राईटर  —वेणीशंकर पटेल ‘ब्रज’ 

मध्य प्रदेश के जबलपुर के पास पनागर थाना क्षेत्र में एक छोटा सा गांव है मछला. जिस की आबादी बमुश्किल एकडेढ़ हजार होगी. इसी गांव में 40 साल का नरेश मिश्रा अपनी पत्नी ऊषा और 13 साल के बेटे के साथ रहता है.

10 जनवरी, 2021 की शाम करीब सवा 7 बजे नरेश अपनी बोलेरो ले कर घर पहुंचा. घर के सामने खाली जगह में गाड़ी खड़ी कर वह घर के अंदर जाने के बजाय बाहर जाने को हुआ तो पत्नी ऊषा ने टोक दिया, ‘‘कहां जा रहे हो, पहले हाथमुंह धो कर खाना खा लो, फिर बाहर जाना.’’

‘‘मुझे अभी भूख नहीं है, मैं थोड़ी देर में आता हूं.’’ नरेश इतना कह कर घर से बाहर निकल गया.

ऊषा नरेश की रोजाना की आदत को जानती थी, उसे पता था कि नरेश गांव के नशेड़ी युवकों के साथ बैठ कर शराब पिएगा और आधी रात को लड़खड़ाते हुए घर वापस आएगा. लिहाजा वह नरेश की बात को अनसुना कर अपने कामों में लग गई.

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10 जनवरी की शाम घर से निकला नरेश उस रात घर वापस नहीं आया तो दूसरे दिन अलसुबह ऊषा ने इस की जानकारी अपने पड़ोसियों को दी. पड़ोसी भी नरेश की हरकतों से वाकिफ थे. उन्होंने ऊषा से कहा, ‘‘रात में ज्यादा टिका ली होगी तो कहीं सो गया होगा. जब होश आएगा तो खुदबखुद आ जाएगा.’’

जब दोपहर होने तक भी नरेश घर नहीं लौटा और न ही उस का कोई पता चला तो 11 जनवरी की शाम को ऊषा ने पनागर पुलिस थाने में जा कर उस की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई.

ऊषा ने पुलिस को बताया कि उस का पति नरेश मिश्रा खेतीकिसानी के साथ खुद की बोलेरो चलाता है. उस ने हाल ही में आधा एकड़ खेत बेच कर बोलेरो खरीदी थी. गांव में उस की सोहबत ठीक नहीं है. अकसर गांव के लड़कों से उस का झगड़ा होता रहता है.

ऊषा ने बताया कि 10 जनवरी को भी नरेश का गांव के बाहर बनी पुलिया पर गांव के युवकों से विवाद हो गया था, उस झगड़े के बाद से उस का पता नहीं चल रहा है. उसे अंदेशा है कि कोई उसे शराब पिला कर कोई अनहोनी न कर दे. पनागर पुलिस थाना के टीआई ने ऊषा की सूचना दर्ज करते हुए जल्द ही उसे खोजने का भरोसा दिया.

12 जनवरी की सुबह पनागर पुलिस थाने के टीआई आर.के. सोनी नरेश मिश्रा की गुमशुदगी की जांच कर ही रहे थे कि उन के मोबाइल पर घंटी बज उठी. जैसे ही काल रिसीव की दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘साब, मैं मछला गांव से सुखचैन गोंटिया बोल रहा हूं, गांव के नरेश मिश्रा का कटा हुआ सिर मछला गांव से 50 मीटर दूर बेलखाड़ू रोड पर उस के ही भतीजे अशोक के खेत में पड़ा हुआ है.’’

टीआई जानते थे कि नरेश मिश्रा का भतीजा अधारताल सीएसपी के यहां रीडर है. इस बजह से उन्होंने इस सूचना पर तत्काल एक्शन लेते हुए पुलिस के आला अधिकारियों को सूचना दे दी. इस के बाद पनागर पुलिस टीम, एफएसएल, डौग स्क्वायड टीम घटनास्थल पर पहुंच गई.

