मैं और पत्नी पिक्चर देख कर घर लौटे तो मेरी माताजी ने बताया कि जोधपुर के एक महानुभाव मुझ से मिलने के लिए करीब 6 बजे आए थे. मैं ने माताजी से पूछा, ‘‘उस आदमी का क्या नाम था और किसलिए आया था?’’ माताजी ने कहा, ‘‘नाम तो हम ने पूछा नहीं लेकिन जीप में आया और बोला कि पंवार साहब से मिलना है.’’ मैं ने बहुत सोचा लेकिन मैं किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा और सोचतेसोचते शाम का खाना खा कर सो गया. दूसरे दिन सवेरे 7 बजे निवृत्त हो कर मैं पत्नी से बातें कर रहा था कि एक जीप मेरे बंगले के सामने आ कर रुकी. मैं समझ गया कि वही महानुभाव आए होंगे. यही हुआ जीप में से एक अजनबी उतरा और पीछे के हिस्से में से एक सबइंस्पैक्टर वरदी पहने उतरा. जीप का ड्राइवर भी पुलिस की वरदी पहने हुए था. बंगले के ड्राइंगरूम में घुसते ही उस ने हाथ मिलाते हुए अपना परिचय दिया.

‘‘मैं उदयपुर का एसपी के एल भंडारी हूं. शायद आप डा. डी एस कोठारी, चेयरमैन, यूजीसी को जानते होंगे. मैं उन का जमाई हूं. मैं सीबीआई के एक केस की तहकीकात करने के लिए कोलकाता आया था. सोचा, इस बार इंफाल घूम कर आते हैं. मेरी पत्नी एक डाक्टर है. उस ने बताया कि यहां के नागा दोशाले और रजाइयां बहुत सुंदर बनती हैं. सोचा, उस के लिए कुछ खरीदारी भी कर लूंगा और इस क्षेत्र को देख भी लूंगा.’’

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‘‘आप कहां पर ठहरे हुए हैं?’’ मैं ने पूछा.

‘‘मैं सर्किट हाउस में कमरा नं. 7 में ठहरा हुआ हूं,’’ उस ने जवाब दिया.

‘‘आप से मिल कर बड़ी प्रसन्नता हुई. मैं आप के लिए क्या कर सकता हूं?’’ मैं ने प्रश्न किया. ‘‘मेरा आप से कोई विशेष काम नहीं है. मैं कल मारवाड़ी ढाबे में खाना खाने गया था. वहां पर बैठे हुए लोगों से पूछा कि इंफाल में कोई जोधपुर का रहने वाला है? उन्हीं लोगों ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल पंवार साहब जोधपुर के रहने वाले हैं. पंवार साहब, मैं भी नवचौकिया महल्ला, जोधपुर का रहने वाला हूं,’’ उस ने कहा और वह जोधपुर की मारवाड़ी भाषा में बातें करने लगा. मुझे पूर्ण विश्वास हो गया कि वह जोधपुर का ही रहने वाला था. थोड़ी देर बाद वह पूछने लगा, ‘‘आप इंफाल के एसपी साहब को तो जानते ही होंगे?’’

‘‘नहीं, मैं उन्हें नहीं जानता,’’ मैं ने जवाब दिया.

‘‘बड़े भले आदमी हैं. मैं ने इंफाल में एअरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें फोन किया, तो उन्होंने मेरे लिए जीप भिजवा दी और सर्किट हाउस में ठहरने का बंदोबस्त करवा दिया. चलिए, आप को भी एसपी साहब से मिलवा दूंगा,’’ उस ने कहा. नाश्ते का समय था. मैं ने उन से नाश्ता करने के लिए अनुरोध किया. उन्होंने और सबइंस्पैक्टर ने मेरे साथ नाश्ता किया और चाय पी. भंडारी साहब के अनुरोध पर मैं उन के साथ इंफाल के एसपी साहब से मिलने के लिए जीप में चला गया. दफ्तर में पहुंचे तो भंडारी ने मेरा परिचय इंफाल के एसपी से करवाया. मैं उन से हाथ मिला कर उन के सामने कुरसी पर बैठ गया. एसपी इंफाल ने कहा, ‘‘हम ने आप के गुमशुदा सूटकेस के लिए सिल्चर एअरपोर्ट पर वायरलैस मैसेज करवा दिया है लेकिन उस का कोई उत्तर अभी नहीं मिला है.’’ भंडारी धन्यवाद देते हुए उन से पुलिस विभाग की बातें करने लगे. एसपी इंफाल भी बातों में व्यस्त हो गए और मैं उन दोनों की बातों को सुनता रहा.

