मैं एक ठेकेदार हूं और इमारत और सड़क बनाने के ठेके लेता हूं. मेरी पत्नी आभा सरकारी स्कूल में टीचर है. मैं काम के सिलसिले में अकसर बाहर ही रहता हूं. घर पर रामू और रजनी 2 नौकर हैं, जो घर के काम में पत्नी का हाथ बंटाते हैं.

कल रात में साइट से लौट कर घर आ गया था. घर पहुंचतेपहुंचते 10 बज चुके थे. हाथमुंह धो कर खाना खा कर मैं सो गया था. आज सुबह उठा और छत पर गया तो देखा कि 2-3 डिस्पोजल गिलास, चिप्स व नमकीन के कुछ रैपर यहांवहां पड़े थे.

एक गिलास उठा कर देखा तो पाया कि उस में से शराब की बदबू आ रही थी. पता करने पर मालूम हुआ कि यह काम रामू का है. उस को बुला कर फटकारा और ताकीद कर दिया कि अगर आगे से ऐसी कोई घटना हुई तो उस की छुट्टी तय है.

रजनी भी इस दौरान पास ही मंडराती रही. मैं 1-2 दिन रुक कर फिर साइट पर जाने लगा, तो रामू और रजनी को ताकीद करता गया कि वे ठीक तरह से काम करें.

एक बिल्डिंग बनाने का काम चल रहा था. बिल्डिंग की पहली मंजिल पर छत डलनी थी, उसी का मुआयना करने के लिए गया हुआ था.

मिस्त्रियों व कारीगरों को काम समझा रहा था कि पीछे हटते वक्त ध्यान नहीं रहा. पैर पीछे चला गया और मैं धड़ाम से गिरा.

मजदूरों ने भाग कर मुझे उठाया. दाएं पैर में ज्यादा दर्द था, पीठ में भी कुछ चोट लगी थी. सिर बच गया था, हैलमैट जो पहन रखा था.

मुंशी ने फटाफट गाड़ी में डाल कर मुझे अस्पताल पहुंचाया. आभा को भी फोन कर दिया था. वह भी तुरंत अस्तपाल पहुंच गई थी.

डाक्टर ने एक्सरे करवाया, दाएं पैर की नीचे की हड्डी में फ्रैक्चर था. उन्होंने वहां प्लास्टर लगा दिया था. पीठ में कोई टूटफूट नहीं थी. लिहाजा, दवाएं और आराम करने की सलाह दे कर घर भेज दिया.

मैं घर आ कर अपने कमरे के बैड पर लेट गया. समय गुजारने के लिए टैलीविजन, मैगजीन व अखबार मेरे साथी बन गए.

आभा ने छुट्टी लेने के लिए कहा, तो मैं ने मना कर दिया था. मैं थोड़ा सहारा ले कर बाथरूम तक आराम से जा सकता था. जरूरत पड़ने पर सोफे पर भी बैठ सकता था.

आभा सुबह काम कर के स्कूल चली जाती और दोपहर बाद घर आ जाती थी. इस के बाद वह मेरा पूरा खयाल रखती थी.

सारा दिन स्कूल में बच्चों को पढ़ा कर वह थकहार कर घर आती थी. मैं दिनभर खाली रहता था. बीचबीच में नींद भी आ जाती थी, इसलिए रात को देर तक जागता रहता था और टैलीविजन चलाए रखता.

इस से आभा की नींद बारबार डिस्टर्ब होती थी. इस के चलते मैं ने आभा से कहा कि साथ वाले कमरे में सोया करो, ताकि नींद में कोई रुकावट न हो अैर अगले दिन की ड्यूटी पर जाने के लिए आराम से तैयार हो सको.

दिन में प्यारेप्यारे दोस्त, जिन को पता चलता, वे सब मिलने आते रहते. हालचाल जान कर रुखसत होते. इसी तरह दिन गुजर रहे थे.

कभीकभी मेरे दिल में उलटेसीधे खयाल आते कि स्कूल में आभा का किसी के साथ कोई चक्कर तो नहीं चल रहा है. घर पर नौकर रामू जवान है. कहीं उस का तो मालकिन के साथ कोई चक्कर न हो. वे जो डिस्पोजल गिलास छत पर मिले थे… रामू ने अपने साथियों के साथ आभा के साथ कोई ऐसीवैसी हरकत की हो.

इस के बाद मैं मन ही मन सोचता कि मैं भी आभा के बारे में क्या उलटासीधा सोचता रहता हूं. अगर आभा को पता चलेगा कि मैं ऐसे सोचता हूं, तो उसे बहुत ज्यादा दुख होगा.

आभा ने खुद सोचविचार कर एक हफ्ते की छुट्टी ले ली. छुट्टी ले कर आभा को और भी ज्यादा काम करना पड़ गया. रोजाना पैर को एक तरफ रख कर मुझ को नहलाना, अपने हाथों से मालिश करना, कपड़े पहनाना, सभी काम अपने हाथों से करना, यारदोस्तों को अपने हाथों से जलपान करवाना, दिनभर मेरी सेवा में आगेपीछे घूमना, एक पत्नी का सही काम कर के आभा ने मुझे हैरान कर दिया.

3 हफ्ते बाद प्लास्टर हटाने का समय आ गया था. मैं आभा के साथ डाक्टर के पास पहुंचा. डाक्टर ने प्लास्टर काट कर अलग कर दिया और हलके हाथ से मालिश व गरम पानी से रोजाना सिंकाई करने की सलाह दे कर हमें रुखसत किया.

आभा रोजाना यह काम बखूबी कर रही थी. अपने नरम मुलायम हाथ से वह हलकीहलकी मालिश और गरम पानी से सिंकाई करती. अब मुझे काफी आराम हो गया था.

अभी मुझे नींद आ रही थी कि खिड़की के शीशे के अंदर से मैं ने 2 सायों को मिलते देखा. एक साया औरत का था, दूसरा मर्द का. यह मिलन मैं पहले भी देख चुका था. तभी आभा के बारे में उलटेसीधे खयाल मुझे आने लगे थे.

तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला. आभा अंदर आई और पूछा, ‘‘कोई चीज चाहिए क्या?’’

उधर खिड़की के पार 2 सायो का मिलन जारी था. मैं ने जोर से कहा, ‘‘कौन है वहां?’’

मेरे कहने भर की देर थी कि वे दोनों साएं अपनीअपनी दिशा में भाग गए थे.

आभा ने कहा, ‘‘रामू और रजनी होंगे. आजकल उन की गुटरगूं चल रही है. हमें इस से क्या? दोनों प्यार से रहेंगे तो हमें ही फायदा है. कहीं और ये जाएंगे नहीं और हमें नौकर तलाशने की जरूरत नहीं पड़ेगी.’’

इतना कह कर आभा अपने कमरे में जाने लगी, तो मैं ने हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया और अपने बाहुपाश में जकड़ लिया. मन में जो मैल या अविश्वास था, वह बह गया था. मन और तन निर्मल हो गया था, अपने साथी के साथ प्यार के बंधन में बंधने से.

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