पुलिस टीम ने देखा कि सिर को किसी चीज से बेरहमी से कुचला गया था. पुलिस टीम ने धड़ की तलाश शुरू कर दी. आसपास के इलाकों की सघन चैकिंग के दौरान खून के दागधब्बों के निशान देख कर आखिरकार पुलिस धड़ को खोजने में भी कामयाब हो गई.

दोपहर में 100 मीटर दूर रोड के दूसरी ओर धड़ मिल गया. धड़ के पास काफी खून फैला हुआ था. खून छिपाने के लिए उस पर मिट्टी डाल दी गई थी. पनागर पुलिस ने अनुमान लगाया कि जहां धड़ मिला है, वहां पर ही घटना को अंजाम दिया गया होगा. उस के जांघ व सिर पर भी वार करने के निशान मिले.

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गांव के खेत में कटा सिर मिलने से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और लोगों की भीड़ उसे देखने जमा हो गई थी. गांव के लोगों ने कपड़ों के आधार पर पहचान कर इस बात की पुष्टि कर दी कि धड़ भी नरेश मिश्रा का ही है.

इसी बीच नरेश की पत्नी ऊषा भी खबर लगते ही खेत पर पहुंच गई और नरेश मिश्रा के सिर और धड़ के पास जा कर जोरजोर से रोने लगी. किसी तरह गांव के लोगों ने उसे समझाबुझा कर वहां से दूर किया. सिर को ले कर 2 तरह की बातें सामने आ रही थीं. सिर या तो वहां आरोपी ने जानबूझ कर पुलिस को भ्रमित करने के लिए फेंका होगा या फिर किसी जानवर ने वहां खींच कर पहुंचा दिया होगा. सिर व धड़ को बेरहमी से कुल्हाड़ी से काट कर अलग करने की बात कही जा रही है. घटनास्थल पर शराब की खाली बोतल भी मिली थी.

जबलपुर जिले में इस से पहले तिलवारा में इसी तरह सिर काट कर हत्या करने का सनसनीखेज मामला सामने आ चुका था. तिलवारा में प्रेम विवाह से नाराज धीरज शुक्ला ने 11 मार्च, 2021 को जीजा विजेत कश्यप की कुल्हाड़ी से गरदन उड़ा दी थी और बोरी में सिर ले कर वह खुद ही तिलवारा थाने पहुंच गया था.

इसी तरह 28 नवंबर, 2021 को परासिया झिरी गांव में 60 साल के गया प्रसाद कुसराम की गरदन काट कर हत्या कर दी गई. उस की गरदन 30 नवंबर को एक किलोमीटर दूर पुराने शमशान घाट में जमीन में गड़ी मिली थी.

इस तरह की तीसरी वारदात होने से जबलपुर जिले के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा, एडीशनल एसपी संजय अग्रवाल, एसपी (सिटी) प्रियंका करचाम भी उसी दिन शाम को मछला गांव पहुंचे. गांव में दहशत का माहौल था और लोगों में आक्रोश भी.

 

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी (जबलपुर)  सिद्धार्थ बहुगुणा द्वारा मौके पर उपस्थित अधिकारियों को आवश्यक दिशानिर्देश देते हुए शीघ्र पतासाजी कर आरोपियों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए.

एडीशनल एसपी संजय कुमार अग्रवाल एवं गोपाल खांडेल तथा एसपी (सिटी)  प्रियंका करचाम के मार्गदर्शन में उन्होंने एक टीम का गठन किया.

टीम में थानाप्रभारी आर.के. सोनी, एसआई अंबुज पांडे, आकाशदीप साहू, एएसआई ब्रह्मदत्त दूबे, संतोष पांडेय, कांस्टेबल राममिलन, विनय जायसवाल, देशपाल, कुलदीप, मोनू करारे, विवेक, नरेंद्र, लेडी कांस्टेबल मोनिका, अभिलाषा एवं क्राइम ब्रांच जबलपुर के एएसआई रामसनेही शर्मा, हैडकांस्टेबल अजीत पटेल, हरिशंकर गुप्ता, अरविंद, कांस्टेबल राजेश केवट आदि को शामिल किया गया.

एफएसएल टीम की डा. सुनीता तिवारी द्वारा मौके की पूरी कर लेने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर पुलिस टीम जांच में जुट गई.

