साल 2024 के लोकसभा चुनाव का प्रचार अभियान उत्तर प्रदेश में शुरू हो चुका है. भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में मोदी सरकार को तकरीबन 10 साल और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 6 साल पूरे हो चुके हैं. इस के बाद भी चुनाव में वह पार्टी राम के नाम के सहारे ही जाना चाहती है.

इसी के तहत चैत्र महीने के नवरात्र में उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में राम जन्मोत्सव मनाने का काम किया और पूरे नवरात्र प्रदेशभर में धार्मिक आयोजन हुए. इन आयोजनों का मकसद केवल जनता का ध्यान अपराध, महंगाई, बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों से हटाने का था.

उत्तर प्रदेश में विकास के नाम पर टूटी सड़कें हैं, जिन को ले कर भारतीय जनता पार्टी के विधायक योगेश शुक्ला ने ही अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. ऐसे तमाम बड़े मुद्दों पर लोगों का ध्यान न जाए, इस वजह से ही पूजापाठ का सहारा लिया गया.

जिन जिलाधिकारियों को जिले के विकास और कानून व्यवस्था का काम देखना था, वे मंदिरों में पूजापाठ की व्यवस्था देखने का काम करते रहे. पूजापाठ के लिए वे गाने वालों और देवीदेवताओं का रूप धरने वालों को तलाश करते रहे. यही नहीं, संस्कृति विभाग के अफसरों समेत तमाम दूसरे अफसर इस की देखरेख में लगे रहे. ‘रामचरितमानस’ का विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी इस पर खामोश रही और कांग्रेस की आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह साबित हुई.

डीएम साहब के हवाले इंतजाम

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को ‘पूजापाठ वाली सरकार’ कहा जाता है. उन के तमाम फैसले इसी तरह के होते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान यात्रियों पर हैलीकौप्टर से फूल बरसाने, सड़कों की धुलाई करने के साथसाथ अयोध्या में हर साल दीवाली के समय दीपोत्सव करना उस का साल दर साल रिकौर्ड बनाना खासतौर पर याद किया जाता है. इस सिलसिले में नया काम नवरात्र के दिनों में जिला लैवल पर ‘रामायण पाठ’ और ‘दुर्गापाठ’ कराना जुड़ गया.

योगी सरकार ने नवरात्र में देवी मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और रामनवमी पर अखंड रामायण पाठ का आयोजन कराने का आदेश दिया. सरकार ने प्रदेश के हर जिले में जिला, तहसील और ब्लौक स्तरीय समितियों का गठन कर के नवरात्र में देवी मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और रामनवमी पर अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया.

योगी सरकार ने चैत्र नवरात्र और रामनवमी पर प्रदेश के देवी मंदिरों और शक्तिपीठों में 22 मार्च से 30 मार्च तक दुर्गा सप्तशती का पाठ और देवी गायन जागरण के कार्यक्रम आयोजित किए. इन कार्यक्रमों में महिलाओं और बालिकाओं को खासतौर से जोड़ा गया.

संस्कृति विभाग ने उठाया जिम्मा

प्रमुख सचिव, संस्कृति, मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से इस बारे में सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी किया गया था. इस आयोजन के लिए हर जिले में जिला, तहसील और ब्लौक स्तरीय समितियों का गठन किया गया.

इन कार्यक्रमों को पेश करने वाले कलाकारों के मानदेय भुगतान के लिए संस्कृति विभाग ने हर जिले को जिला पर्यटन एवं सांस्कृतिक परिषद की ओर से एक लाख रुपए की धनराशि मुहैया कराई गई. आयोजन की दूसरी व्यवस्थाएं कराने के लिए जिला प्रशासन को कहा गया.

सभी कार्यक्रम दुर्गा की महिमा के अनुरूप आयोजित कराए जाने का निर्देश दिया गया था. हर जिले में चयनित देवी मंदिरों और शक्तिपीठों में होने वाले कार्यक्रमों के लिए कलाकारों का चयन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने किया, जिस का समन्वय संस्कृति और सूचना एवं जनसंपर्क विभागों द्वारा किया गया. इन कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी शामिल होने के लिए कहा गया.

शक्तिपीठों और देवी मंदिरों में पर्यटन व अन्य विभागों द्वारा कराए गए विकास कार्यों का सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के माध्यम से प्रिंट व इंटरनैट मीडिया पर प्रचारप्रसार किया गया.

सभी देवी मंदिरों के प्रांगण में होर्डिंगें भी लगाई गईं. हर आयोजन स्थल पर सफाई, पेयजल, सुरक्षा, ध्वनि, प्रकाश और दरी बिछावन आदि की व्यवस्था जिला प्रशासन ने कराई. सभी आयोजन स्थलों पर सक्षम स्तर से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करते हुए कार्यक्रमों का आयोजन भी तय किया गया.

प्रदेश स्तरीय इस कार्यक्रम में समन्वय के लिए शासन और निदेशालय स्तर से एकएक अधिकारियों को नोडल अधिकारी भी नामित किए गए थे.

इस के साथ ही साथ यह भी निर्देश था कि महत्त्वपूर्ण देवी मंदिरों और शक्तिपीठों का चयन करते हुए मंदिर का पता, फोटो, जीपीएस लोकेशन और मंदिर प्रबंधक का संपर्क नंबर, कलाकारों के नाम, पते व मोबाइल नंबर समेत कार्यक्रम के आयोजन की पूरी तैयारियों का ब्योरा 21 मार्च की शाम तक संस्कृति विभाग को भेज दिया गया. सभी जिलों में होने वाले कार्यक्रमों की सूचनाएं भी प्रतिदिन जिल नोडल अधिकारी की ओर से संस्कृति विभाग के पोर्टल पर अपडेट करने को कहा गया.

  समाजवादी पार्टी खामोश

योगी सरकार के इस कदम पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर के कहा कि ‘रामनवमी मनाने के लिए जिलाधिकारियों को एक लाख रुपए दिए जाने के प्रस्ताव का स्वागत है, पर इतनी रकम से क्या होगा, कम से कम 10 करोड़ रुपए देने चाहिए, जिस से सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके.’

उन्होंने भाजपा सरकार से मांग की थी कि ‘वह त्योहारों पर रसोई गैस के मुफ्त सिलैंडर दे और इस की शुरुआत रामनवमी से हो.’

  कांग्रेस ने उठाए सवाल

कांग्रेस के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ब्रजलाल खाबरी ने कहा कि ‘योगी और भाजपा सरकार महंगाई, बेरोजगारी, अडाणी और अंबानी के सवालों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस तरह के आयोजन कर रही है. अब जनता इन के सच को समझ चुकी है. ये लोगों का ध्यान भटकाने और आवाज को दबाने का काम कर रहे हैं.

‘जनता लोकसभा के चुनाव में इस का जवाब देगी. हम जब भी विरोध प्रदर्शन करते हैं, हमें पुलिस का डर दिखाया जाता है. यह लोकतंत्र में अधिकारों का हनन है.’

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