नेहा महतो के साथ शादी हो जाने के बाद मैं ने एक बड़ी मजेदार बात नोट की है. अब लड़कियों के बीच में मेरी लोकप्रियता पहले से ज्यादा बढ़ गई है. इस बदलाव का कारण भी समझ में आता है. जो चीज आप को आसानी से उपलब्ध नहीं हो, उस में दिलचस्पी का बढ़ जाना स्वाभाविक ही है. हमारे समाज में वैसे तो लड़कियों से मेलजोल आसान नहीं होता पर फिर भी पढ़ते समय, कालेज में, फैक्ट्री में जाते समय, खेत पर कुछ देनेलेने जाते समय मौके मिल ही जाते हैं.

लड़कियां बहुत सुंदर हों, ऐसा नहीं पर इन के लटके-झटके बहुत होते हैं. कारों में बाप और भाई के घर से बाहर निकलते ही ये आजाद पंछी की तरह ऊंची उड़ानें भरनी शुरू कर देती हैं. लड़कियों के साथ फ्लर्ट करना मैं ने बंद तो नहीं किया है पर अब ऐसा करने में पहले जैसा मजा नहीं रहा. उन का दिल जीतने के लिए मेहनत करने का अब दिल नहीं करता.

प्यारमोहब्बत की बातें कर के मामला आगे बढ़ाने का फायदा ही क्या जब इंसान उन के साथ मौजमस्ती करने की बात सोच कर मन ही मन भयभीत हो उठता हो?

मेरा कोई पुराना दोस्त कभी विश्वास नहीं करेगा कि मैं अब सिर्फ नेहा के साथ जुड़ा हुआ जी रहा हूं. उन सब का मानना था कि शादी हो जाने के बाद भी मेरा सुंदर लड़कियों को अपने प्रेमजाल में फंसाने का शौक बंद नहीं होगा.हम सब दोस्त मानते थे कि लड़की के साथ संबंध न बनें तो मर्दानगी कैसे होगी.

शादी होने तक मैं दसियों लड़कियों से लुकाछिपा का दोषी रहा था. मुझ पर शादी करने के लिए किसी ने जोर डालना शुरू किया या जिस ने सतीसावित्री बनने की कोशिश की, उस को मांबाप और खाप का डर व जाति क्षेत्र की बात कर एक तरफ कर देने में मैं ने कभी देर नहीं लगाई थी.

फिर एक वक्त ऐसा आया कि मेरे जानपहचान के दायरे में जितनी भी लड़कियां मौजूद थीं, वे कभी न कभी मेरी या मेरी किसी दोस्त की प्रेमिका रह चुकी थीं. बस, प्रेमिकाओं की अदलाबदली कर हम दोस्त अपनेअपने मुंह का स्वाद बदल लेते थे. एकदूसरे की जूठन से शादी कर के हंसी का पात्र बनने की मूर्खता करने को कोई तैयार नहीं था.

मुझे जैसे मौजमस्ती के शौकीन इंसान की जिंदगी में भी एक वक्त ऐसा आया कि मन में अपना घर बसाने की इच्छा बड़ी बलवती हो उठी. मुझे जब ऐसा महसूस हुआ तो मैं ने अपनी जीवनसंगिनी ढूंढ़ने की जिम्मेदारी अपने मातापिता के ऊपर डाल दी.

नेहा महतो के साथ मेरा रिश्ता पक्का करने में मेरी बूआ ने बिचौलिए की भूमिका निभाई थी. वह हम सब को पहली नजर में पसंद आ गई थी.

रिश्ता पक्का हो जाने के बाद हम दोनों ने मोबाइल पर खूब बातें करनी शुरू कर दीं. सप्ताह में एकदो बार बाहर छिपछिप कर मिलने लगे. ऐसी हर मुलाकात के बाद मेरे दिल में उस के प्रति दीवानगी के भाव बढ़ जाते थे.

उस की पर्सनैलिटी में एक गहराई थी. ऐसी गरिमा थी जो कसबाई लड़कियों में नहीं होती. मैं ने अब तक अपनी किसी पुरानी जानपहचान वाली नहीं पाई थी. उस की आंखों में झांकते ही मुझे अपने प्रति गहरे प्रेम और पूर्ण समर्पण के भावों का सागर लहराता नजर आता.

