शरीर के ये हिस्से बनाते हैं सेक्स को मजेदार

यदि आप उनके शरीर के कुछ विशेष हिस्सों पर ध्यान देंगी तो सेक्शुअल रिश्तों पर इसका जादुई असर होगा और आपकी सेक्शुअल लाइफ पहले से ज़्यादा संतुष्टिदायक हो जाएगी.

कमाल आंखों का!

कमरे के अलग-अलग हिस्सों पर खड़े होकर उन पर लगातार एक-दो सेकेंड तक नज़र डालें. नजरों से समझाएं कि आप उनका साथ चाहती हैं. ये प्रक्रिया जितनी शरारतभरी और फ्लर्ट अंदाज में होगी, उनका दिल उतने ही जोर से धड़केगा. और हां, हाई हील्स पहनिए. लंबे पैर हमेशा पुरुषों का ध्यान आकर्षित करते हैं. तब भी, जब आप चलते हुए उनसे दूर जा रही हों.

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सुगंध, जो मदहोश कर दे

शनेल नंबर 5, की खुशबू पुरुषों को आकर्षित नहीं करती. उन्हें मदहोश करनेवाली खुशबू है-पम्प्किन पाई की मीठी-तीखी सुगंध. ‘‘परफ्यूम्स को फेंक दीजिए और पम्प्किन पाई खरीद लाइए,’’ कहना है शिकागो के स्मेल ऐंड टेस्ट ट्रीटमेंट सेंटर के डॉ ऐलेन हिअर्श का.

शोध बताते हैं कि इसकी खुशबू पुरुषों को महिला की चाहत से भर देती है. यदि इसे लैवेंडर की खुशबू के साथ मिला देंगी तो आपको उनके उफान को शांत करने के लिए एक बाल्टी ठंडे पानी की ज़रूरत पड़ेगी. पम्प्किन की खुशबू से प्रतिभागियों के पीनियल (शिश्न) रक्त-प्रवाह में औसतन 40% की बढ़ोतरी पाई गई. वनीला की ख़ुशबू का भी जबरदस्त असर होता है. संतुष्टिदायक सेक्स जीवनवाले पुरुषों ने माना कि स्ट्रॉबेरी की महक भी उन्हें पसंद है.

हाथों का जादू

उनका हाथ थामे रहें. यूनिवर्सिटी कौलेज, लंदन द्वारा वर्ष 2013 में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, जब कभी आप तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हों अपने जीवनसाथी का हाथ थाम लें, ऐसा करने से मस्तिष्क का वह क्षेत्र शांत हो जाता है, जहां खतरे की आशंका की शुरुआत होती है. साथ ही, शरीर का तनाव कम हो जाता है.

कान महत्वपूर्ण हैं

कानों को हम भूल जाते हैं. लेकिन यह वो हिस्सा है जो सुखदायी होने के साथ-साथ उन्हें उत्तेजित कर सकता है. अपना अंगूठा और अनामिका उंगली उस जगह पर रखें, जहां उनका ईयर लोब और चेहरा आपस में मिलते हैं. हल्का-सा नीचे की ओर खींचते हुए अपनी उंगलियों को वहां फिसलने दें, ताकि आप दोबारा शुरू कर सकें. और देखें कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी होती है.

होंठों का आकर्षण

पुरुष के होंठ स्वाभाविक जगह हैं, जहां स्पर्श उन्हें पसंद होता है. पर उनके निचले होंठ और ठोढ़ी के बीच की ढलान पर आपका स्पर्श उन्हें आनंद से भर देगा. ‘‘हमने पाया है कि ये छोटा, नाज़ुक और वक्रीय हिस्सा बहुत संवेदनशील नर्व रिसेप्टर है,’’ लो पेजेट ने अपनी किताब द बिग ओ में यह बात कही है.

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घुटनों का आनंद

घुटनों के पीछे की त्वचा नर्म-मुलायम होती है और पुरुषों को इसकी मालिश अच्छी लगती है. ‘‘शरीर के ऐसे हिस्से जहां कम बाल होते हैं, पुरुषों के लिए ज़्यादा संवेदनशील और उत्तेजक होते हैं,’’ कहना है न्यू यॉर्क की सेक्स कोच ऐमि लेविन का. ‘‘उनकी इच्छा को उभारने के लिए उनके घुटनों के पीछे के हिस्से की मालिश अपनी उंगलियों के पोरों से गोलाकार गति में करके देखिए.’’

पैरों से खेलें

एड़ी और टखने (ऐंग्कल) की हड्डी के बीच पीछे की ओर एक फ़िंगर-टिप साइज़ का प्रेशर पॉइंट है, जिसमें उत्तेजना की अपार संभावनाएं छिपी हैं, यह बात लॉरा नॉर्मैन ने अपनी किताब फीट फर्स्ट में बताई है. ‘‘यह जगह सेक्स अंगों से जुड़ी होती है,’’ लॉरा कहती हैं, जो आनंद का एहसास जगाती है. जरनल औफ सेक्शुअल मेडिसिन के सर्वे में भाग लेनेवाले आधे से ज्यादा पुरुषों का कहना था कि निपल (वक्षाग्र) पर किए गए स्पर्श ने न सिर्फ उनकी उत्तेजना को बढ़ाया, बल्कि उनके जोश को चरम पर पहुंचा दिया.

