चंद सिक्कों के लालच में ही सही, गरीबों के बच्चे जान जोखिम में डाल कर नदियों में छलांग लगा रहे हैं. नदियों की तली में जा कर सिक्कों को बटोरने के चक्कर में पिछले कुछ महीनों में 3 बच्चों की जानें जा चुकी हैं.

पटना में गंगा नदी के किनारे बने गायघाट के पास 3 बच्चे सिक्कों के लालच में गंगा में कूदे, पर बाहर नहीं आ सके. छोटी पहाड़ी इलाके का रहने वाला 14 साल का पुन्नू राम और गायघाट के पास की एक झोंपड़पट्टी का रहने वाला 7 साल का साहिल सिक्कों को बटोरने के लिए गंगा में कूदे और डूब गए. तीसरे बच्चे की पहचान नहीं हो सकी.

गंगा के घाटों पर अकसर देखा जाता है कि बच्चे गंगा के गहरे और उफनते पानी में छलांग लगाते रहते हैं. उन बच्चों की उम्र अमूमन 8 से 12 साल के बीच होती है. उन्हें गंगा की तेज धारा में डूबने का जरा भी खौफ नहीं होता है.

10 साल का जुम्मन यह कह कर अच्छेअच्छों की बोलती बंद कर देता है, ‘‘जीने के लिए तो रोज मौत से खेलना ही पड़ता है साहब. गंगा के पेट से सिक्के निकालना ही हम सब का धंधा है. इसी से मेरी मां और बहन का गुजारा चलता है.’’

सिक्कों के लिए गंगा में छलांग लगाने के बाद कुछ पल के लिए वे पानी के भीतर गुम हो जाते हैं. इस से किनारे पर खड़े लोगों की सांसें अटक जाती हैं. थोड़ी ही देर के बाद बच्चे एकएक कर पानी की सतह पर आते हैं.

वे जल्दीजल्दी तैर कर किनारे आते हैं और अपना मुंह खोलते हैं. उस में से भरभरा कर कई सिक्के जमीन पर आ गिरते हैं. उस के बाद अपनी हथेलियों को खोल कर दिखाते हैं. उन में भी 1, 2, 5 और 10 के कई सिक्के होते हैं.

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