पुलिस ने सब से पहले गांव के उन 5 लड़कों को बुला कर पूछताछ की, जिन से नरेश का उसी दिन विवाद हुआ था. पूछताछ में यह बात सामने आई कि नरेश को उसी रात 8 बजे नरेश के जिगरी दोस्त अखिलेश विश्वकर्मा के साथ देखा गया था.

पुलिस ने जब नरेश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि घटना वाले दिन उस की अखिलेश से बातचीत हुई थी. इस के बाद पुलिस ने अखिलेश के फोन नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवाई. उस से यह पता चला कि अखिलेश की बातचीत नरेश की पत्नी ऊषा से कई बार हुई थी.

घटना वाली रात को भी 11 बजे दोनों की बातचीत हुई थी. इसी काल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने अखिलेश विश्वकर्मा से पूछताछ की तो पहले वह पुलिस को गुमराह करता रहा, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे वह जल्द ही टूट गया. पुलिस पूछताछ में अखिलेश ने नरेश मिश्रा की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए जो कहानी बताई, उसे जान कर लोग हैरान रह गए.

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कहानी की शुरुआत आज से 7 साल पहले 2015 में हुई थी. अपने मातापिता की इकलौती संतान नरेश मिश्रा पनागर में ट्रक चलाता था. एक दिन ट्रक ले कर वह घर लौट रहा था. रात का वक्त था, उस ने सोचा कि किसी ढाबे पर खाना खा कर ही वह घर की तरफ रवाना होगा.

कटनी के एक ढाबे पर ट्रक खड़ा कर वह खाना खाने के लिए रुका. वह ढाबे पर बिछी खाट पर बैठा कुछ सोच रहा था कि पानी ले कर आई एक युवती की आवाज से उस का ध्यान टूटा गया, ‘‘लो उस्ताद पानी पी लो.’’

नरेश ने उस युवती को देखा तो बस देखता ही रह गया. बाद में पता चला कि तीखे नाकनक्श वाली उस युवती का नाम ऊषा कुशवाहा है. ऊषा की शादी कटनी के पास के एक गांव में हुई थी और उस का 6 साल का एक बेटा भी था. उस का पति कोई कामधंधा करने के बजाय आवारागर्दी कर शराब पीता था.

घर में खाने के लाले थे. ऊषा अपने बच्चे को पढ़ालिखा कर कुछ बनाना चाहती थी. इसी वजह से उस ने ढाबे में खाना बनाने के साथ ग्राहकों को चायपानी देने का काम करना शुरू कर दिया था. 25 साल की ऊषा भरे हुए बदन की थी. उसे देख कर नरेश कुछ ऐसा मोहित हुआ कि वह रोज ही ढाबे पर आनेजाने लगा.

बातों ही बातों में नरेश उसे अपना दिल दे बैठा. पति से प्रताडि़त ऊषा को किसी पुरुष की सहानुभूति की जरूरत थी, लिहाजा वह भी अपनी भरी जवानी पर काबू न रख सकी. जब नरेश ने उस के साथ शादी करने का प्रस्ताव रखा तो ऊषा ने नरेश को बता दिया था कि वह शादीशुदा और 6 साल के बेटे की मां है.

नरेश इस की परवाह न करते हुए उस से शादी करने को राजी हो गया. ऊषा कटनी से पति को छोड़ कर बेटे संग नरेश के साथ मचला आ गई. नरेश की इस शादी को ले कर गांव में विरोध हुआ था. नरेश पहले ऊषा को ले कर अपने घर आया तो उस के मातापिता ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई. गांव में भी जातिबिरादरी के लोगों ने नरेश के इस तरह एक महिला को रखने पर ऐतराज जताया.

धुन के पक्के नरेश ने किसी की नहीं मानी और उस ने ऊषा से विधिवत शादी रचा ली और बाद में ऊषा अपने बेटे के साथ आ कर नरेश के घर में पत्नी बन कर रहने लगी.

