‘निर्भया-एक पहल’ 75,000 महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कल 29 सितम्बर, 2021 को यहां मिशन शक्ति के अन्तर्गत ‘निर्भया-एक पहल’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के विशेष आवरण तथा विशेष विरूपण का विमोचन भी किया जाएगा.

‘निर्भया-एक पहल’ कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के सभी 75 जनपदों मेें प्रति जनपद 1,000 महिलाओं का एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम तथा 03 दिवसीय कौशल क्षमता विकास प्रशिक्षण संचालित किया जाएगा. 75,000 महिलाओं को इस कार्यक्रम के माध्यम से लाभान्वित किया जाएगा.

प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कल सम्बन्धित जनपद के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पाद के सम्बन्ध में भारतीय डाक विभाग के सहयोग से एक विशेष कवर तथा विशेष विरूपण का अनावरण एवं विमोचन किया जाएगा. इस प्रकार, एक ही दिवस और समय पर प्रदेश में 75 विशेष आवरण जारी किए जाएंगे. यह सभी आवरण देश के विभिन्न डाक घरों में भेजे जाएंगे, जिससे प्रदेश के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पादों को व्यापक राष्ट्रीय पहचान मिलेगी.

योगी काशी के मूल स्वरुप के साथ खींच रहे विकास का ख़ाका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जापान के शहर क्योटो की यात्रा पर गए थे, तभी से वह चाहते थे कि काशी के मूल स्वरूप को बरकार रखते हुए इस प्राचीन शहर को क्योटो के तर्ज पर विकसित किया जाए . यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने काशी के हेरिटेज़ को ध्यान में रखते हुए तेजी से वाराणसी में चौतरफ़ा विकास का ख़ाका खींचा है. जिसका परिणाम अब सामने आने लगा है. इसकी बानगी है , गोदोलिया से शीतला घाट तक पिंक कॉरिडोर. वाराणसी का गौदोलिया क्षेत्र अब ग़ुलाबी गलियारा सा दिखने लगा है. सड़क के दोनों तरफ़ की प्राचीन इमारतों को उनके मूल स्वरुप के साथ ख़ूबसूरत बनाया गया है . काशी के हेरिटेज़ को ध्यान में रखते हुए दुकानों व भवनों को सजाया सवारा गया है. चित्रकारी की थीम वाराणसी के प्राचीन पौराणिक भवनों के संरचना पर आधारित है. वाराणसी नगर के ऐतिहासिक भवनों एवं किलों में प्रयोग किये गये पत्थर की नक्काशी तथा भवनों की संरचना, डिजाईनों का ,चित्रकारी के कार्य में समावेश किया गया है.

काशी के गोदोलिया क्षेत्र में आप आये तो शायद चौंक जाएंगे. इस क्षेत्र का रंग -रूप संवर गया है. गोदोलिया से शीतला घाट तक जाने वाला रास्ता अब आपको बदला-बदला सा नज़र आएगा. इस बाज़ार से गुजरने पर आप को ग़ुलाबी एहसास होगा. इस मार्ग के दोनों तरफ के भवनों और दुकानों में एक रूपता दिखे इसका ध्यान रखते हुए सुंदरीकरण का काम किया गया है. काशी के हेरिटेज को ध्यान में रखते हुए भवनों व दुकानों की समरूपता को बनाए रखते हुए गोदौलिया चौराहे से शीतला घाट तक जाने वाले मार्ग के दोनो तरफ स्थित 58 भवनों एवं 350 दुकानों के शटर पर पेंटिंग,फसाड डिजाइनिंग का काम किया गया है. इस बाज़ार में पड़ने वाली सभी दुकानों के साइनेज बोर्ड में भी एक रूपता रखी गई है. जो देखने में सुन्दर लग रहे है. पेंटिंग की थीम वाराणसी के धार्मिक ,आध्यात्मिक व ऐतिहासिक भवनों के बनावट पर आधारित है. बनारस के ऐतिहासिक भवनों एवं किलों में प्रयोग किये गए पत्थर की नक्काशी तथा भवनों की संरचना, गुम्बद, खिड़की, दरवाजों, झज्जों के डिजाईनों की चित्रकारी के कार्य में इसका समावेश किया गया है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया की काशी बहुत प्राचीन शहर है. इसका मूलस्वरूप बदले बिना यहाँ के धरोहरों को सहेजने का काम किया जा रहा है. ऐतिहासिक धरोहरों के पेंटिंग में इस्तमाल रंगों का ख़ास ख़्याल रखा गया है. इसका चयन चुनार के लाल पत्थर से लिया गया है क्योकि चुनार के लाल पत्थर ही वाराणसी के अधिकतर प्राचीन भवनों, महलों, किलों में उपयोग किया गया है. दुकानों के शटर का डिजाईन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की डिजाईन पर आधारित है. वाराणसी स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा ग़ुलाबी गलियारे का काम कराया जा रहा है. जिसकी लागत करीब 94 लाख रुपये आयी है.