मर्द, डाक्टर से न झिझकें

हिंदी फिल्मों में समाज से जुड़े मुद्दों पर अपनी बात कहने की परंपरा रही है. इस कड़ी में आयुष्मान खुराना की फिल्मों को रखा जा सकता है, जिन में हमेशा ही किसी न किसी सामाजिक मुद्दे को उठाया जाता है, फिर चाहे उन की फिल्म ‘बाला’ हो या फिर ‘विकी डोनर’. इन दोनों ही फिल्मों में मर्दों के गंजेपन और बच्चे न हो पाने की समस्या पर रोशनी डाली गई है, जिन पर लोग अकसर ही बात करने से बचते हैं.

इसी लिस्ट में आयुष्मान खुराना की नई फिल्म ‘डाक्टर जी’ को रखा जा सकता है, जिस में वे अपने भाई की तरह और्थोपैडिक डाक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन जब रैंक कम आती है तो उन्हें मजबूरी में गायनेकोलौजी ब्रांच लेनी पड़ती है. मतलब एक ऐसा डाक्टर, जो औरतों से जुड़ी बीमारियों का इलाज करता है.

पर क्या भारत जैसे देश में जहां औरतों को परदे में छिपा कर रखने को बढ़ावा दिया जाता है, वहां कोई मर्द डाक्टर उन के अंदरूनी अंगों की जांच कर सकता है? बड़े शहरों में शायद ऐसा मुमकिन हो, लेकिन गांवदेहात में तो यह अभी दूर की कौड़ी है.

फिल्म ‘डाक्टर जी’ के एक सीन से इस बात को समझते हैं. डाक्टर बने आयुष्मान खुराना चैकअप के लिए एक औरत से कपड़े ऊपर करने को कहते हैं, पर इतना सुनते ही वह औरत चिल्लाने लगती है. चीखपुकार सुन कर उस औरत का पति वहां आ जाता है और आयुष्मान खुराना को पीटने लगता है.

इसी सिलसिले में गायनेकोलौजिस्ट के तौर पर प्रैक्टिस करने वाले इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के ईस्ट दिल्ली ब्रांच के अध्यक्ष डाक्टर कुमार गांधी ने ‘नवभारत गोल्ड’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था, ‘वैसे तो इस पेशे में बहुत इज्जत मिलती है, लेकिन कभीकभार ऐसे वाकिए हो जाते हैं, जो नहीं होने चाहिए. कई बार हमें न चाहते हुए भी औरत से उन मुद्दों पर बात करनी पड़ती है, जिन के बारे में वह सब से बात नहीं करती. उस दौरान हम मरीज के कंफर्ट का बहुत ध्यान रखते हैं.’

जब कोई डाक्टर अपने मरीज के कंफर्ट लैवल की बात करता है, तो वह इस बारे में काफी संजीदा होता है. यह कंफर्ट लैवल औरतों और लड़कियों की ‘खास’ बीमारियों या समस्याओं पर पूरी तरह लागू होता है.

मान लो, किसी औरत या लड़की को माहवारी में दिक्कत आती है, तो बतौर डाक्टर पहला सवाल मन में यही उठता है कि कहीं वह पेट से तो नहीं है? लेडी गायनेकोलौजिस्ट के सामने मरीज बता सकती है कि उस की शादी हुई है या नहीं, या फिर उस ने सैक्स करते हुए कोई सावधानी बरती थी या नहीं, क्योंकि आज के जमाने में शादी होना और पेट से होना 2 अलग बातें हैं.

लेकिन अगर सामने कोई मर्द डाक्टर बैठा है तो मरीज को लगता है कि वह उस के करैक्टर पर सवाल उठा रहा है और वह असहज हो जाती है, जिस से कभीकभार मामला गंभीर भी हो जाता है. लेकिन इस से मरीज का ही नुकसान होता है, क्योंकि सामने जो डाक्टर बैठा है, वह औरतों की बीमारियों को ठीक करने में माहिर है और उस का एक ही मकसद है कि उसे मरीज की बीमारी के बारे में सभी बातें पता हों, तभी वह सही दवा या सलाह दे पाएगा.

जब से गांवदेहात में गरीब और निचली जाति की लड़कियां पढ़ने लगी हैं, तब से वे बहुत ज्यादा जागरूक होने लगी हैं. वे अपने और आसपास के परिवार की औरतों को समझा सकती हैं कि अगर कोई मर्द गायनेकोलौजिस्ट आप की अंदरूनी बीमारी का इलाज कर रहा है, तो अपनी झिझक छोड़ कर बात रखें.

गायनेकोलौजिस्ट को कभी भी मर्द या औरत डाक्टर के तराजू में न तोलें, क्योंकि वे आप की बीमारी में दिलचस्पी रखते हैं, न कि शरीर में. उन के सामने खुल कर अपनी समस्या बताएं और इन बातों का तो खास खयाल रखें :

* अगर आप की माहवारी अनियमित है और वह डेट से काफी पहले या देर से आती हो या फिर महीने में 2 बार आती हो, तो तुरंत माहिर डाक्टर को बताएं.