हम दोनों साथ होते तो हंसीखुशी भरा वक्त पंख लगा कर उड़ जाता. अभी और ज्यादा देर के लिए उस का साथ बना रहना चाहिए था, सदा ऐसी इच्छा रखते हुए ही मेरा मन उस से विदा लेता था. उस के भाई लोग बहुत सख्त थे. मैं भी बेकार का पंगा नहीं लेना चाहता था.

नेहा एक दिन मुझे अपने कालेज के दोस्त नीरज के घर ले कर गई. उस ने हमें लंच करने के लिए आमंत्रित किया था.

कुछ देर में ही मुझे यह एहसास हो गया कि नेहा को इस घर में परिवार के सदस्य की तरह से अपना समझ जाता था. नीरज चौधरी की पत्नी कविता उसे देख कर फूल सी खिल गई थी. उन के 3 साल के बेटे आशु का नेहा आंटी के साथ खूब खेलने के बाद भी दिल नहीं भरा था. उस का घर 2 कमरे का ही था पर लगता था कि वहां तो दिलों में जगह है.

‘समीर, नेहा का हमारी जिंदगी में बड़ा खास स्थान है. उस की दोस्ती को हम बहुमूल्य मानते हैं. हमारे इस छोटे से घर में तुम्हारा सदा स्वागत है.’ कविता के दिल से निकले इन शब्दों ने मुझे भी इस परिवार के बहुत निकट होने का एहसास कराया था.

मेरी खातिर करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. खाने में चीजें मेरी पसंद की थीं. अपनी भूख से ज्यादा खाने को मुझे उन दोनों के प्यार ने मजबूर किया था.

खाना खाने के बाद जब आशु सो गया तो उन तीनों के बीच सुखदुख बांटने वाली बातें शुरू हो गईं. पहले आशु को अच्छे स्कूल में प्रवेश दिलाने पर चर्चा हुई. तय यही हुआ कि सरकारी स्कूल में भेजा जाए क्योंकि प्राइवेट में आगे चल कर पढ़ाई बहुत महंगी हो जाएगी.

मैं तो कुछ देर बाद इस चर्चा से उकता सा गया पर नेहा की दिलचस्पी रत्तीभर कम नहीं हुई. करीब डेढ़ घंटे के बाद जब 2 सरकारी स्कूलों के नाम का चुनाव हो गया तो उन सब के चेहरे संतोष व खुशी से चमक उठे थे.

इस के बाद नेहा की शादी के लिए चल रही खरीदारी चर्चा का विषय बनी. इस बार वार्त्तालाप कविता और नेहा के बीच ज्यादा हो रहा था पर नीरज का पूरा ध्यान उन दोनों की तरफ बना रहा तो मैं अपने बजट के हिसाब से खरीदारी करना चाह रहा था.

मुझे एक बात ने खासकर प्रभावित किया. ये तीनों आपस में बहुत खुले हुए थे. एकदूसरे के समक्ष अपने मनोभावों को खुल कर व्यक्त करने से कोई भी बिलकुल नहीं हिचकिचा रहा था. हर कोई अपनी सलाह दोस्ताना ढंग से दे कर खामोश हो जाता. वह सलाह मानी भी जाए, ऐसा दबाव कोई किसी पर बिलकुल नहीं बना रहा था. हालांकि नीरज चौधरी के घरवालों के रिश्तेदारों में कई पुलिस व पौलिटिक्स में थे पर वह रोबदाब बनाने की कोशिश उस ने कभी नहीं की. नीरज के माथे पर पुराने घाव का लंबा सा निशान था. इस के बारे में जानकारी प्राप्त करने की उत्सुकता मेरे मन में धीरेधीरे बढ़ती जा रही थी.

‘यह निशान कैसे मिला?’ मेरे इस सवाल को सुन वे तीनों ही खिलखिला कर हंस पड़े थे.

‘यह कैसे मिला और इस से क्या मिला, इन दोनों सवालों का जवाब जानने के लिए तुम्हें एक कहानी सुननी पड़ेगी, समीर,’ नेहा के इस जवाब ने पूरी बात जानने के लिए मेरी उत्सुकता और ज्यादा बढ़ा दी.

उस ने मुझे बताया कि कालेज के दूसरे साल में बाहर से आए कुछ बदमाश युवक जब उसे गेट के पास छेड़ रहे थे तब नीरज इत्तफाक से पास में खड़ा था. उस वक्त तक नेहा और उस की कोई खास जानपहचान नहीं थी.