‘‘मैं आप के लिए एक टोपी और कुछ खाने के पैकेट को आप के कमरे में भेज दूंगा. मैं कभी उदयपुर जाऊंगा. सुना है उदयपुर बहुत सुंदर शहर है. हां, कोलकाता के लिए आप का एअर टिकट बुक करवा दिया है,’’ एसपी इंफाल ने बताया. मेरे स्कूल जाने का समय हो गया तो मैं ने उन लोगों से माफी मांगी और उठ कर जाने लगा तो भंडारी मेरे साथ हो लिए. जीप में बैठ कर मैं और भंडारी अपने स्कूल के कमरे में आ कर बैठ गए. मुझे दूसरे दिन तेजपुर में नया केंद्रीय विद्यालय शुरू करने जाना था. मैं ने अपने चपरासी को बुला कर चैकबुक से चैक काट कर दिया और चपरासी को बैंक से नकद पैसे ला कर इंफाल से गुवाहाटी का हवाई जहाज का टिकट खरीदने के लिए कहा. इतने में भंडारी बोल पड़े, ‘‘पंवार साहब, आप को तो पता है कि मेरा सूटकेस सिल्चर में खो गया है, उस में मेरे 4 हजार रुपए थे. अभी मेरे पास बहुत कम रुपए हैं जिन से मैं सामान नहीं खरीद सकता. क्या आप मुझे 400 रुपए उधार दे सकते हैं? सूटकेस मिलते ही मैं आप को 400 रुपए वापस लौटा दूंगा.’’

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यह बात भंडारी ने बड़ी तकलीफ को दर्शाते हुए कही. मैं ने मजबूर हो कर 400 रुपए का एक चैक और काटा और चपरासी को नकद लाने के लिए बैंक भेज दिया. थोड़ी देर जोधपुर शहर की बातें मारवाड़ी भाषा में चलती रहीं. इस बीच चपरासी मेरा एअर टिकट इंफाल से गुवाहाटी तक का और 400 रुपए ले कर आ गया. मैं ने 400 रुपए भंडारी को दे दिए. भंडारी ने धन्यवाद देते हुए 400 रुपए ले लिए. थोड़ी देर बातों ही बातों में मैं ने भंडारी को डिनर का निमंत्रण दिया. बाद में भंडारी मुझे स्कूल में काम करने के लिए छोड़ कर डिनर पर आने का वादा कर के चले गए. मैं स्कूल के काम में लग गया. छुट्टी होने के बाद घर आ कर लंच किया और आराम करने के लिए सो गया. शाम को चाय पीने के थोड़ी देर बाद करीब 5 बजे जीप आई और भंडारी बहुत सारे दोशाले, रजाई और साडि़यां खरीद कर लाए. खरीदे हुए सामान के बारे में बातें होने लगीं. पत्नी भी ड्राइंगरूम में आ गई. पुलिस के सबइंस्पैक्टर के साथ होने से उन्हें कपड़े बहुत सस्ते भाव में मिल गए. बातों ही बातों में उन्होंने मेरी पत्नी को मुंहबोली बहन बना लिया. शाम को खूब छक कर डिनर खाया, अगले दिन जाने का प्रोग्राम बनाया. एअरपोर्ट जाते वक्त मुझे जीप में ले जाने का वादा कर के वे सर्किट हाउस चले गए.

अगले दिन सवेरे वे मेरे घर आए, चाय नाश्ता किया. फिर मुझे जीप में बैठा कर एअरपोर्ट की ओर रवाना हो गए. करीब 20 मिनट तक जीप से सफर करने के बाद हम ने देखा कि एअरपोर्ट से हवाई जहाज ने उड़ान भर ली थी. हम दोनों सोचने लगे यह हवाई जहाज कौन सा था? मैं ने कहा, ‘‘यहां से इस वक्त सिर्फ एक उड़ान कोलकाता ही जाती थी.’’ खैर, हम एअरपोर्ट पहुंचे तो पता चला कि जहाज ने मौसम खराब होने पर 10 मिनट पहले उड़ान भर ली. भंडारी और मैं दोनों बड़े असमंजस में पड़ गए कि समय के पहले कैसे हवाई जहाज उड़ सकता था. इंडियन एअरलाइंस वालों ने कहा कि आप अपने टिकट के पैसे वापस ले सकते हैं. 10 मिनट पहले उड़ान भरना मजबूरी थी क्योंकि मौसम ज्यादा खराब होने वाला था.