* माहवारी से जुड़ी कोई भी परेशानी हो, तो उस की अनदेखी न करें और बिना देर किए गायनेकोलौजिस्ट के पास जाएं.

* अगर आप गर्भनिरोधक गोलियां या किसी दर्द निवारक दवा का सेवन कर रही हों और इस से आप की सेहत पर असर हो रहा हो, पीरियड में तकलीफ हो या जिस्मानी रिश्ता बनाते समय दर्द महसूस होता हो, तो गायनेकोलौजिस्ट से खुल कर बात करें.

* जिस्मानी रिश्ता बनाते समय अगर दर्द महसूस हो या फिर अंग से खून निकलने समेत कोई दूसरी परेशानी हो, तो घरेलू उपचार बिलकुल न करें और गायनेकोलौजिस्ट के पास जा कर अपना इलाज कराएं.

* अंग में खुजली होने या तेज बदबू आने पर तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए.

* अगर आप के पेट, पीठ या कमर में कई दिन से दर्द हो रहा हो, तो इस की अनदेखी न करें और गायनेकोलौजिस्ट के पास जा कर इलाज कराएं.

औरतें और लड़कियां एक बात का तो खास खयाल रखें कि वे कभी भी पंडेपुजारियों, ओझातांत्रिकों और फकीरबाबाओं के चक्कर में पड़ कर अपनी अंदरूनी बीमारियों का रोना न रोएं, क्योंकि बहुत से पाखंडी उन की इसी बात का फायदा उठा कर शोषण करने की जुगत में रहते हैं. वे ऐसी औरतों और लड़कियों की शर्म का फायदा उठाते हैं और उन्हें पैसे और शरीर से नोंच डालते हैं.  डाक्टर का काम अपने मरीज की सेहत को ठीक करना होता है. अगर उसे बीमारी का ही नहीं पता चलेगा तो  दवा कैसे देगा? इस में मर्द या औरत डाक्टर का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है. लिहाजा, औरतों को मर्द डाक्टर से बिलकुल नहीं झिझकना चाहिए.

मुझे लगता है कि मुझमें संबंध बनाने की कूवत नहीं है क्योंकि…

सवाल…

मैं 28 साल का हूं. मेरी शादी हो चुकी है. मुझे लगता है कि मुझ में संबंध बनाने की कूवत नहीं है, क्योंकि लगातार हस्तमैथुन करने से मेरा अंग छोटा व पतला हो गया है. क्या करूं?

जवाब…

हस्तमैथुन से संबंध बनाने की कूवत कम नहीं होती. छोटे-पतले अंग से भी इस काम में फर्क नहीं पड़ता. हमबिस्तरी से पहले बीवी के अंगों को सहला कर उसे तैयार करें, फिर कोई वहम लाए बिना संबंध बनाए.

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सवाल…

मैं 22 साल का हूं. एक लड़की मुझे पसंद करती है. लेकिन उस के भाई से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती है. अगर उसे पता चला तो हमारी दोस्ती में दरार भी आ सकती है. मुझे उचित राय दें?

जवाब

अगर आप दोनों एकदूसरे से?प्यार करते हैं तो कोई समस्या नहीं है. दोस्त की बहन से प्यार हो जाना कोई गुनाह नहीं?है. बेहतर होगा कि आप उस के घर के बड़ों को भरोसे में ले कर बात करें और दोस्त को भी सच बता दें. अगर वह समझदार होगा तो दोस्ती में दरार नहीं आएगी, बल्कि इस के रिश्तेदारी में तबदील होने की उम्मीद बढ़ जाएगी. और भी बेहतर होगा कि आप बात उजागर करने से पहले कुछ बन कर दिखाएं.

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आपकी सेक्स लाइफ खराब कर रहा है टीवी, जानें कैसे

दिनभर के काम के बाद सबसे आरामदेह होता है मैड मेन के क्रेडिट्स पर आंखे गड़ाना और फिर अपने बिस्तर के आगोश में समा जाना. यदि आप अकेली हैं तो ऐसा करना बिल्कुल सही है, लेकिन यदि आप अपने पार्टनर के साथ हैं और फिर भी उनसे बात करने के बजाय डेरेक ऐंड मेरेडिथ देखना पसंद करती हैं तो ये चिंता की बात है.

केवल एक आप ही नहीं हैं, जिसके अच्छे-भले सेक्शुअल जीवन में, दोस्त समझे जानेवाले बुद्धू बक्से ने सेंध लगा दी है. इटली में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे जोड़े जिनके बेडरूम में टीवी है, उनके बीच सेक्शुअल संबंधों की संख्या, ऐसे जोड़े की तुलना में जिनके बेडरूम में टीवी नहीं है, आधी होती है.

मुंबई के सेक्शुअल मेडिसिन कंसल्टेंट राज ब्रह्मभट्ट इस अध्ययन का समर्थन करते हैं. ‘‘बेडरूम में टीवी आपके सेक्शुअल जीवन को बर्बाद कर देता है,’’ वे आगे बताते हैं,‘‘इन दिनों घर के हर कमरे में टीवी होना फैशन बन गया है. लेकिन इसका विपरीत परिणाम ये है कि कई कपल्स सेक्स के लिए समय निकालने के बजाय सीरियल देखना पसंद करते हैं.’’