नीरज ने जब अपने साथ पढ़ने वाली नेहा को तंग किए जाने का विरोध किया तो वे लड़के उस के साथ मारपीट करने पर उतर आए थे. नेहा के बहुत मना करतेकरते भी नीरज उन से लड़ने को तैयार हो गया था. नीरज कुश्ती वगैरह बचपन से करता था पर पांचपांच से भिड़ना तो आसान नहीं था.

‘यह नीरज एक सिरफिरा इंसान है, समीर. उस दिन यह अकेला ही उन पांचों से लड़भिड़ गया था. यह माथे का घाव जनाब को उस दिन अपने उसी दुस्साहस के कारण मिला था,’ नेहा ने नीरज का कंधा आभार प्रकट करने वाले अंदाज में दबाते हुए समीर को जानकारी दी.

‘और लगे हाथ यह भी बता दो कि इस जख्म से नीरज को क्या मिला?’ मैं ने नेहा से मुसकराते हुए पूछा.
‘मुझे नेहा की दोस्ती मिली,’ नेहा के कुछ बोलने से पहले ही नीरज ने जवाब दिया.

‘और मेरे सब से अच्छे दोस्त को मिली यह प्यारी सी हमसफर,’ नेहा ने कविता का हाथ पकड़ कर नीरज के हाथ में पकड़ा दिया, ‘समीर, उस दिन नीरज के इस घाव की मरहमपट्टी कविता ने अपनी स्कूटी में रखे फर्स्टएड बौक्स को निकाल कर की थी. यह हमारी जूनियर थी. नीरज की हिम्मत ने इस का दिल उस पहली मुलाकात में ही जीत लिया था.’

‘वैसे कायदे से तो समीर को ऐसी हिम्मत दिखाने का इनाम नेहा के प्यार के रूप में मिलना चाहिए था,’ मेरे इस मजाक ने उन तीनों को एकाएक ही गंभीर बना दिया तो बात मेरी समझ में नहीं आई.

मेरी उलझन को नीरज ने दूर करने की कोशिश की, ‘उस दिन होली खेल कर लौट रहा कमल नाम का एक सीनियर मेरी मदद को आगे आया था. उस के हाथ में हौकी देख कर वे बदमाश भाग निकले थे. उस दिन नेहा का दिल कमल ने जीता था पर…’ ‘बात अधूरी मत छोड़ो, नीरज.’

‘यह कमल नेहा का विश्वसनीय और वफादार प्रेमी नहीं बन सका. सिर्फ 3 महीने बाद नेहा ने उस के साथ सारे संबंध तोड़ लिए थे.’

‘क्या किया था उस ने?’ यह सवाल मैं ने नेहा से पूछा.

‘रितु के साथ वह एक पुराने खंडहर में पकड़ा गया था. कमल ने दोस्ती और प्रेम दोनों के नाम को कलंकित किया था. नेहा के होंठों पर उदास सी मुसकान उभरी.’

‘रितु गुप्ता नेहा की सब से अच्छी सहेली थी. कमल के साथ नेहा की दोस्ती बढ़ी तो रितु को भी उस के साथ हंसनेबोलने के खूब मौके मिलने लगे. नेहा सोचती थी कि वह अपने होने वाले जीजा से अच्छी नीयत के साथ हंसीमजाक करती है पर रितु की नीयत में खोट आ गया था.

उसे लग रहा था कि बहती गंगा में हाथ धो ले. वह बहुत सैक्सी किस्म की लड़की है.’
‘नेहा को जिस दिन असलियत पता लगी उसी दिन उस ने कमल को दूध में पड़ी मक्खी की तरह से निकाल अपनी जिंदगी से दूर फेंक दिया था. रितु गुप्ता को धोखा देने की जो सजा नेहा ने दी थी वह कालेज में महीनों चर्चा का विषय बनी रही थी,’ मुझे ये सारी बातें बताने के बाद नीरज चौधरी रहस्यमयी अंदाज में मुसकराने लगा.

मैं ने नेहा की तरफ सवालिया नजरों से देखा तो वह बेचैनीभरे अंदाज में बोली, ‘कमल कटियार से मेरी जानपहचान तो नई थी पर रितु के साथ मेरी दोस्ती 5 साल से ज्यादा पुरानी थी. उस ने मु?ो धोखा दिया तो मैं गुस्से से पागल हो गई थी, समीर. म… मैं ने तब उसे जान से मारने की कोशिश भी की थी.’

