अब घबराया हुआ है क्योंकि भाजपा के अंधभक्त अब पौराणिक कानून को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के बराबर समझने लगे हैं. सोशल मीडिया में यह ज्यादा दिख रहा है.

नरेंद्र मोदी ने फिलहाल अपने जानेपहचाने चेहरों को बेवजह बेमतलब की बातें न बोलने की बात कह दी है पर उन के लाखों भक्त जिन्होंने बिना भाजपा के मैंबर बने पिछले 6-7 सालों में सोशल मीडिया पर लगातार पहले राहुल गांधी, फिर जब मायावती से फैसला नहीं हुआ तो उन्हें गालियों से नवाजा है, अब अपनी निशानेबाजी नहीं छोड़ रहे.

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गौतम गंभीर और सुषमा स्वराज तक को नहीं छोड़ा गया जो भाजपा के ही हैं क्योंकि उन्होंने मुसलिमों को बचाने की कोशिश कर डाली. बहुत से टीवी पत्रकार जिन्होंने न चाहते हुए भी भाजपा की खिंचाई करते हुए उसे मुफ्त पब्लिसिटी दी इन को नहीं छोड़ा क्योंकि वे हिंदूवादी जयजयकार करने से कतरा रहे थे.

ये भक्त असल में अब भाजपा के भी कंट्रोल से बाहर हैं. थे तो वे पहले भी किसी के कंट्रोल के बाहर, पर तब उन की पैठ बस घरोंपरिवारों, दुकानों, व्यापारों तक थी. अब ये राजा बनवाने वाले कहे जा रहे हैं और राजा के नाम पर ये किसी से कुछ भी करा सकते हैं. जो काम ये पहले गांवों के चौराहों पर बैठ कर किया करते थे, अब मोबाइल के सहारे कर रहे हैं. इन के पास शब्दों का भंडार है. फालतू समय है. ये दिनभर नएनए शब्द गढ़ कर बात का बतंगड़ बना सकते हैं और अपनी सफाई देने वाले की धुलाई कर सकते हैं. धर्म के नाम पर सदाचार, नैतिकता की बात करने वाले अपने नाम से ट्विटर और फेसबुक पर मांबहन की गालियां भी दे सकते हैं.

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