सेक्स विनाशक

‘‘मैं अपना पसंदीदा टीवी सीरियल, लिविंग रूम के बजाय आराम से अपने बेडरूम में देखना पसंद करूंगी,’’ कहना है पीआर एग्जेक्यूटिव रितिका साहनी, का. ‘‘पर समस्या ये है कि मेरे और मेरे पति के पसंदीदा प्रोग्राम अलग-अलग हैं. जब तक मैं अपना सीरियल देखकर सोने के लिए तैयार होती हूं, वे अपने प्रोग्राम्स, खबरें या ऐक्शन मूवीज देखना शुरू कर देते हैं. सेक्स का तो नंबर ही नहीं आ पाता.’’

एक तर्क ये हो सकता है कि रिमोट उठाकर टीवी को बंद करने की ही देर है कि अंतरंग पल जिए जा सकते हैं, लेकिन ये इतना आसान नहीं है. ‘‘कई बार कोई सेक्सी फिल्म देखने के बाद हम निजी पल जीने के मूड में आ जाते हैं,’’ ये बताते हुए मीडिया प्रोफेशनल तनिका बसक कहती हैं, ‘‘पर अधिकतर समय हम न्यूज देखते हैं और इसे देखकर निजता की कोई भावना नहीं उभरती.’’

रचनात्मक तरीके

राज बताते हैं, ‘‘मेरे बहुत-से पेशेंट्स बेडरूम से टीवी हटाने के मेरे सुझाव का विरोध करते हैं. पर ये महसूस करना ज़रूरी है कि एल्कोहल की ही तरह टीवी देखने से इच्छाएं तो बढ़ती हैं, लेकिन सक्रियता कम हो जाती है. अत: इसे लिविंग रूम में रखें, ताकि आप इसे अन्य परिजनों के साथ ही देखें. आप इसे देखने के समय में कटौती करने से भी शुरू कर सकते हैं. यदि आप रोज छह घंटे टीवी देखती हैं तो इसे तीन घंटों तक सीमित कर दें. और ये समय ऐसा रखें कि आप दोनों को दाम्पत्य जीवन के सहज पलों को साथ बिताने का पूरा समय मिले.’’

ये कठिन ज़रूर है, पर पूरी तरह संभव है. अपने सेक्शुअल संबंधों की गर्माहट को पुनर्जीवित करें. फिर आपको ख़ुद ही महसूस होने लगेगा कि वास्तविक जीवन का यह एपिसोड टीवी सीरियल्स के एपिसोड से कहीं ज्यादा अच्छा अनुभव है.

5 टिप्स: सिंगल सेक्स को लेकर युवतियों के बदलते विचार

परिवर्तन के इस दौर में न सिर्फ युवतियों के विचार बदले हैं बल्कि उस से कई कदम आगे वे दैहिक स्वतंत्रता की बोल्ड परिभाषा को नए कलेवर में गढ़ती और बुनती नजर आ रही हैं.

1. सेक्सुअलल बोल्डनैस का बोलबाला

आज युवतियों ने सेक्स को अपने बोल्ड व बिंदास अंदाज से बदल दिया है. युवतियां न केवल सोशल फोरम में व सार्वजनिक जगहों पर सेक्स जैसे बोल्ड इश्यू को सरेआम उठा रही हैं बल्कि उस के पक्ष में अपना मजबूत तर्क भी पेश कर रही हैं. वे कैरियर ओरिऐंटिड होने के साथसाथ सेक्स ओरिऐंटिड भी हैं. सेक्स के टैबू होने के मिथक को वे काफी पीछे छोड़ चुकी हैं. वे सेक्स को बुराई नहीं समझतीं बल्कि उस का भरपूर लुत्फ उठाना चाहती हैं.

2. सिंगल सेक्स की पैरोकार आज की युवतियां

कुछ समय पहले तक युवतियों के अकेले रहने या सफर करने पर सवाल उठाए जाते थे, पर जवान होती युवापीढ़ी ने वर्षों से चली आ रही नैतिक व सेक्स से जुड़े सामाजिक मूल्यों की अपनी तरह से व्याख्या की है. सहशिक्षा व बौद्धिक विकास ने इसे बदलने में काफी सहायता की है. शिक्षित स्वतंत्र कम्युनिटी के इस बोल्ड अंदाज ने आम मध्यवर्गीय सोच में भी अपनी पैठ बना ली है. निम्न वर्गों में तो पहले से ही स्वतंत्रता थी. बगावती सुरों ने आजादी पाने की राह आसान कर दी है. युवतियों की आर्थिक स्वतंत्रता ने भी इस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.  सिंगल रहने वाली अधिकतर युवतियां इस सेक्सुअलल फ्रीडम का बेबाकी से फायदा उठाती नजर आती हैं. वे सेक्स को ऐंजौय करने में हिचकिचाती नहीं हैं. यह भी शरीर की एक आवश्यकता है.