‘यह क्या कह रही हो?’ मैं बुरी तरह से चौंक पड़ा.

‘अरे, कोई जहर दे कर नहीं बल्कि जुलाब की गोलियां खिला कर नेहा ने उसे विश्वासघात करने की सजा दी थी. उस धोखेबाज के उस दिन कपड़े खराब हो गए थे क्योंकि शौचालय के दरवाजे पर गुस्से से लालपीली हो रही नेहा खड़ी हुई थी और उस में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह इस के सामने आ जाए. उस घटना के कई चश्मदीद गवाह थे. अपना मजाक उड़वाने से बचने के लिए वह महीनेभर तक कालेज आने की हिम्मत नहीं कर सकी थी,’ नीरज ने पूरी घटना का ब्योरा ऐसे मजाकिया अंदाज में सुनाया कि उस समय घटे दृश्य की कल्पना कर हम सभी जोर से हंस पड़े थे.

‘अच्छे दोस्त जीवन में बड़ी मुश्किल से मिलते हैं, समीर. समझदार इंसान को उन की बहुत कद्र करनी चाहिए,’ कविता ने अचानक भावुक हो कर अपनी राय जाहिर की थी.

‘बिलकुल ठीक कह रही हो तुम,’ मैं ने फौरन अपनी सहमति जताई.

‘दोस्तों से कोईर् भी अहम बात छिपाना गलत होता है.’

‘यह भी बिलकुल सही बात है.’

‘तब यह बताओ कि मौडलिंग करने वाली शिखा के साथ तुम्हारे किस तरह के संबंध हैं?’ कविता द्वारा अचानक पूछे गए इस सवाल ने मेरे दिल की धड़कनें बहुत तेज कर दी थीं.

‘वह मेरी अच्छी दोस्त है,’ मैं ने अधूरा सच बोला.

उन तीनों ने मेरा जवाब सुन कर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की. बस, खामोशी के साथ मेरी तरफ ध्यान से देखते हुए वे मेरे आगे बोलने का इंतजार कर रहे थे.

‘तुम सब शिखा को कैसे जानते हो?’ कुछ और सचझूठ बोलने के बजाय मैं ने यह सवाल पूछना बेहतर समझ था.
शिखा मेरी मौसी के गांव की लड़की थी और दिल्ली में रह कर पढ़ाई कर रही थी.

‘वह कल शाम मुझ से मिलने मेरे घर आईर् थी,’ नेहा ने मुझे बताया.
‘क्या कह रही थी वह?’ मेरे मन की बेचैनी बहुत ज्यादा बढ़ गई.
‘किस बारे में?’

‘मेरे बारे में, अपने और मेरे बारे में उस ने कुछ ऊटपटांग बातें तो तुम से नहीं कही हैं?’
नेहा ने गहरी सांस छोड़ी और गंभीर लहजे में बोली, ‘इस बात को लंबा खींचने के बजाय मु?ो जो कहना है, वह मैं तुम से साफसाफ कहे देती हूं.’

‘शिखा तुम्हें धोखेबाज इंसान बता रही थी क्योंकि तुम ने उस के साथ शादी करने के अपने वादे को तोड़ा है. तुम्हारे साथ अपनी अति निकटता को सिद्ध करने के लिए उस ने अपने मोबाइल में सेव किए कुछ फोटो भी मुझे दिखाए थे.’

‘ओह.’

‘लेकिन तुम्हारे खिलाफ लगातार जहर उगलते रहने के कारण वह मु?ो तुम्हारी प्रेमिका कम और दुश्मन ज्यादा लगी तो उस की बातें मेरे दिल को गहरी चोट पहुंचाने में सफल नहीं रही थीं. अब मैं तुम से एक महत्त्वपूर्ण सवाल पूछना चाहूंगी, समीर.’

‘तुम अपना सवाल जरूर पूछना पर मैं पहले कुछ कहना चाहूंगा. शिखा के साथ मेरे जो संबंध थे उसे प्रेम नहीं कहा जा सकता है. मौजमस्ती की शौकीन उस लड़की के ऊपर बहुत सारा पैसा खर्च कर के मैं ने उस के साथ को पाया था. मुझे पता चला है कि उस की बड़ी बहन भी ऐसी ही थी. वे 4 बहनें हैं और मांबाप किसी तरह उन की शादी करा देना चाहते हैं और इसलिए छूट देते हैं.