इस बीच नरेश के मातापिता का निधन हो गया और सारी प्रौपर्टी उस के नाम हो गई. ऊषा का बेटा अब 13 साल का हो गया था. ऊषा नरेश पर अपने बेटे के नाम कुछ प्रौपर्टी करने का दबाव बना रही थी, पर नरेश इस के लिए तैयार नहीं था. क्योंकि उस की खुद की कोई औलाद नहीं हुई थी.

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नरेश शराब के नशे में ऊषा से झगड़ा और मारपीट भी करने लगा, जिस के कारण ऊषा का झुकाव अखिलेश नाम के युवक की तरफ हुआ.

 

अखिलेश और नरेश अच्छे दोस्त थे. नरेश रंगीनमिजाज था. उस के गांव की एक महिला से अवैध संबंध थे, जिस की जानकारी उस की पत्नी ऊषा को हो गई थी. इस बात को ले कर अकसर ही उन के बीच झगड़ा होता रहता था.

ऊषा सोचती कि जिस प्यार के लिए उस ने अपने पति को छोड़ दिया उसे वह प्यार भी नसीब नहीं हो रहा.

अखिलेश गांव के ही गिरिजाप्रसाद विश्वकर्मा का बेटा था. नशाखोरी की वजह से 32 साल की उम्र होने के बाद भी उस की शादी नहीं हुई थी. नरेश के साथ रहने से उसे मुफ्त की शराब पीने को मिलती थी.

दोनों ही अकसर गांव में साथसाथ घूमतेफिरते और साथ शराब पीते थे. सन 2019 में नरेश ने अपनी फितरत के अनुसार मौका पा कर अखिलेश की भाभी के साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की थी, जिस की रिपोर्ट पनागर थाने में दर्ज की गई थी. मगर पैसों का लालच दे कर उस समय मामला रफादफा हो गया था.

उसी समय से अखिलेश मन ही मन नरेश से रंजिश रखने लगा था. उस के साथ बैठ कर वह शराब तो पीता था, मगर हरदम नरेश से बदला लेने की फिराक में रहता था.

अखिलेश मौका पा कर नरेश की पत्नी से भी मेलजोल बढ़ाने लगा था. अखिलेश नरेश से मिलने अकसर उस के घर आता रहता था. नरेश की पत्नी ऊषा भी उस की खूब आवभगत करती थी.

 

एक दिन जब अखिलेश नरेश से मिलने आया तो नरेश और उस का बेटा घर पर मौजूद नहीं थे. ऊषा ने अखिलेश से बातचीत के दौरान अपनी परेशानी बताई. उस ने कहा, ‘‘लगता है मेरे पति का मुझ से मन भर गया है और वह किसी दूसरी औरत में दिलचस्पी लेने लगा है.’’

इस पर अखिलेश बोला, ‘‘घर में जिस की इतनी खूबसूरत बीवी हो वह भला और कहीं और मुंह क्यों मारेगा.’’

ऊषा अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनते ही शरमा कर बोली, ‘‘हमारी खूबसूरती किसे दिखती है.’’

‘‘भाभी, हमें तो तुम अप्सरा लगती हो. हमारी शादी तुम से हुई होती तो हम तो तुम्हारे कदमों में चांदतारे बिछा देते,’’ अखिलेश ने अपने मन की बात कह डाली.

‘‘तुम ठिठोली तो खूब कर लेते हो, पर तुम्हें मेरी कोई फिक्र ही नहीं है,’’ ऊषा ने शिकायती लहजे में कहा.

‘‘ऐसा नहीं है भाभी, मुझ से तुम्हारी हालत देखी नहीं जाती. मुझे मालूम है कि नरेश तो शराब पी कर तुम्हें मारतापीटता भी है. उसे तुम्हारे बेटे से भी कोई मतलब नहीं है. अगर उस के दिल में तुम्हारे और बेटे के प्रति जरा सी चाहत होती तो अपनी प्रौपर्टी उस के नाम नहीं कर देता.’’ अखिलेश सहानुभूति जताते हुए बोला.

‘‘मैं तंग आ गई हूं कब ऐसे मर्द से छुटकारा मिले,’’ ऊषा बोली.

