सुपर नेच्युरल पावर यानी कि तांत्रिक शक्तियों को लेकर कई तरह की बातें की जाती रहती है. बौलीवुड की कई हौरर व सुपर नेच्युरल पावर के इर्द गिर्द बुनी गयी कहानी वाली फिल्मों के माध्यम से इनकी ताकत को पेश करते हुए अंध विश्वास को ही बढ़ावा दिया जाता रहता है. मगर अब तांत्रिक ताकतों या यूं कहें कि सुपर नेच्युरल पावर की हकीकत को बयां करने वाली फिल्म ‘‘वायड’’ यानी कि ‘‘खालीपन’’ लेकर अभिनेता व निर्देशक वैभव गट्टानी आए हैं, जो कि छह मई से ‘‘वीमियो औन डिमांड’ पर उपलब्ध होगी.

सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने वाले 28 वर्षीय वैभव गट्टानी अपनी पहली प्रयोगधर्मी फिल्म ‘‘वायड’’ के माध्यम से इंसान की जिंदगी में व्याप्त खालीपन को रेखांकित करने के साथ ही इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया है कि इंसान तांत्रिक शक्तियों /सुपर नेच्युरल पावर की बदौलत अपने काम को पूरा तो करा सकता है,मगर इसके लिए उसे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.

The Void (Trailer) from Mohammad HZ on Vimeo.

96 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘वाइड’ की कहानी के केंद्र में रिया (युवराज्ञी) है, जो कि अपने पति अभिजीत (वैभव गट्टानी) के साथ रहती है. रिया जल्द से जल्द मां बनने को बेताब है. मगर वह मां नहीं बन पा रही है. उसकी इस बीमारी का इलाज मेडिकल साइंस के पास भी नहीं है. तब रिया अपने पति अभिजीत के साथ एक मनोवैज्ञानिक डाक्टर से भी मिलती है, जो उन्हें सुपरनेचुरल ताकत रखने वाली महिला के पास भेजता है. पति अभिजीत की इच्छा के विपरीत रिया उस तांत्रिक /सुपर नेच्युरल शक्ति रखने वाली महिला से मिलती है.

यह तांत्रिक महिला रिया को समझाती है कि वह गर्भवती तो हो जाएगी, मगर इसके बदले में उसे ढेर सारा धन खर्च करने के अलावा भी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. मां बनने के लिए बेताब रिया उस तांत्रिक महिला के सामने घुटने टेक देती है. तांत्रिक महिला, रिया के उपर तांत्रिक क्रिया करती है. रिया गर्भवती हो जाती है, मगर फिर उसे जो कुछ खोना पड़ता है, उसकी वजह से उसे अहसास होता हे कि इससे अच्छा होता कि वह आजीवन बांझ ही रहती. अब रिया को क्या कीमत चुकानी पड़ी, यह जानने के लिए फिल्म देखना ही ठीक रहेगा.

मगर फिल्म देखकर हर दर्शक तांत्रिकों से दूर रहने की कसम जरुर खा लेगा. फिल्म के लेखक, अभिनेता व निर्देशक वैभव गट्टानी कहते हैं- ‘‘वॉइड का अर्थ होता है खालीपन. हर इंसान के जीवन में कहीं न कहीं खालीपन जरुर होता है. इंसान अपने जीवन के खालीपन को भरने के लिए किस हद तक जा सकता है, इसी का चित्रण हमने अपनी इस फिल्म में किया है. हमने एकदम साफ साफ बताया है कि तांत्रिकों के पास आप जाएंगे, तो वह आपका काम कर देंगे, मगर उसके लिए आपको जो कीमत चुकानी पड़ती है, वह आप कभी नहीं चुकाना चाहेंगे. हमने स्पष्ट रूप से यही कहा है कि इंसान को तांत्रिकों से दूर रहना चाहिए.’’

फिल्म में विवेक का किरदार निभाने वाले अभिनेता अपूर्व कुमार कहते हैं-‘‘ फिल्म ‘वॉइड‘ की कहानी इस वक्य पर आधारित है कि एक इंसान मजबूरी में, हताशा और निराशा में बल्कि यूं कहें कि एक उम्मीद में किस हद तक जा सकता है.’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...