बिहार में हथियारों के शौकीनों का एक नया गैरकानूनी शौक सामने आया है. वे लाइसैंसी हथियारों के डिजाइन में फेरबदल कर उसे नया रूप देने लगे हैं. यह एक महज शौक नहीं बल्कि रुपए कमाने का नया तरीका भी बन चुका है.

गृह विभाग का मानना है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान जब्त हथियारों को देखने के बाद यह पता चला है कि हथियारों में फेरबदल करने का शौक खतरनाक हद तक बढ़ चुका है.

30 मार्च, 2018 को पटना के ऐक्जीबिशन रोड चौराहे के पास पकड़े गए लोगों के पास से 10 हथियार बरामद किए गए. इन में से 3 हथियारों के मूल डिजाइन को बदल दिया गया था.

तड़के सुबह साढ़े 3 बजे गाडि़यों की चैकिंग के दौरान पुलिस ने एक गाड़ी से इन हथियारों को बरामद किया. इन में .315 की 5 राइफलें, 12 बोर की 2 एसबीबीएल राइफलें और 12 बोर की 3 डीबीबीएल राइफलें थीं.

मामले की छानबीन करने वाले डीएसपी एसए हाशिमी ने बताया कि लाइसैंसी हथियारों के डिजाइन में किसी भी तरह का बदलाव करना गैरकानूनी है जबकि कई लोग पुराने हथियारों को नया रंगरूप दे कर रोब गांठते हैं.

सब से ज्यादा .315 बोर की राइफल के मूल डिजाइन में बदलाव करने का मामला देखने को मिला है. यह राइफल मूल रूप से और्डिनैंस फैक्टरी में बनाई जाती है और इस की एक ही डिजाइन मार्केट में है.

इस मौडल की राइफल में पूरा बट लकड़ी का होता है. कुछ लोग लकड़ी के बट को हटा कर छोटा बट लगा देते हैं. इस से राइफल का साइज छोटा हो कर एके-47 जैसा लगने लगता है. बट को बदलवाने में ढाई हजार रुपए और उस में दूरबीन लगवाने के लिए 15 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं.

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