‘‘भाभी, इस ने मेरी भाभी के साथ संबंध बनाने का प्रयास किया था, तब से मेरे अंदर भी इंतकाम की आग जल रही है. तुम कहो तो इसे रास्ते से हटा दूं.’’ अखिलेश ने ऊषा का मन जानने के लिए कहा.

‘‘सचमुच यदि तुम ऐसा कर दो तो मैं तुम्हें 2 लाख रुपए दूंगी,’’ ऊषा बोली.

‘‘तो भाभी, समझो काम हो गया. तुम बस रुपयों का इंतजाम कर लो,’’ पैसे के लालच और बदले की भावना से ग्रस्त अखिलेश ने ऊषा का प्रस्ताव मानते हुए कहा.

ऊषा अब नरेश से छुटकारा पाने का मन बना चुकी थी. जैसे ही उसे अखिलेश की शह मिली, वह पति को जान से मरवाने की योजना बनाने लगी. नरेश ने कुछ समय पहले अपनी आधा एकड़ जमीन बेच कर एक बोलेरो गाड़ी खरीदी थी, जिसे वह खुद किराए पर चलाता था. बाकी पैसे उस ने घर पर ही रखे थे. ऊषा ने सोचा कि घर में रखे हुए नरेश के पैसों से 2 लाख रुपए अखिलेश को दे कर नरेश का कत्ल करा कर वह उस की प्रौपर्टी की मालिक हो जाएगी. अखिलेश को पैसों के लालच के साथ नरेश से बदला लेना था.

अखिलेश तैयार हो गया तो ऊषा ने ही नरेश की हत्या के लिए उसे एक फरसा भी दिया. जिसे पहले ही खेत में एक पेड़ के नीचे छिपा कर अखिलेश ने रख दिया था.

तय साजिश के मुताबिक 10 जनवरी, 2022 की शाम अखिलेश ने नरेश को फोन किया और गांव के बाहर श्याम मिश्रा के खेत में शराब पीने के लिए बुलाया. दोनों ने साथ में बैठ कर शराब पी. नरेश को अखिलेश ने ज्यादा शराब पिला दी, जिस से वह नशे में धुत्त हो कर बेसुध हो गया.

इस के बाद अखिलेश ने पहले से खेत में छिपा कर रखा फरसा निकाला और 4-5 वार कर नरेश की गरदन पर कर धड़ से अलग कर दी. अखिलेश शातिर दिमाग का था. कुछ देर इंतजार करने के बाद जब नरेश के सिर से खून निकलना बंद हो गया तो उस ने नरेश का सिर उठा कर रोड के दूसरी तरफ सुखचैन गोटियां के पीछे अशोक पटेल के खेत में ले जा कर फेंक दिया.

अखिलेश ने सोचा कि सुखचैन एवं अशोक पर नरेश की हत्या का शक पुलिस करेगी. क्योंकि अखिलेश को पता था कि सुखचैन गोटियां और नरेश के बीच मनमुटाव रहने से हमेशा विवाद होता रहता था.

इतना ही नहीं, नरेश की हत्या करने के बाद अखिलेश ने ऊषा को काम पूरा होने की खबर मोबाइल से दी और खून से सना फरसा घर के आंगन में फेंक वह घर चला गया, जिसे ऊषा ने धो कर घर में ही छिपा दिया था. नरेश की हत्या के बाद ऊषा ने पहले थाने जा कर उस की गुमशुदगी की सूचना लिखवाई. लाश मिलने पर अखिलेश और ऊषा दोनों दुखी होने का नाटक करते रहे. पुलिस ने जब पूछताछ की तो सारी कहानी सामने आ गई.

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पुलिस ने नरेश की पत्नी ऊषा मिश्रा को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो उस ने भी स्वीकार कर लिया कि पति से परेशान हो कर उसे उस की हत्या कराने के लिए मजबूर होना पड़ा. पुलिस ने अखिलेश और ऊषा की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त फरसा एवं घटना के वक्त उपयोग में लाए गए 2 मोबाइल फोन बरामद कर लिए. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जबलपुर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने 24 घंटे के अंदर केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की सराहना की.

—कथा पुलिस सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट पर आधारित

 

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