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भंडारी गुस्से में आ कर चिल्लाने लगे, ‘‘अब मैं कैसे कोलकाता जाऊंगा. खैर, मेरा सूटकेस जो सिल्चर पर गुम हुआ, उस का क्या हुआ?’’ ‘‘आप का सूटकेस मिल गया है और यह रखा हुआ है,’’ इंडियन एअरलाइंस के कर्मचारी ने संकेत करते हुए कहा.

‘‘इस सूटकेस को मैं खोल कर लूंगा,’’ भंडारी ने कहा.

‘‘हम इस को तोल लेते हैं. इस का वजन आप के टिकट में बताए वजन के बराबर 11 किलोग्राम है. अंदर क्या है यह हम नहीं जानते,’’ इंडियन एअरलाइंस के कर्मचारी ने कहा. भंडारी के पास उस सूटकेस की चाबी थी. सूटकेस खोला और चिल्लाने लगे, ‘‘इस सूटकेस में मेरी पुलिस की वरदी नहीं है और उस वरदी में एसपी के सोने के पिप्स थे वे गायब हैं. सूटकेस में 1,200 रुपए थे, वे भी गायब हैं. मैं आप के अफसर से शिकायत करूंगा और जिस ने चोरी की है उसे जेल भिजवा कर रहूंगा.’’ ‘‘साहब, आप जो भी हैं, इस तरह गुस्सा मत करिए और अपने व्यवहार व गुस्से को काबू में रखिए वरना हम गवर्नर से आप की शिकायत करेंगे,’’ इंडियन एअरलाइंस के कर्मचारी ने सज्जनतापूर्वक कहा.

‘‘जाइएजाइए, आप किसी से शिकायत करिए. मैं सूटकेस नहीं लूंगा,’’ भंडारी बोले. झगड़ा करने के बाद भंडारी ने आखिरकार सूटकेस ले लिया और हम लोग वापस इंफाल शहर की तरफ लौटने लगे. रास्ते में भंडारी के जाने की व्यवस्था के बारे में सोचते रहे. उन्हें कोलकाता जाने की जल्दी थी और दूसरे दिन फ्लाइट नहीं थी. भंडारी सड़क के रास्ते से जाने की सोचने लगे. जीप हमें मेरे घर पर ले आई. करीब 1 बजे हम लोगों ने दिन का खाना खाया और थोड़ा आराम किया. शाम को करीब 8 बजे घूमतेघूमते डिप्टी सुपरिंटैंडैंट अशोक खन्ना (मेरे दोस्त) के घर चले गए. बातें होती रहीं, फिर उन्होंने भंडारी से पता लिखने के लिए कहा. भंडारी ने कागज पर अपना पता लिखा- ‘‘के एल भंडारी, आईएएस, एसपी उदयपुर.’’ खन्ना ने कहा कि उन्होंने आईएएस कैसे लिखा है. इस पर भंडारी ने अपनी गलती का एहसास कर के आईएएस को आईपीएस बना दिया. वहां से लौट कर मैं अपने पड़ोसी डीएसपी प्रवीण सरदाना के घर पर गपशप करने गए. वहां से बातें कर के शाम को 6 बजे घर लौटे और बातचीत करते रहे.

थोड़ी देर बाद डीएसपी सरदाना मेरे घर आए और मुझे अलग ले जा कर पूछा कि क्या मैं भंडारी को पर्सनली जानता था? मैं ने कहा कि मैं भंडारी को नहीं जानता था. इस पर सरदाना ने कहा कि उन्हें शक था कि भंडारी कोई पुलिस का अफसर था. खैर, मेरे साथ सरदाना, भंडारी के पास गए तो भंडारी कहने लगे कि क्या उन्हें कोई शक था? सरदाना ने कहा कि नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. और वे चले गए. थोड़ी देर बाद पुलिस की जीप आई जिस में डीएसपी सरदाना थे. वे घर में आए और कहा, ‘‘भंडारी साहब, आप को एसपी इंफाल ने बुलाया है. पंवार साहब, आप भी साथ चलें.’’ हम तीनों जीप में बैठ कर एसपी इंफाल के दफ्तर में पहुंच गए. बातचीत होती रही. शक का वातावरण देख कर भंडारी घबराते हुए कहने लगे, ‘‘आप को अगर शक है तो आप उदयपुर ट्रंककौल कर के पूछ लीजिए. मैं एसपी भंडारी ही हूं.’’