3. सेफ सेक्स, सेफ लाइफ का फंडा

आधी आबादी का एक बड़ा वर्ग सेफ सेक्स को तरजीह देता है. सेक्स अब इंटरकोर्स का माध्यम मात्र नहीं बल्कि सुरक्षित व आनंददाई बन गया है. युवतियां अलर्ट हैं, जागरूक हैं और अपनी सेहत को ले कर सजग भी हैं. सेक्सुअलल इंटरकोर्स के दौरान वे दुनियाभर के उपाय जैसे पिल्स, कंडोम आदि का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. सिंगल रहने वाली युवतियां अब सेक्स का भी मजा ले रही हैं और फिटनैस भी बरकरार रख रही हैं.

4. सिंगल सेक्स के फायदे

वर्जनाएं अब टूट रही हैं. पढ़ाई, नौकरी या कामकाज के सिलसिले में युवतियां अपनी जद की सीमाएं लांघ रही हैं. ऐसे में बेरोकटोक वाली एकाकी जिंदगी उन्हें ज्यादा रास आ रही है. माना कि आम भारतीय परिवारों में विवाहपूर्व सेक्स को अभी भी वर्जित समझा जाता है और इसे चोरीछिपे ही अंजाम दिया जाता है, लेकिन यही रोकटोक युवाओं को सेक्स के और अधिक करीब खींच कर ला रही है. वैसे तो सिंगल सेक्स अपनेआप में एक फ्रीडम का एहसास कराता है, पर इस के कुछ फायदे भी हैं जैसे :

  •    इस से बोल्डनैस का एहसास होता है.
  •    यह कथित वर्जनाओं को तोड़ने का चरम एहसास कराता है.

माना कि सिंगल सेक्स आप को रियल सेक्सुअलल फन दे सकता है, पर अपनी सेक्सुअलल प्राइवेसी को ले कर सतर्क भी रहें. सेक्सुअलल फ्रीडम की भी लिमिट तय करें तभी आप इस के आनंद के चरम पर पहुंच सकती हैं और इस के बिंदास अंदाज में रंग सकती हैं. सेक्सुअलल इंडिपैंडैंसी जहां आप को बेबाक व बोल्ड बनाती है वहीं मोरल पुलिसिंग का शिकार भी इसलिए फन के साथ केयर का भी खयाल रखें.

5. सिंगल सेक्स के नुकसान

भले ही सिंगल रहने वाली युवतियां सेक्स को ले कर मुखरित हों पर इस के अपने कुछ नुकसान भी हैं:

  •   मल्टी पार्टनर्स से संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं.
  •  चीटिंग का खतरा हमेशा बना रहता है.
  •  लंबे समय तक ऐसी फ्रीडम आप को फिजिकल प्रौब्लम्स भी दे सकती है.

कुछ समय पहले मेरे पेशाब के साथसाथ धातु गिरती थी, इस बात से मैं बहुत तनाव में हूं. सलाह दें?

सवाल-

मेरी उम्र 25 साल है. कुछ समय पहले मेरे अंग से पेशाब के साथसाथ धातु गिरती थी. इस सिलसिले में एक झोलाछाप डाक्टर ने मुझ से कहा था कि तुम गुप्त रोग से पीडि़त हो. इस से तुम्हारी शादी पर बुरा असर पड़ेगा. इस बात से मैं बहुत तनाव में हूं. सलाह दें?

जवाब-

धातु एक ऐसा लक्षण है जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृतियों में पाया जाता है. इस में मरीजों को समय से पहले पस्त होना या नामर्दी की शिकायत होती है और उन्हें लगता है कि उन के पेशाब के साथ वीर्य भी निकलता है.

इस का इलाज दवाओं से किया जाता है और साथ ही, गलत धारणाओं को दूर करने में मनोवैज्ञानिक सलाह भी कारगर साबित होती है.

कमजोर न पड़ जाएं सेक्स संबंध

शहर कहें या गांव, भारतीय और इसलामिक समाज में स्त्रियों के लिए सेक्स पर चर्चा तथा इस मामले में अपनी इच्छाओं की अभिव्यक्ति को नीच मानसिकता कह कर अनुत्साहित किया जाता है. वैसी स्त्रियां जो अपने पार्टनर से सेक्स के बारे में अपनी इच्छाएं खुल कर कहना चाहती हैं सभ्य और सुसंस्कृत नहीं मानी जातीं. बड़े शहरों की बिंदास लड़कियों को छोड़ दें, तो बाकी सेक्स को पति की सेवा का ही अहम हिस्सा मान कर चलती हैं तथा अपनी इच्छाअनिच्छा पति से बोलने की जरूरत महसूस नहीं करतीं.

1. भेदभाव क्यों

थोड़ा गहराई में जाएं तो पाएंगे कि सेक्स की इच्छा और क्षमता को मानव जीवन का प्रधान तत्त्व समझा जा सकता है. सेक्स जीवन को नियंत्रित करने में जीववैज्ञानिक, नैतिक, सांस्कृतिक, कानूनी, धार्मिक आदि विभिन्न दृष्टिकोणों का योगदान होता है यानी सेक्स जीवन और इस की अभिव्यक्ति पर इन बातों का बहुत प्रभाव रहता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने व्यक्ति के सेक्स जीवन की महत्ता पर बल देते हुए इस के प्रति सकारात्मक और सम्माननीय दृष्टिकोण अपनाने की बात कही है. इस संगठन ने माना कि अपने साथी के साथ सेक्स संबंध बिना किसी भेदभाव, हिंसा और शारीरिक, मानसिक शोषण के पूरी ऊर्जा और भावनात्मक संतुलन के साथ होना चाहिए.