‘वह झठ कह रही थी कि मैं ने उस के साथ शादी करने का वादा किया था. यह तुम सब भी सम?ा सकते हो कि ऐसी लड़कियों से शादी में किसी भी लड़के की दिलचस्पी नहीं होती है. मैं सच कह रहा हूं कि जब से नेहा मेरी जिंदगी में आई है तब से मैं ने शिखा या अपनी पुरानी किसी दोस्त के साथ रत्तीभर गलत संबंध नहीं रखा है,’ उन्हें सचाई बताते हुए मैं काफी उत्तेजित हो उठा था.

नीरज और कविता ध्यानपूर्वक नेहा की तरफ देखने लगे. जो कुछ मैं ने कहा था शायद वे दोनों उस के प्रति नेहा की प्रतिक्रिया जानना चाहते थे.

कुछ देर सोचविचार में डूबे रहने के बाद नेहा गंभीर लहजे में मुझसे बोली, ‘समीर, मैं तुम्हें अपना जीवनसाथी मान दिल की गहराइयों से प्यार करने लगी हूं. इसलिए मैं तुम्हारी पुरानी करतूतों को भुलाने को तो तैयार हूं पर क्या तुम आगे मेरे प्रति पूरी तरह से वफादार रह सकोगे?’

‘बिलकुल वफादार रहूंगा क्योंकि मैं तुम्हें दिल की गहराइयों से प्यार करता हूं. तुम जैसी सोने का दिल रखने वाली लड़की को पा कर कोई भला क्यों इधरउधर तांक?ांक करेगा?’ उसे अपने प्यार का भरोसा दिलाते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए.

‘इस वक्त दिए गए अपने इस जवाब को तुम आजीवन कभी भूलोगे तो नहीं?’

‘नहीं.’

‘देखो, तुम को अपने ऊपर भरोसा न हो तो अभी हम अपनीअपनी राह आगे बढ़ जाएंगे. मु?ो जो गम होगा, उसे मैं सहन कर लूंगी. लेकिन शादी हो जाने के बाद अगर तुम ने मेरे साथ कभी भरोसा तोड़ा…’
‘मैं तुम्हें ऐसी शिकायत का कभी मौका नहीं दूंगा, माई लव,’ मैं ने नेहा का हाथ अपने हाथ में ले कर चूम लिया.

‘पक्का?’

‘वैरीवैरी पक्का.’

‘तब अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुशियां भरने में कोई कसर नहीं उठा रखने का वादा मैं इस पल तुम से करती हूं,’ नेहा ने आगे झक जब मेरे गाल पर प्यारभरा चुम्मा लिया तो मेरे पूरे बदन में ?ार?ारी सी दौड़ गई थी.

नीरज ने उठ कर मुझे गले से लगाते हुए गंभीर लहजे में कहा, ‘नेहा की खुशी के लिए मैं अपनी जान दे भी सकता हूं और किसी की जान ले भी सकता हूं. तुम दोनों की जरूरत में काम आना मेरे लिए खुशी की बात होगी, हमारे नए दोस्त. मुझे हमेशा मांबाप ने सिखाया है कि कुरबानी देनी पड़े तो हटना नहीं. हमारे घरों के कितने ही तो फौज में हैं.’

‘इस हीरे की सदा बहुत कद्र करना, समीर,’ कविता ने मेरा हाथ पकड़ कर नेहा के हाथ में दिया और हम तीनों के हाथ को अपने बड़ेबड़े हाथों से ढक कर नीरज ने हमारी नई बनी दोस्ती की नींव डाली थी.

नेहा के साथ शादी कर के मैं हर तरह से बहुत खुश हूं. नीरज मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया है. कविता मुझे घर के जंवाई जैसा आदरसम्मान देती है.

मैं चाहूं भी तो अब किसी लड़की को अपने प्रेमजाल में फंसाने की हिम्मत या जुर्रत नहीं कर सकता. पहली मुलाकात के दिन नीरज के घर में हुई बातों ने मेरे मन में इन तीनों का अजीब सा डर बिठा दिया है. नेहा को धोखा दे कर इन तीनों को नाराज करना पूरे खानदान को खतरे में डालना होगा, यह बात मेरे मन में कहीं गहरी जड़ें जमा चुकी है.

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