आम भारतीयों के लिए चाहे क्रिकेट एक आस्था वाला खेल है, दुनिया के लिए यह केवल गोरे अंगरेजों के साहबों का खेल है जिसे दक्षिणी एशिया के गुलाम रहे देशों में दिल से अपना लिया गया. पहले इसे भारत की फुरसत को गिनाने के लिए 5-5 दिन खेला जाता था और सिर्फ साहब लोग खेलते थे जैसा आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ में दिखाया गया था. अब नए साहबों का खेल हो गया है पर यह गुलाम देशों से ज्यादा जगह नहीं खेला जा रहा है और इस बार भी 184-185 देशों में से कुल जमा 10 देशों के खेल को वर्ल्ड कप कहा गया और उसी में भारतीय महीनेभर से ज्यादा अपना समय बरबाद करते रहे.

क्रिकेट ऐसा खेल है जिस में खिलाड़ी तो 22 होते हैं पर 9 तो सिर्फ स्टेडियम में बैठे रहते हैं और कुछ देर 1 को हिलनाडुलना होता है तो कुछ देर 2 से 5 तक को, बाकी समय फील्ड पर 10-11 खिलाड़ी खड़े ही रहते हैं. यह जैंटलमैनों का खेल है पर भारत में काले साहबों को भी खुश करने के लिए ले लिया गया और धीरेधीरे इसी खेल ने राजनीतिक रंग ले लिया और भारतपाकिस्तान खेल होता है तो देशप्रेम का सवाल भी उठ खड़ा होता है.

क्रिकेट का भारत और पाकिस्तान में खेल से ज्यादा धर्म से संबंध हो गया है. भारत की क्रिकेट टीम खेलती है तो हिंदू आरोप लगाते हैं कि मुसलिम दुआ करते हैं कि भारत हार जाए और पाकिस्तान खेल रहा हो तो हिंदू प्रार्थना करते हैं कि पाकिस्तान हार जाए. ये हिंदूमुसलिम किस देश में रह रहे हैं इस का कोई फर्क नहीं पड़ता. इंगलैंड में पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया खेल रहे हों तो भारत से गए हिंदू तालियां पाकिस्तान की हार पर बजाते हैं.

इस तरह का हिंदूमुसलिम करने वाला खेल असल में तो पढ़ेलिखे तार्किक लोगों के लिए एक टैबू होना चाहिए पर जिस तरह भारतपाकिस्तान और फाइनल में भारतआस्ट्रेलिया मैचों में भीड़ उमड़ी थी और हर जगह बड़ी स्क्रीनें लगा कर हंगामा मचा था उस से यह तो साफ है कि यह कभी एक जमीन, एक देश में रहे लोगों के बीच की रेखाओं में से एक है.

भारतीय टीम का 2023 के वर्ल्ड कप फाइनल में 6 विकेट से हार जाना अपनेआप में कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि खेलों में हारजीत चलती है. भारत पहले इसी कप में आस्ट्रेलिया को हरा चुका था इसलिए उम्मीद थी कि यह फाइनल भी जीतेगा पर आस्ट्रेलिया ने जता दिया कि इस खेल में कला और कौशल के साथ बहुतकुछ और भी है.

यह खेल असल में सब से बड़ा जुआ बन चुका है. हर बात पर शर्तें लगती हैं. खिलाडि़यों पर आरोप लगते हैं कि वे शर्तों के व्यापार में लगे लोगों से रिश्वतें लेते हैं. हर क्रिकेट बोर्ड पर कोई राजनीतिक हैसियत वाला बैठा है क्योंकि वही ही रिश्वतों की, जुए की और विज्ञापनों से होने वाली आमदनी को जेब में रखने का हकदार है. क्रिकेट को धर्म की तरह बेचा जाता है जिस के धर्मगुरु हैं, पुजारी हैं, देवीदेवता हैं, कुछ देवीदेवता दूसरे खेमें में चले गए तो उन्हें दस्युओं की तरह आज के पंडों ने निकाल फेंका है.

आस्ट्रेलिया से वर्ल्ड कप हारने का मतलब यह नहीं कि भारतीय टीम कम हो गई है. शायद इस का कारण यही है आस्ट्रेलिया के खिलाड़ी बैटिंग (जुए वाली बैटिंग) के अनुसार खेलने को तैयार नहीं थे. भारत ने जीत की पूरी तैयारी कर ली थी. नरेंद्र मोदी और अमित शाह पूरे समय स्टेडियम में डटे रहे. इस दौरान देश पर कोई आर्थिक संकट नहीं आया. उत्तराखंड की सुरंग में फंसे दलितशूद्र मजदूरों का कोई खयाल नहीं आया क्योंकि यह क्रिकेट धर्म का मामला था.

भारत की तैयारी बेकार गई पर पैसा जिस का बनना था, पूरा बना होगा. यह कितना पैसा था, कितना लोगों ने खोया, कितना कमाया यह अंदाजा लगाना आसान नहीं है. बस अब अगले खेल के रिजल्ट का इंतजार है 3 दिसंबर को 5 विधानसभाओं के और 2024 में लोकसभा के. वे भी क्रिकेट की तरह ही हैं.

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