सवाल अहम है कि हमारे देश में जहां स्त्रियों पर सेक्स से संबंधित बलात्कार, मानसिक शोषण, घरेलू हिंसा बदस्तूर जारी है, स्त्री के सेक्स संबंधी अधिकार और सेक्स के प्रति खुली राय क्या स्वीकार्य है?

अगर जागरूकता आ जाए और स्त्रियां भी इस मामले में अपनी भावनाओं को पूरा महत्त्व दें व पार्टनर से खुली बातचीत करें तो बहुत फायदे मिल सकते हैं.

2. आपस में दोस्ती का रिश्ता:

अगर पतिपत्नी के बीच दोस्ती की भावना विकसित हो जाए तो इन के बीच ऊंचनीच, बड़ेछोटे का अहंकारपूर्ण भेद अपनेआप मिट जाए. दोनों का आपस में एकदूसरे की सेक्स इच्छाओं के बारे में बताने से यह आसानी से हो सकता है.

3. व्यक्तित्व का विकास:

अगर स्त्री सेक्स के मामले में सिर्फ समर्पिता न रह कर पसंदनापसंद को जाहिर करे, तो वह पुरुष पार्टनर के दिल में आसानी से अपने लिए रुचि जगा सकती है, जो व्यक्तित्व विकास में सहायक है.

4. आत्मविश्वास की बढ़ोत्तरी:

सिर्फ पुरुष की इच्छा पर चलना सेक्स जीवन में एक मशीनी प्रभाव उत्पन्न करता है, लेकिन स्त्री भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए तो जीवन में फिर से नई ऊर्जा का संचार हो जाए.

वैसे तो भारतीय परिवेश को अभी भी लंबा वक्त लगेगा कुसंस्कारों के बंधनों से मुक्त होने में, लेकिन उन कारकों के बारे में बातें कर पिछड़ी मानसिकता को कुछ हद तक कम करने की कोशिश तो कर ही सकते हैं.

बचपन से ही पारिवारिक माहौल में लड़कियों को यह शिक्षा मिलती है कि सेक्स निकृष्ट है और इस से लड़कियों को दूर रहना चाहिए.

चरित्र को भी सेक्स के साथ जोड़ा जाता है. सेक्स की इच्छा को दबा कर या इस के बारे में अपनी राय को छिपा कर ही सद्चरित्र रहा जा सकता है.

चरित्र को परिवार की इज्जत के साथ जोड़ा जाता है. लड़की परिवार की इज्जत मानी जाती है यानी सेक्स के बारे में निजी खुली सोच दुष्चरित्र होने की निशानी है, जिस से परिवार की इज्जत मिट्टी में मिल जाती है.

शादी के बाद यही संस्कार स्त्री में मूलरूप से जमे होते हैं और वह सेक्स के बारे में पति से स्वयं अपनी इच्छा बताने में भारी संकोच महसूस करती है. इस मामले में आम पुरुषों की सोच भी परंपरावादी सामंती प्रथा से प्रभावित लगती है. उन्हें अपनी पत्नी का सेक्स मामले में खुलना और इच्छा जाहिर करना स्त्री सभ्यता के विपरीत लगता है. इस सोच के साथ पुरुष स्त्रियों का कई बार मजाक भी उड़ाते हैं या उन की भावनाओं की कद्र नहीं करते. तब स्त्री के पास भी अपनी खोल में सिमट जाने के अलावा और कोई चारा नहीं होता. बाद में यही पुरुष सेक्स के वक्त स्त्री के मृत जैसा पड़े रहने के उलाहने भी देते हैं, जो संबंध में भ्रम की स्थिति पैदा कर देते हैं.

स्त्री जब इन सारी बाधाओं को पार कर समान मूल्य और अधिकार का आनंद ले पाएगी तभी वह एक भोग्या की तरह नहीं एक सही साथी की तरह जिंदगी के इन खुशगवार पलों का उपभोग कर पाएगी.

मेरी एक फेसबुक फ्रैंड से गहरी दोस्ती हो गई है और मैं उस से बात किए बिना नहीं रह सकती, मैं क्या करूं?

सवाल-

32 वर्षीय विवाहित महिला हूं. 2 बच्चों की मां हूं. 11 साल हो गए शादी को. शुरुआत में सब ठीक नहीं रहा. सास बहुत प्रताडि़त करती थीं. झगड़े में पति ने कई बार हाथ भी उठाया. इन सब से अलग मेरी एक फेसबुक फ्रैंड से गहरी दोस्ती हो गई. हम लोग अलगअलग शहर में रहते हैं, बावजूद उस के मेरी लगातार चैटिंग और बातचीत होती रहती है.

