राहुल गांधी को ले कर जिस तरह देश की संसद में सरकार में बैठे हुए ‘बड़े चेहरे’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ले कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दूसरों ने ‘माफी मांगो’ और ‘देशद्रोह का मामला’ कहने की गूंज लगाई है, वह बताती है कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की सरकार राहुल गांधी से कितना डरी हुई है. राहुल गांधी के लिए ‘पप्पू’ शब्द का इस्तेमाल कर के उन्हें राजनीति में नकारा साबित करने की सोच वाले ये चेहरे आज राहुल गांधी के बयान के बाद बेबस और बेचारे दिखाई दे रहे हैं.

कहते हैं कि चोर की दाढ़ी में तिनका. ऐसे ही अगर राहुल गांधी की बातों में कोई सच नहीं है तो भाजपा के ये कद्दावर नेता इतना चिंतित क्यों हैं? जब देश राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेता तो फिर इतने घबराने का काम ये बड़ेबड़े चेहरे क्यों कर रहे हैं? संसद में हुई कार्यवाही को देखने से साफ हो जाता है कि राहुल गांधी ने जो कहा है, उस से ये चेहरे डरे हुए हैं, क्योंकि सच सामने खड़े हो कर जवाब मांग रहा है और देश की जनता में यह संदेश जा रहा है कि राहुल गांधी की बातें कितनी सच्ची और गंभीर हैं.

जैसे, देश में इन दिनों सब से गंभीर मामला है गौतम अडानी का जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद से दुनिया के दूसरे नंबर के पैसे वाले बन गए हैं, मगर पोल खुलते ही वे 40वें नंबर पर पहुंच गए. इस पर नरेंद्र मोदी कुछ बोलने को तैयार हैं और न ही सरकार कुछ ऐक्शन लेने को गंभीर दिखाई देती है. कुल जमा धीरेधीरे राहुल गांधी देश और दुनिया में अपने सच और साहस के चलते इज्जत की नजर से देखे जाने लगे हैं और दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी, जिन्हें देश ने बड़े विश्वास के साथ प्रधानमंत्री बनाया और सत्ता की चाबी दी, धीरेधीरे नीचे की ओर आ रहे हैं.

राहुल गांधी की लोकप्रियता

दरअसल, जैसा कि कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी की टिप्पणी को ले कर ‘संसद’ में जम कर हंगामा सत्ता  पक्ष द्वारा किया गया, यह अपनेआप में एक बड़ी ऐतिहासिक घटना है. यह सब राहुल गांधी की लोकप्रियता को दिखाता है. यह एक अनोखा नजारा था कि राज्यसभा के साथ लोकसभा में सत्तापक्ष के सांसदों ने लंदन में की गई राहुल गांधी की टिप्पणी को ले कर सदन के अंदर ‘माफी मांगो’ के नारे लगाए. वह सब देश और दुनिया में देखा गया गया और अब सरकार के चेहरे से नकाब उतरने लगे हैं.

दूसरी तरफ लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने अडाणी समूह मामले में संयुक्त संसदीय समिति गठन की मांग की और हंगामा करते हुए अध्यक्ष ओम बिरला के आसन के सामने आ गए. हंगामे की वजह से दोनों सदन एक बार स्थगित कर दिए गए और शून्यकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया.

राहुल गांधी पर सब से बड़ा हमला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किया गया. लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘लोकसभा सदस्य राहुल गांधी ने लंदन में भारत को बदनाम करने की कोशिश की है. उन्होंने (राहुल गांधी) कहा है कि भारत में लोकतंत्र पूरी तरह से तहसनहस हो गया है और विदेशी ताकतों को आ कर लोकतंत्र को बचाना चाहिए.’

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘उन्होंने (राहुल गांधी) भारत की गरिमा व प्रतिष्ठा पर गहरी चोट पहुंचाने की कोशिश की है. पूरे सदन को उन के (राहुल गांधी) इस व्यवहार की निंदा करनी चाहिए और आप की (अध्यक्ष) ओर से यह निर्देश दिया जाना चाहिए कि राहुल संसद के मंच पर क्षमायाचना करें.’

हंगामे के बीच ही संसदीय कार्यमंत्री प्रल्हाद जोशी ने भी राहुल गांधी पर विदेशी धरती पर भारत का अपमान करने का आरोप लगाया. दूसरी तरफ हंगामे के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला को एक चिट्ठी लिखी, जिस में अनुरोध किया गया कि सदन में राहुल गांधी को ले कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रल्हाद जोशी ने जो टिप्प्णी की है, उसे सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाना चाहिए.

भाजपा के बड़े नेताओं का राहुल गांधी के बयान से चिंतित होना यह दिखाता है कि राहुल की बातों में उन के चेहरे से नकाब उतारने का काम हुआ है और दुनियाभर में भारत में जो हो रहा है, वह चर्चा का विषय है, जिस से ये चेहरे मुंह दिखाने के काबिल नहीं हैं. अच्छा है सत्ता पक्ष का एकएक शब्द आज लोकसभा और राज्यसभा के रिकौर्ड में अंकित हो गया है. यह एक तरह से लोकतंत्र के लिए एक काले दिन के रूप में जाना जाएगा, जब सत्ता पक्ष ही राहुल गांधी के लिए प्रलाप कर रहा था.

फेसबुक पोस्ट : राहुल गांधी ने ब्रिटेन में जो कहा है, उस से भारत में बैठे सत्ता पक्ष के दिग्गज हिल गए हैं और वे संसद में ‘गांधी माफी मांगो’ के नारे लगाने पर मजबूर हो गए हैं. यह भारत के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक तौर पर ‘काला दिन’ कहा जाएगा. तो क्या अब भारतीय जनता पार्टी को अपनी सत्ता खोने का डर सताने लगा है?

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