शायना के अम्मीअब्बू ने उस की शादी में कई लाख रुपए खर्च किए थे. खूब दहेज, जेवर और कैश दे कर उन्होंने सोचा था कि शायना की जिंदगी बेहतर हो जाएगी, ससुराल में इज्जत मिलेगी, इतना दहेज और कैश देने से उस का सुसराल में राज रहेगा, वह अपनी मनमानी करेगी और सब को उस की बात माननी पड़ेगी, क्योंकि वह एक बड़े घर के बेटी है, जो दहेज के साथ लाखों रुपए नकद लाई है…

शायना के अम्मीअब्बू की इस सोच ने शायना और उस के शौहर के बीच ऐसी दरार डाल दी, जो कभी नहीं भरी जा सकी और दोनों एक महीने के अंदर ही अलगअलग रह कर जीने के लिए मजबूर हो गए. शायना के जाने के बाद उस के शौहर शाहिद ने कई बार उसे फोन भी किया, पर उस के अम्मीअब्बू ने न तो शायना से शाहिद की बात होने दी और न ही शाहिद को शायना को अपने साथ ले जाने दिया.

वे इसी घमंड में रहे कि शाहिद उन की सारी बातें मानेगा और शायना वहां पर राज करेगी, पर उन का यह भरम उस वक्त टूट गया, जब शाहिद ने दूसरी शादी कर ली. शायना की शादी की बात शाहिद से तय हो गई थी. शाहिद के अब्बा का कपड़ों का कारोबार था.

शाहिद अपने अब्बा के साथ ही काम करता था. शाहिद के अलावा उस का एक और भाई था, जो कैंसर से पीडि़त होने की वजह से हर वक्त बीमार रहता था. सारे कारोबार की बागडोर शाहिद के हाथों में ही थी.  शाहिद ऊंची कदकाठी का एक खूबसूरत नौजवान था.

यही वजह थी कि शाहिद को पहली ही नजर में देख कर शायना के अम्मीअब्बू ने शाहिद के रिश्ते के लिए हां कर दी थी. शायना भी खूबसूरती की मलिका थी. ऊंचा कद, गदराए बदन के साथसाथ वह खूबसूरती की बेमिसाल मूर्ति थी.

गुलाबी होंठ और सुर्ख गाल उस की खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे. जो भी शाहिद और शायना की जोड़ी को देखता था, बस देखता ही रह जाता था. उन दोनों की तारीफ करने के लिए लोगों के पास अल्फाज कम पड़ जाते थे.

शायना की शादी के अभी 4 महीने बाकी थे. उस के अम्मीअब्बू ने उस के दहेज का सामान खरीदना शुरू कर दिया था. हर सामान ब्रांडेड खरीदा जा रहा था. अगर कोई सामान उन के शहर में न मिलता तो वह दूसरे शहर से मंगाया जाता था.

शायना के लिए लाखों रुपए का सोना खरीदा गया था. सोना सिर्फ सायना के लिए ही नहीं, बल्कि सायना की सास के लिए भी खरीदा गया था. इस तरह महीनों तक शायना की शादी की तैयारी चलती रही, फिर वह दिन भी आ गया जब शायना का निकाह शाहिद से होना था.

शाहिद बरात ले कर शायना के घर आ गया. बरातियों का स्वागत बड़ी धूमधाम से किया गया. कई तरह के खानों का इंतजाम किया गया. निकाह के बाद विदाई के समय भी लाखों रुपया नकद दिया गया और इस तरह लाखों रुपया खर्च होने के बाद शायना और शाहिद की शादी हो गई. शायना बड़ी धूमधाम के साथ अपनी ससुराल पहुंच गई. शायना और शाहिद एकदूसरे को पा कर बहुत खुश थे.

अभी शादी को कुछ दिन ही गुजरे थे कि शायना ने शाहिद से महंगे मोबाइल फोन की मांग की.  शाहिद बोला, ‘‘अभी रुक जाओ. तुम्हें जिस से भी बात करनी है, मेरे मोबाइल फोन से बात कर लिया करो. कुछ दिनों में मैं अब्बा से बात कर के तुम्हें नया मोबाइल फोन दिला दूंगा.’’

शायना को शाहिद की यह बात पसंद नहीं आई. अभी शायना की मोबाइल फोन की बात तो कबूल हुई नहीं थी कि शायना ने शाहिद से बोला, ‘‘अगले हफ्ते मैं अपने मायके जाऊंगी. लेकिन मुझे इस पुरानी कार से नहीं जाना.

तुम मेरी पसंद की नई कार ले लो, उसी से मैं अपने मायके जाऊंगी.’’ शाहिद ने शायना को समझाते हुए कहा, ‘‘यह कार भी तो सही है. इस में क्या खराबी है? क्यों फालतू की जिद कर रही हो…’’ शायना को शाहिद की यह बात बहुत नागवार गुजरी.

