बौलीवुड फिल्में सिर्फ मनोरंजन नहीं करतीं, बल्कि कई बार इनकी कहानियां समाज को आईना दिखाने का काम भी करती हैं. उनमें से ही एक है कुछ ही दिनों बाद रिलीज होने वाली फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’.

अलग-अलग दौर में ऐसी कहानियां और मुद्दे पर्दे पर आते रहे हैं, जिनको लेकर समाज में एक नकारात्मक सोच या पूर्वाग्रह रहता है. बहुत सी फिल्मों के जरिए ऐसी सोच पर प्रहार किया जाता है.

शुभ मंगल सावधान

आरएस प्रसन्ना निर्देशित फ़िल्म शुभ मंगल सावधान मेल फर्टिलिटी यानि पुरुषों में नपुंकसता के विषय पर आधारित है. यह फिल्म सितंबर 2017 में रिलीज की जानी है.

मेल इंफर्टिलिटी को समाज में अच्छी नजर से नहीं देखा जाता और बीमारी से ज्यादा इसे कमजोरी के तौर पर देखा और समझा जाता है. इसी मुद्दे पर यह फिल्म शुभ मंगल सावधान बात करेगी. इस फिल्म में आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर मुख्य भूमिकाओं में हैं.

पोस्टर बौयज

अभिनेता श्रेयस तलपड़े फिल्म ‘पोस्टर बौयज’ से अपना निर्देशन करियर शुरू कर रहे हैं. इस फिल्म में सनी देओल और बौबी देओल मुख्य भूमिका में नज़र आएंगे. इस फिल्म की कहानी नसबंदी को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों पर आधारित है.

निल बटे सन्नाटा

निर्देशन क्षेत्र में अश्विनी अय्यर तिवारी की डेब्यू फिल्म निल बटे सन्नाटा ने प्रौढ़ शिक्षा के मुद्दे को उजागर किया था. फिल्म में स्वरा भास्कर ने हाउस मेड का रोल निभाया था, जो एक बच्चे की मां होती है और इसकी एजुकेशन के लिए वो खुद भी स्कूल में दाखिला लेती है.

लिपस्टिक अंडर माय बुर्का

अलंकृता श्रीवास्तव की फिल्म लिपस्टिक अंडर माय बुर्का उम्रदराज महिलाओं की सेक्सुअल लाइफ को लेकर समाज में फैले पूर्वाग्रहों को दर्शाती है. फ़िल्म में रत्ना पाठक के किरदार के जरिए इस इश्यू को हाइलाइट किया गया.

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