‘‘आप एसपी हैं तो आप का आईडैंटिटी कार्ड कहां है?’’ एसपी इंफाल ने पूछा. ‘‘कार्ड तो मेरी वरदी में था और वरदी मेरे सोने के पिप्स के साथ सूटकेस में से गायब हो गई,’’ भंडारी ने जवाब दिया. ‘‘हम लोगों ने आईपीएस औफिसरों की लिस्ट में आप का नाम ढूंढ़ा लेकिन आप का नाम नहीं मिला. हम कैसे मान लें कि आप एसपी उदयपुर हैं?’’ एसपी इंफाल ने पूछा.

‘‘मुझे नहीं मालूम, मेरा नाम क्यों नहीं है? लेकिन मैं एसपी उदयपुर हूं,’’ भंडारी ने जवाब दिया.

‘‘आप के पास कोई सुबूत तो होगा. आप की पर्सनल डायरी तो होगी?’’ एसपी इंफाल ने पूछा. मैं ने भंडारी की पर्सनल डायरी उन के पास देखी थी. वह मेरे घर की मेज पर उन के ब्रीफकेस के पास रखी थी. मैं ने एसपी इंफाल से कहा, ‘‘इन की डायरी मेरे घर पर टेबल पर पड़ी थी, मंगवाइए.’’ फौरन पुलिस का आदमी भेजा गया और वह डायरी ले कर आया. एसपी इंफाल ने डायरी देखी. उस डायरी में कहीं भी भंडारी नाम नहीं था और उस से कुछ पता नहीं चला. एसपी साहब ने भंडारी की डायरी मुझे दे दी. मैं ने उन की डायरी को उलटपलट कर देखा. अंतिम तारीख को ध्यान में रखते हुए डायरी के पन्ने को ध्यान से देखने लगा. उस पन्ने पर लिखा था, ‘फेयर फ्रौम कोलकाता, टू इंफाल-रु. 375’ मैं ने फेयर की स्पैलिंग देखी और भंडारी से पूछा, ‘‘क्या ‘फेयर फ्रौम कोलकाता, टू इंफाल’ अपनी डायरी में आप ने लिखा है?’’

भंडारी ने कहा, ‘‘हां, मैं ने लिखा है.’’ मैं डायरी का पन्ना एसपी इंफाल के सामने रख कर बोला, ‘‘भंडारी अगर आईपीएस औफिसर हैं, फेयर की स्पैंलिग को गलत नहीं लिख सकते.’’ एसपी इंफाल को पूरा विश्वास हो गया और उन्होंने भंडारी को डांट कर कहा, ‘‘आप एसपी नहीं, फरेबी हैं, झूठे हैं. सैल्फस्टाइल एसपी बने हुए हैं.’’

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भंडारी फिर भी कहे जा रहा था, ‘‘मैं पक्का एसपी हूं, आप कहीं से पता लगाइए.’’ एसपी इंफाल ने डीएसपी सरदाना से कहा कि उन्हें अंदर ले जा कर पूछताछ करें. थोड़ी देर बाद भंडारी, सरदाना के औफिस में आए. सरदाना ने कहा कि भंडारी एसपी उदयपुर नहीं है. भंडारी ने भी कहा कि वह एसपी नहीं है. एसपी इंफाल ने भंडारी को हिरासत में ले लिया. उन्हें 6 महीने की कैद की सजा हो गई. पता चला भंडारी का धंधा हेराफेरी करना है. बड़ौदा की पुलिस उन का पीछा कर रही थी. वे भागतेभागते कोलकाता पहुंचे और इंफाल आ गए. 3 महीने की सजा भुगतने के बाद उन्हें बड़ौदा की पुलिस को सौंप दिया गया. इंफाल की जेल में 3 महीने रहे और मेरे 400 रुपए बड़ी मुश्किल से लौटाए. जोधपुर के लोगों से पता लगाया तो पता चला कि भंडारी आदतन ‘श्री 420’ थे. वे भीनमाल के सरकारी कालेज में झूठे सर्टिफिकेट दिखा कर कैमिस्ट्री के लैक्चरर (टैम्परेरी) बन गए और उन्होंने 3 महीने तक बिना पढ़ाए तनख्वाह उठाई. वे कक्षा 7वीं पढ़े हुए थे लेकिन अंगरेजी फर्राटे से बोलते थे और किसी भी बड़े अधिकारी की ऐक्ंिटग बड़े आत्मविश्वास से कर लेते थे. सुना है वे अभी तक यही धंधा करते हैं, पकड़े जाते हैं, जेल काट कर बाहर आ जाते हैं. उन्होंने ‘श्री 420’ का धंधा जो अपना रखा था.

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