उस से मेरी एक बार भी मुलाकात नहीं हुई पर हम आपस में बगैर बातचीत किए नहीं रह सकते. उस को कई बार ब्लौक भी किया पर फिर पहले जैसी स्थिति हो जाती है. कभीकभी मन कचोटता है कि पति से चीटिंग क्यों कर रही हूं? बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप किसी तरह के गिल्ट के चक्कर में न रहें. आप कोई गलत काम नहीं कर रही हैं. जब तक आप को मानसिक सुख घर में नहीं मिल रहा आप सुकून पाने के लिए फेसबुक फ्रैंड का सहारा ले रही हैं चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, गलत नहीं है. नैतिकता के चक्कर में पड़ कर अपना मन खराब न करें. हां, एकदूसरे से मिलना हो तो उस से पहले 2 बार सोच लें कि जोखिम लेने लायक है या नहीं.

मेरे कौलगर्ल बनने की कहानी…

वो शाम बड़ी उलझन भरी थी. उस ने मेरी ओर देखा. मेरे हाथ को अपने हाथ में ले कर बोला, ”बेहद खूबसूरत हो तुम. क्या अभी तक शादी नहीं की है तुम ने?
फिर मुझे पीछे से पकड़ कर बेतहाशा चूमने लगा. मुझे याद है मिहिर (पति) ऐसा करता था तो मेरे तनबदन में एक लहर सी दौड़ जाती थी. मगर उस दिन मुझे कुछ नहीं हो रहा था. उस ने मुझ से धीरेधीरे कपड़े उतारने को कहा और वह कांच की डिजाइनर गिलास में बियर डालते हुए मुझे अपलक निहारता रहा. वह मुझे भी बियर पिलाना चाहता था.
शाम के 7 बज गए थे और मुझे 9 बजे तक घर पहुंचने की जल्दी थी. मैं जानती हूं, पुरुष को उत्तेजित करो तो वे जल्दी ही चरम पर पहुंच जाते हैं. मैं यही सोच कर उस से लिपट गई तो वह जल्दी ही बैड पर जाने को आतुर हो उठा. शारीरिक भूख शांत होने के बाद वह काफी संतुष्ट और खुश नजर आ रहा था.
उस ने मेरे हाथ में 500-500 के 20 नोट हाथ में रखे तो मैं ने उसे धीरे से पर्स में सरका दिए. मुसकराई और ‘बाय’ कह कर विदा हो ली. मुझे घर जल्दी पहुंचना था ताकि बेटे को संभाल सकूं.

सुंदरता पर मोहित थे सब

मुझे याद है जब मिहिर से मेरी शादी हुई थी तो वह मेरी सुंदरता पर मोहित रहता था. जब मेरी शादी हुई थी तो तब मैं 21 साल की थी. बचपन में तुम बहुत खूबसूरत और अच्छी हो लोगों से सुनती तो बहुत खुश होती थी. पर मेरी सुंदरता ही मेरे राह की दुश्मन बन गई थी. 10वीं के बाद ही मेरी पढ़ाई घर वालों ने बंद करा दी थी. मांपिताजी बचपन में ही गुजर गए थे और जब तक नानानानी जीवित थे तब तक तो सब ठीक था पर उन के मरने के बाद मेरी सारी उम्मीदें खत्म हो गई थीं.
शादी के बाद लगा जिंदगी बदल जाएगी. लगा सब पटरी पर आ गया. प्यार करने वाला पति मिला, एक बेटा हुआ. पर मेरी यह खुशी भी ज्यादा दिनों तक नहीं रही. एक सड़क दुर्घटना में पति की असमय मौत ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया. बेटे को पालना और पढ़ाना मेरे लिए चुनौती बन गई तो 1-2 जगह नौकरी भी की. पर कम पढीलिखी होने की वजह से 7-8 हजार रुपए महीने से ज्यादा की नौकरी नहीं मिली.
इसी बीच मेरे संपर्क में 1-2 पुरुष आए भी. पर दोनों ने एकएक कर मुझे भोगा और शादी की बात पर भाग खड़े हुए. कोई भी बेटे सहित मुझे अपनाने को तैयार नहीं था.

एक दिन मैं घर के पास वाले पार्क में बैठी थी कि तभी एक युवती आई और मेरे बगल में बैठ गई. बातचीत शुरू हुई तो बाद में घर आनाजाना और दोस्ती गहरी हो गई.

…और फिर एक दिन

एक दिन उस ने मुझे जो बताया उस से मैं हैरान रह गई. वह मुझे कौलगर्ल बनने के लिए बोल रही थी. उस की कही बात मैं कैसे भूल सकती हूं, ”देखो, तुम मुझ से भी ज्यादा स्मार्ट हो, सुंदर हो. पढीलिखी नहीं हो. मगर तुम चाहो तो महीने में 60-70 हजार रुपए कमा सकती हो. इस से तुम्हारी जिंदगी बदल जाएगी. बेटे का भविष्य बना पाओगी. मुझे 2-4 दिन में बता देना. सोचसमझ लो, बाकी मुझ पर छोड़ दो.”
मेरे पास कोई चारा नहीं था. रिश्तेदारी मतलब की थी. पति के मरने के बाद सब धीरेधीरे कटते गए. जो हमदर्दी दिखाते वे इस बहाने मुझे भोगना चाहते थे.
बहुत सोचने के बाद मैं ने तय किया कि मुझे पैसे कमाने हैं. 60-70 हजार महीने के किस को काटते हैं? मुझे पता है कि इस कमाई के लिए अभी उम्र है. 40-42 के बाद फिर जिस्म के खरीदार कम हो जाते हैं.

