मंदिर की सेवा करने वाली पुजारिन अम्मां की मौत से महल्ले में खलबली मच गई. कल रात पुजारिन अम्मां ठंड से मर गईं तो महल्ले में शोक की लहर दौड़ गई. हर एक ने पुजारिन अम्मां के ममत्व और उन की धर्मभावना की जी खोल कर चर्चा की पर दबी जबान से चिंता भी जाहिर की कि पुजारिन का अंतिम संस्कार कैसे होगा? पिछले 20-25 सालों से वह मंदिर में सेवा करती आ रही थीं, जहां तक लोगों को याद है इस दौरान उन का कोई रिश्तेनाते का परिचित नहीं आया. उन की जैसी लंबी आयु का कोई बुजुर्ग अब महल्ले में भी नहीं बचा है जो बता सके कि उन का कोई वारिस है भी या नहीं. महल्ले वालों को यह सोच कर ही कंपकंपी छूट रही है कि केवल दाहसंस्कार कराने से ही तो सबकुछ नहीं हो जाएगा, तमाम तरह के कर्मकांड भी तो करने होंगे. आखिर मंदिर की पवित्रता का सवाल है. बिना कर्मकांड के न तो पत्थर की मूर्तियां शुद्ध होंगी और न ही सूतक से बाहर निकल सकेंगी. पर यह सब करे कौन और कैसे?

इस समाचार को ले कर आई महरी घर का काम करने के पक्ष में बिलकुल नहीं थी. वह तो बस, मेमसाहब को गरमागरम खबर देने भर आई है. चूंकि वह पूरी आल इंडिया रेडियो है इसलिए रमा ने पति की तरफ चुपके से आंखें तरेरीं कि कहीं उन की मजाक में कही बात मिर्च- मसाले के साथ पूरे महल्ले में न फैल जाए.

घड़ी की सूई जब 12 पर पहुंचने को हुई तब जा कर महल्ले वालों को चिंता हुई कि ज्यादा देर करने से रात में घाट पर जाने में परेशानी होगी. पुजारिन अम्मां की देह यों ही पड़ी है लेकिन कोई उन के आसपास भी नहीं फटक रहा है. वहां जाने से तो अशौच हो जाएगा, फिर नहाना- धोना. जितनी देर टल सकता है टले.

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