उस ने अगले ही दिन फोन पर अपनी अम्मी से शाहिद की शिकायत कर दी और बोला, ‘‘मुझे तुम से बात करने को दिल करता है, तो मैं तुम से बात भी नहीं कर सकती, क्योंकि इन्होंने अभी तक मुझे मोबाइल फोन  नहीं दिलाया.

‘‘मैं तुम से मिलने भी नहीं आ सकती, क्योंकि इन्होंने अभी तक नई कार भी नहीं खरीदी. कैसे फटीचर लोगों से तुम ने मेरी शादी करा दी.’’ अगले दिन शायना की अम्मी का फोन शाहिद के पास आ गया. वे छूटते ही बोलीं, ‘‘हमारे लेनदेन में कौन सी कमी रह गई थी, जो तुम मेरी बेटी शायना की ख्वाहिश पूरी नहीं कर सकते? तुम्हारी जगह किसी और को इतना सबकुछ देते तो मेरी बेटी के पैर धो कर पीता.’’

शाहिद को शायना की एक तो यह बात बुरी लगी कि शायना ने घर की बात अपनी अम्मी को बताई और उन से अपनी सुसराल की बुराई की, दूसरे शायना की अम्मी ने अपनी दौलत का रुआब दिखाते हुए उसे जलील किया. शाहिद ने शायना को समझाते हुए कहा, ‘‘तुम्हें अपनी अम्मी से घर की बात नहीं करनी चाहिए थी.’’

शायना फौरन तड़क कर बोली, ‘‘मैं अपनी परेशानी अपने अम्मीअब्बा को नहीं बताऊंगी, तो किसे कहूंगी…’’ और वह ऐंठ कर अपने बिस्तर पर  पड़ गई. शाहिद ने शायना को काफी समझाने की कोशिश की, पर वह न खाना खाने को तैयार हुई और न अपने कमरे से बाहर निकली.

शाम को फिर शाहिद के मोबाइल फोन पर शायना की अम्मी का फोन आया, तो शाहिद ने शायना को मोबाइल फोन देते हुए कहा, ‘‘लो, आप की अम्मी का फोन आया है.’’ शायना ने फोन लेते ही रोना शुरू कर दिया और शाहिद के सामने  ही अपनी अम्मी से शाहिद की बुराई करने लगी.

उस की अम्मी ने शायना को कहा, ‘‘तुम चुप हो जाओ. मैं आज ही तुम्हारे भाई को भेजती हूं. तुम उस के साथ घर आ जाओ. जब तक ये तेरी बात नहीं मानेंगे, तुम हमारे पास ही रहना.’’ कुछ ही देर में शायना का भाई उस की ससुराल पहुंच गया और शाहिद के मना करने पर भी शायना को अपने साथ ले आया. शाहिद को शायना की यह बात बहुत बुरी लगी.

जब इस झगड़े का पता  शाहिद के अम्मीअब्बू को पता चला तो अब्बू ने शाहिद को डांटा, ‘‘हमें क्यों नहीं बताया. हम उसे समझाते. तुम कल ही अपनी सुसराल जाओ और शायना को  ले कर आओ. घर की बात घर में ही रहनी चाहिए.’’ उधर जब शायना घर पहुंची, तो उस ने अपनी सुसराल की तमाम बुराइयां की और कहा, ‘‘शाहिद तो अपने अब्बा के ही कहने पर चलता है.

छोटीछोटी चीज के लिए अपने अब्बा के सामने हाथ फैलाता है. मैं ने जब उस से मोबाइल फोन खरीदने को कहा तो बोला कि अब्बा से बोलता हूं. जब  वे पैसे देंगे, तब मोबाइल फोन दिला दूंगा. कार के लिए कहा, तो बहाने बनाने लगा.’’ शायना की अम्मी बोलीं, ‘‘तू फिक्र मत कर. जब तक शाहिद और उस के अब्बू तेरी बात नहीं मानेंगे, मैं तुझे वहां नहीं भेजूंगी.’’ अगले दिन शाहिद ने शायना की अम्मी को फोन किया, ‘‘मैं शायना को लेने आ रहा हूं…’’ इस पर शायना की अम्मी बोलीं, ‘‘अपने अब्बा को साथ ले कर आना. जब तक वह सायना की बात नहीं मानेंगे, हम उसे नहीं भेजेंगे.

जब उन्हें फुरसत मिल जाए, तब दोनों साथ आना. हमारी बेटी की जिंदगी का मामला है. हमें  क्या पता था कि हमें तुम जैसे घटिया रिश्तेदार मिलेंगे.’’ शाहिद ने अपने अब्बा को बताया,  तो उन्हें बहुत बुरा लगा. उन्होंने भी फैसला कर लिया था कि वे उसे लेने वहां नहीं जाएंगे.