शरीफों के साथ रंगीन रातें

अब उस युवती ने मुझे पहले तो अपने साथ ब्यूटी पार्लर ले गई फिर पहनावे में भी मुझे पूरी तरह बदल दी. सलवारकुरती की जगह अब आधुनिक कपड़े ने ले लिया था. मैं सप्ताह में लगभग 4-5 दिन ग्राहकों को अपना जिस्म बेचती हूं. हर बार के मुझे कम से कम 6-8 हजार और कभीकभी तो 10 हजार रुपए तक मिल जाते हैं. मैं तथाकथित शरीफ लोगों के साथ थ्री, फोर और फाइव स्टार होटल में होती हूं. मुफ्त में खाना मिलता है, गिफ्ट मिलते हैं और पैसे भी.
वह युवती भी अब मेरे साथ एक ही फ्लैट में रहती है. हम दोनों ही पिछले 3-4 साल से यह सब कर रहे हैं.
अब पैसे रहने की वजह से बेटे का दाखिला अच्छे स्कूल में करवा दिया है. उसे ट्यूशन देती हूं. पर दिल के अंदर एक हुक सी उठती है कभीकभी.

काश, मैं पढ़ीलिखी होती

मुझे पता है मैं क्या कर रही हूं. पर मुझे इस का मलाल नहीं है. पति के मरने के बाद दरदर की ठोकरें खाई थी, अब कम से कम पास में पैसे तो होते हैं, मन की कर तो सकती हूं, बेटे को उस की पसंद के खिलौने तो दे सकती हूं, मनपसंद खापी और पहन तो सकती हूं…
कभीकभी मन दुखी होता है तो छत को निहारते हुए सोचती हूं कि औरत का जीवन भी क्या है? क्या उस का पूरा जीवन ही संघर्ष के लिए बना है?
मुझे लगता है कि अगर मैं पढ़ीलिखी होती तो शायद ये दिन नहीं देखने पड़ते.
मैं जहां रहती हूं वहां किसी को पता नहीं मैं क्या करती हूं, कहां जाती हूं. शहरी जिंदगी में तो लोग वैसे भी मतलब तक नहीं रखना चाहते.

मैं क्या करूं

मैंं तो कहूंगी कि भारतीय परिवार में बेटों से ज्यादा बेटियों को पढ़ाना चाहिए, उन्हें शिक्षित बनाना चाहिए क्योंकि कब किस के साथ क्या घटित हो जाएगा यह कौन जानता है? अपनी नजरों में मैं एक कौलगर्ल हूं, जिसे देशी भाषा में वेश्या भी कहते हैं. पर मैं कर भी क्या सकती थी? अब मेरे पास 5-7 लाख रुपए इकट्ठे हो चुके हैं. मुझे सलाह दीजिए कि अब मुझे क्या करना चाहिए? इस जिंदगी ने पैसा तो दिया पर अब आजिज आ चुकी हूं. कल को बेटे को क्या जवाब दूंगी? कृपया उचित सलाह दें.

मैंने अपने बौयफ्रैंड के साथ सैक्स किया है. क्या इससे में प्रेग्नेंट हो जाऊंगी?

सवाल

मैं 21 साल लड़की हूं, मेरा एक बौयफ्रैंड है जिस के साथ मेरे फिजीकल रिलेशन भी हैं. हाल ही पीरिड्स में मैंने बौयफ्रैंड के साथ सैक्स किया. लेकिन हमने कोई प्रोटेक्शन नहीं अपनाया. अब मैं इस बात को ले कर परेशान हूं कि कहीं मैं प्रेग्नेंट न हो जाऊं. मैं यह जानना चाहती हूं कि क्या पीरियड्स के दौरान रिलेशन बनाने से प्रग्नेंसी ठहर सकती है.

जवाब

आमतौर पर पीरिड्स के दौरान फिजीकल रिलेशन बनाने पर प्रग्नेंसी नहीं ठहरती है. लेकिन, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप की पीरियड्स रैग्युलर है या नहीं. अगर पीरियड्स रैग्युलर हो तो गर्भ ठहरने की चांस कम होते है. लेकिन, गर्भ ठहरने की संभावना को पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता. अगर आप की माहवारी अनियमित हो और अंडाणु का विसर्जन अनियमित समय से हो जाए और उसी समय मासिकधर्म भी हो रहा है तो गर्भधारण की संभावना भी हो सकती है.

अगली बार ऐसा कुछ करने से पहले गर्भनिरोधक उपाय अवश्य अपना लें ताकि प्रैगनैंसी, एसटीडी और एड्स जैसी बीमारियों से बचाव हो सके. वैसे, वर्तमान स्थिति में आप का पीरियड्य सैक्स करने के बाद सामान्य हो चुका है तो घबराने की कोई बात नहीं है.

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