी लेने आती थी. राकेश और गीता की प्रेम कहानी इसी ट्यूबवैल से शुरू हुई थी.
राकेश बीए में पढ़ता था. उस के 2 बड़े भाई थे. एक भाई नौकरी करता था और दूसरा भाई खेती संभालता था.
राकेश कालेज से पढ़ कर यहीं झोंपड़ी में आ जाता था, क्योंकि यहां हरेभरे पेड़ थे और शांत माहौल था.
रोजाना की तरह गीता आज भी पानी भरने आई थी. वह अपना बरतन भरने वाली थी कि बिजली चली गई. वह सोच में पड़ गई कि अब क्या करे.
उधर राकेश पास में ही चारपाई पर बैठा किताबें पढ़ रहा था. अकेली लड़की, आसपास भी कोई नहीं, ऐसे में किसी का भी मन भटक सकता है. ऐसा ही राकेश के साथ भी हुआ. वह गीता को प्यारभरी नजरों से देखने लगा.
राकेश को देख कर गीता के मन में शक पैदा होने लगा और वह घबरा कर इधरउधर देखने लगी.
राकेश गीता से बातें करना चाह रहा था, पर उस की हिम्मत नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर बाद राकेश हिम्मत बटोर कर चारपाई से उठा और गीता की तरफ बढ़ा, लेकिन उस के पास पहुंचते ही वह सबकुछ भूल गया.
गीता ने राकेश को देख कर अच्छी तरह पहचान लिया कि वह उस से बात करना चाहता है, पर घबराहट के चलते कुछ कह नहीं पा रहा है.
गीता का डर खत्म हुआ और उस के खूबसूरत चेहरे पर मुसकान आ गई.
गीता की इस मुसकान को देख कर राकेश के दिल में गुदगुदी होने लगी. इसी बीच बिजली आ गई. राकेश ने फौरन मोटर चला दी और गीता पानी भरने लगी.
पानी भर कर गीता गांव की तरफ जाने लगी, तो राकेश उसे तब तक देखता रहा, जब तक वह गांव में नहीं पहुंच गई.
एक दिन राकेश ने ठान लिया कि वह गीता से अपने प्यार का इजहार कर के ही रहेगा. उसी समय गीता रोजाना की तरह पानी भरने आई.
राकेश हिम्मत कर के गीता के पास गया और बोला, ‘‘गीता, मुझे तुम से कुछ कहना है.’’
गीता बोली, ‘‘क्या?’’
राकेश बोला, ‘‘तुम बुरा तो नहीं मानोगी?’’
गीता ने कहा, ‘‘बुरा क्यों मानूंगी?’’
राकेश हिम्मत कर के धीरे से बोला, ‘‘गीता, मैं तुम्हें चाहने लगा हूं. तुम मुझे अच्छी लगने लगी हो.’’
यह सुन कर गीता का चेहरा सुर्ख पड़ गया. यह देख राकेश डर गया.
गीता बिना कुछ बोले पानी का बरतन ले कर चली गई. रास्ते में वह राकेश के बारे में सोचती जा रही थी और बीचबीच में उस के चेहरे पर हलकी मुसकराहट भी आ जाती थी.
इस के बाद राकेश और गीता के बीच रोजाना बातें होती रहीं और दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा.
अजय को पता चला कि राकेश जिस लड़की से प्यार करता है, वह तो उसी की महबूबा है, तो वह उस से जलने लगा.
अजय का गीता से एक साल से इश्क का चक्कर चल रहा था. गीता भी अजय को प्यार करती थी, लेकिन राकेश को इस बारे में कुछ पता नहीं था.
गीता का खिंचाव अजय से हट कर राकेश की तरफ बढ़ने लगा, यह बात अजय को अच्छी नहीं लग रही थी.
एक दिन अजय ने गीता से पूछा, ‘‘तू राकेश से बात क्यों करती है?’’
गीता ने जवाब दिया, ‘‘तुझे क्या मतलब है? मैं किसी से भी बात करूं, मेरी मरजी.’’
यह सुन कर अजय के अंदर मानो ज्वालामुखी फट पड़ा था. वह मन ही मन राकेश से नफरत करने लगा. उस ने सोच लिया, ‘अगर गीता मेरी नहीं हुई, तो मैं किसी की भी नहीं होने दूंगा.’
अजय ने भोला से बात की. भोला एक नंबर का ऐयाश था. उस की कमजोरी लड़की औैर शराब थी.
‘‘भोला, अगर आज तेरी मदद मिले, तो तु झे हुस्न और शराब दोनों मिल सकते हैं.’’
यह सुन कर भोला पागल भेडि़ए की तरह फड़फड़ाने लगा और बोला, ‘‘जल्दी बोल यार, क्या करना है?’’
अजय ने जैसे ही शराब की बोतल निकाली, भोला के मुंह में पानी आ गया.
अजय बोला, ‘‘आज जितनी पीना चाहे उतनी पी लेना, लेकिन अभी नहीं. काम हो जाने के बाद.’’
भोला अजय के साथ राकेश के ट्यूबवैल पर आ गया.
राकेश वहां चारपाई पर बैठ कर पढ़ाई कर रहा था. अजय और भोला उस के पास आ कर बैठ गए.
राकेश कुछ कहने वाला था कि अजय ने राकेश के गले में रस्सी डाली और उसे खींचने लगा. राकेश ने थोड़ी देर हाथपैर मारे, फिर शांत हो गया.
दोनों ने उसे झोंपड़ी में डाल दिया और झोंपड़ी के पीछे छिप गए. वहां दोनों ने खूब शराब पी.
थोड़ी देर बाद गीता पानी भरने आई. जब राकेश दिखाई नहीं दिया, तो वह झोंपड़ी के अंदर चली गई. उस ने जैसे ही राकेश की लाश को देखा, तो वह डर के मारे कांपने लगी.
वह कुछ सोचती, उस से पहले ही अजय और भोला ने उसे दबोच लिया.
अजय गीता से बोला, ‘‘आज तेरी वजह से मेरे दोस्त की जान गई है. पहले तू ने मु झ से प्यार किया और फिर राकेश से. तु झे यह नहीं पता कि मेरे दिल पर क्या बीत रही थी.
‘‘तुम लड़कियों में यही कमी है. पहले प्यार का ढोंग करती हो, फिर किनारा कर जाती हो. आज तु झे इस की सजा जरूर मिलेगी.’’
यह कह कर उन दोनों ने गीता को पकड़ लिया और बारीबारी से मुंह काला करने के बाद उसे जाने दिया.
बेचारी गीता अपने दुपट्टे को मुंह में दबाए रोती हुई गांव की तरफ चल दी. साथ ही, वह अपनेआप को कोसती जा रही थी कि आज अगर वह दोतरफा प्यार नहीं करती, तो शायद राकेश की जान और उस की इज्जत नहीं जाती.