शाहिद ने अगले दिन फिर फोन किया और शायना से बात करने की कोशिश की, मगर शायना की अम्मी ने ऐसा नहीं होने दिया.  शायना की अम्मी को यह घमंड था कि ससुराल वालों को शायना जैसी खूबसूरत और पैसे वाली लड़की मिली है, वे जरूर हाथ जोड़ कर आएंगे और शायना की सारी बातें मानेंगे. इधर शाहिद के छोटे भाई की अचानक तबीयत खराब हो गई.

घर के सब लोग उस की फिक्र करने लगे, क्योंकि उस का कैंसर लास्ट स्टेज पर पहुंच गया था. वह कुछ हफ्ते का ही मेहमान था. शाहिद ने शायना से बात करने की कोशिश की, पर उस ने उस से बात नहीं की. शाहिद ने उस की अम्मी को बताया, ‘‘भाई की तबीयत बहुत खराब है.

मैं शायना को लेने आ रहा हूं. अब्बा के पास अभी टाइम नहीं है. वे बहुत ज्यादा परेशान हैं.’’ शायना की अम्मी ने साफ मना कर दिया, ‘‘हम तब तक शायना को नहीं भेजेंगे, जब तक तुम्हारे अब्बू नहीं आएंगे.’’ शाहिद यह सुन कर दंग रह गया, फिर भी वह हिम्मत कर के शायना को लेने अपनी सुसराल पहुंच ही गया.

उस ने शायना से बात करनी चाही, मगर उस की सास ने उसे बात करने से मना कर दिया और उसे शाहिद के साथ भी भेजने से इनकार कर दिया. शाहिद निराश हो कर खाली हाथ वहां से वापस आ गया. जब शाहिद के अम्मीअब्बू को इस बात का पता चला, तो उन्हें बहुत बुरा लगा.

इधर वह दिन भी आ गया, जब शाहिद का छोटा भाई यह दुनिया छोड़ कर चला गया, जिस से पूरे घर वालों  को काफी दुख हुआ. घर में मातम  पसर गया. इतना सबकुछ होने के बाद भी शायना के घर वालों को जब इस बात की खबर मिली, तो उन में से कोई भी इस गमगीन माहौल में शाहिद के घर वालों को दिलासा देने नहीं गया. वक्त गुजरता गया.

कुछ रिश्तेदारों ने शायना के अम्मीअब्बू को यह दिलासा दी थी कि शाहिद जरूर अपने अब्बा के साथ शायना को लेने आएगा. शायना की अम्मी ने भी उसे यह कह रखा था कि तुम अपनी जिद पर डटी रहना. अभी वह वक्त है, जब शौहर को अपने इशारों पर नचाया जा सकता है.

अगर तुम हिम्मत हार गई, तो जिंदगीभर उस के और उस के घर वालों के इशारों पर तुम्हें नाचना पड़ेगा. इस तरह उन दोनों के रिश्ते में दरार बढ़ती गई. वक्त तेजी से गुजर रहा था.

शायना को अकेलापन अब खाने को दौड़ रहा था, लेकिन अपनी मां की जिद की वजह से वह सही फैसला नहीं ले पा रही थी. उसे लग रहा था कि पता नहीं कब  तक यों अकेले जिंदगी बितानी पड़ेगी? क्या शाहिद उसे लेने वापस आएगा भी या नहीं? उधर शाहिद ने मुसलिम पर्सनल ला के तहत दूसरी शादी कर ली और अपनी जिंदगी खुशीखुशी गुजारने लगा.

जब शायना और उस के अम्मीअब्बू को शाहिद की दूसरी शादी का पता चला, तो उन के होश उड़ गए. उन्होंने सपने में भी यह नहीं सोचा था कि शाहिद ऐसा भी कर सकता है. गुस्से में आ कर उन्होंने शाहिद से फैसला करने के बजाय उस पर दहेज लेने के अलावा और भी कई केस कर दिए, पर इस से कोई हल नहीं निकला. केस चल रहा है.

शायना घर पर बैठी है. जब तक उस का तलाक या कोई और फैसला नहीं होता, उसे यों ही बिना निकाह के घर पर ही रहना पड़ रहा है. इस केस को एक साल हो गया है, पर अभी तक शायना के अम्मीअब्बू कोई रास्ता नहीं निकाल पाए हैं. उन्होंने अपनी जिद के चक्कर में शायना की जिंदगी बरबाद कर दी और उन दोनों के रिश्ते में एक ऐसी दरार डाल दी जो कभी नहीं भरी जा सकती.

शायना आज अपने घर पर एक जीतीजागती मूर्ति बन कर रह गई थी और सोच रही थी कि काश, मैं अपने घर को खुद ही संभाल कर चलती तो आज यह दिन न देखना पड़ता. उस की उम्र ढलने लगी, पर अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.  शायना कर भी क्या सकती है, वह खुद एक जिंदा लाश बन कर रह गई है. उन के रिश्तों की इस दरार की वजह उस की मां और खुद शायना है. अगर वक्त रहते वह सही फैसला ले लेती, तो उसे आज यह दिन न देखना पड़ता.

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