आखिरकार हाफिज इंतिजाम अली को अपने बेटे मुमताज अली के सामने हथियार डालने ही पड़े. वे उस की पसंद की लड़की के साथ उस का निकाह कराने को तैयार हो गए, पर उन्होंने अपनी ओर से एक शर्त लगा दी.
उन्होंने कहा, ‘‘देखो बेटा, मैं तुम्हें तुम्हारी पसंद की लड़की के साथ निकाह कराने की इजाजत तो दे रहा हूं, क्योंकि आज के जमाने में यह एक आम बात हो गई है.
‘‘पर एक बात का ध्यान रहे कि मैं बेपरदगी बिलकुल पसंद नहीं करूंगा. तुम्हें बहू को परदे में रखना होगा और उसे साथ ले कर ज्यादा घूमनाफिरना नहीं होगा. अगर उसे कहीं ले जाना भी पड़े तो तुम उसे बुरका पहना कर ले जाओगे.’’
मुमताज अली अपनी पसंद की लड़की तमन्ना से शादी करने को इतना उतावला था कि उस ने अपने पिता की इस शर्त को तुरंत मान लिया और उस की शादी तमन्ना के साथ करा दी गई.
पर इंतिजाम अली अपने छोटे बेटे फरीद अली से ऐसी कोई शर्त स्वीकार न करा सके. उस ने साफ कह दिया, ‘‘मैं अपनी बीवी के संबंध में कोई शर्त नहीं मान सकता. अगर वह चाहेगी तो परदे
में रहेगी, परदा उस पर थोपा नहीं जाएगा.’’
मुमताज अली के निकाह के कुछ दिनों बाद ही फरीद अली का निकाह साहिदा नाम की एक लड़की से हो गया. वह बीए पास थी और उस ने परदे में रहना एकदम नामंजूर कर दिया.
हाफिज इंतिजाम अली को साहिदा का परदे में न रहना बिलकुल पसंद नहीं था, पर वे कुछ कह न सके. वह किसी से भी परदा नहीं करती थी और जरूरत पड़ने पर खुद बाजार जा कर सामान भी खरीद लाती थी और फरीद अली की गैरहाजिरी में उस के दोस्तों का स्वागत भी करती थी.