टीकाकरण और जांच में उत्तर प्रदेश ने पकड़ी रफ्तार

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के जनपदों में कराए गए सीरो सर्वे के शुरुवाती नतीजे सकारात्मक आए हैं. प्रदेश में कराए गए सीरो सर्वे के शुरुआती नतीजों के मुताबिक सर्वेक्षण में लोगों में हाई लेवल एंटीबॉडी की पुष्टि हुई है. बता दें कि प्रदेश में चार जून से सभी जनपदों में सीरों सर्वे को शुरू किया गया था  सीरो सर्वे प्रदेश के सभी 75 जिलों में किया गया. सर्वे के जरिए किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ इसकी पड़ताल इस सर्वे से की गई. इसके साथ ही इस सर्वे के जरिए कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है इसकी जानकारी एकत्र की गई है. ऐसे में सीरो सर्वे के शुरुवाती नतीजे सकारात्मक आना प्रदेशवासियों के लिए राहत भरी खबर है.

टीकाकरण और जांच में रफ्तार पकड़ते हुए नए वेरिएंट डेल्टा प्लस की जांच को अनिवार्य करते हुए युद्धस्तर पर कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप प्रदेश में दिया जा रहा है. प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या में कमी होने की बावजूद भी प्रदेश में ट्रिपल-टी की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है. प्रदेश में संक्रमण दर 0.1 प्रतिशत से भी कम स्तर पर आ चुकी है, जबकि रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. बता दें कि ज्यादातर जिलों में संक्रमण के नए केस इकाई की संख्या  में दर्ज किए जा रहे हैं, तो 50-52 से अधिक जिलों में 50 से कम एक्टिव केस ही रह गए हैं. प्रदेश में अब कुल एक्टिव केस की संख्या 3,423 है.

पिछले 24 घंटों में एक ओर जहां दो लाख 69 हजार 272 सैम्पल की जांच की गई, वहीं मात्र 226 नए पॉजिटिव केस सामने आए. उत्तर प्रदेश में अब तक 05 करोड़ 65 लाख 40 हज़ार 503 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं. प्रदेश में अब तक कुल 16 लाख 79 हजार 416 प्रदेशवासी कोरोना से लड़ाई जीत कर स्वस्थ हो चुके हैं.

सितंबर में हुआ था सीरो सर्वे

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था.

मिशन जून के तहत निर्धारित समय से पाया यूपी ने लक्ष्य

मिशन जून के तहत एक माह में एक करोड़ प्रदेशवासियों के टीकाकरण के निर्धारित लक्ष्य को यूपी सरकार ने 24 जून को ही प्राप्त कर लिए. निशुल्क टीकाकरण अभियान के तहत प्रदेश में अब  प्रतिदिन सात लाख से अधिक डोज दी जा रही हैं. अब तक 02 करोड़ 90 लाख से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं. करीब 42 लाख लोगों ने टीके के दोनों डोज प्राप्त कर लिए हैं. एक जुलाई से हर दिन न्यूनतम 10 लाख लोगों को टीका-कवर देने का लक्ष्य यूपी सरकार ने निर्धारित किया है. विकास खंडों को क्लस्टर में बांटकर वैक्सीनेशन की नीति के अच्छे परिणाम प्रदेश में देखने को मिले हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह एक तिहाई विकास खंडों में लागू है  अब सरकार जल्द ही एक जुलाई से इसे पूरे प्रदेश में लागू करेगी.

नौकरी के पीछे भागना छोड़, नौकरी देने वाला बन रहा यूपी का युवा : सीएम योगी

लखनऊ . महामारी का दौर थमने की आहट के साथ ही योगी सरकार ने एक बार फिर रोजगार-स्वरोजगार के कार्यों को तेजी देनी शुरू कर दी है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साथ 31,542 सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्योगों को विस्तार के लिए 2505.58 करोड़ का ऋण प्रदान किया. साथ ही, एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक की सभी जरूरतों में मदद के लिए विशेष पोर्टल की शुरुआत करते हुए 09 जिलों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर की आधारशिला भी रखी.

ऑनलाइन स्वरोजगार संगम के इस खास मौके पर सीएम ने कहा कि ऐसे ही ऋण मेले अगले एक माह में सभी 75 जिलों में आयोजित किए जाने चाहिए.

मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विकास में एमएसएमई इकाइयों की सराहना करते हुए कहा कि आज प्रदेश में युवा वर्ग नौकरी के पीछे भागने की बजाय नौकरी देने की सोच के साथ अपने लक्ष्य तय कर रहा है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जनपद-एक उत्पाद जैसी योजनाओं ने युवाओं को बड़ा सहारा दिया है. स्वरोजगार के कार्यक्रमों में महिलाओं-बेटियों ने खूब उत्साह दिखाया है. वैसे भी, लखनऊ की चिकनकारी जैसे परंपरागत शिल्प को महिलाओं की भूमिका हमेशा से ही रही है. प्रधानमंत्री जी ने जिस “आत्मनिर्भर भारत” की परिकल्पना की है, युवाओं की यही सोच, ऐसे प्रयास ही उसका आधार हैं.

सीएम योगी ने कहा कि बीते साल कोरोना की पहली लहर के दौरान हमारे सामने 40 लाख प्रवासी श्रमिकों के जीवन और जीविका को सुरक्षित करने की चुनौती थी. एमएसएमई इकाइयों ने इस दिशा में बहुत सराहनीय कार्य किया. बीते वर्ष भी कोविड काल में करीब 34 हजार एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय सहायता दी गई थी, तो कोविड की दूसरी लहर के नियंत्रण में आते ही फिर से उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने का कार्यक्रम हो रहा है. मुख्यमंत्री ने एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल सहित पूरी विभागीय टीम के साथ-साथ स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के सहयोग को भी सराहां सीएम ने जनपदीय अधिकारियों को जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी के साथ समन्वय बनाकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि उत्पादों की मैपिंग कराई जाए, हमारे यहां प्रतिभा का अभाव नहीं, मंच देने भर की देर है. उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका निभाएगा.

विश्वकर्माओं को मिला टूल-किट का उपहार: मुख्यमंत्री ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनांतर्गत कविता साहू और मंजू कश्यप को सिलाई, राहुल को बढ़ई , अमित कुमार को सुनार तथा रिजवान को नाई से जुड़े व्यवसाय के लिए जरूरी टूल-किट का उपहार भी दिया.

उत्पादन से मार्केटिंग तब सबके लिए मिलेगी मदद:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गाजियाबाद, मैनपुरी, मऊ, मीरजापुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, आगरा, मुरादाबाद और भदोही में प्रस्तावित कॉमन फैसिलिटी सेंटर का शिलान्यास किया. 79 करोड़ 54 लाख के खर्च से तैयार होने वाले इन केंद्रों पर उद्यमियों को ओडीओपी योजनांतर्गत जनपद के चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक के समस्त अवयवों जैसे कच्चा माल, डिजाइन, उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता सुधार, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरण एवं ऊर्जा संरक्षण तथा पैकेजिंग आदि की सुविधाएं मिल सकेंगी.इसके अलावा, सीएम ने https://diupmsme.upsdc.gov.in/en पोर्टल का भी शुभारंभ किया.

विश्व में हो ओडीओपी की चर्चा: सिद्धार्थ नाथ

एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बीते चार वर्षों में प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर ने बड़ी ऊंचाइयां हासिल की हैं. सीएम योगी के अभिनव प्रयोग ओडीओपी की चर्चा न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी हो रही है. सरकार ने परंपरागत शिल्प, उद्योगों को विकास के लिए बड़ा संबल दिया है. इससे पहले, एसीएस नवनीत सहगल ने विभागीय गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी दी.

योगी सरकार ने शिल्पियों के हुनर दी अंतर्राष्ट्रीय पहचान

वाराणसी. योगी  सरकार ने देश के शिल्पियों के हुनर को जीआई उत्पाद के रूप में विश्व में पहचान दिलाई है. जिससे  कोरोना काल में भी जीआई उत्पादों पर लोगों का भरोसा रहा और  मांग बनी  रही. लॉकडाउन में जब दुकानें बंद रही तब भी इस उत्पाद की  बिक्री देश और विदेशों  में ऑनलाइन  माध्यम से होती रही. वाराणसी के एक उद्यमी ने योगी सरकार के स्टार्टअप योजना का लाभ उठाते हुए कोविड काल में जीआई उत्पादों का लाखों का क़ारोबार कर लिया है. आप को जानकर ताज़्जुब होगा की ये कोराबार सिर्फ़ ऑनलाइन हुआ है. प्रतीक बी सिंह नाम के इस युवा उद्यमी के वेब साइट पर सिर्फ जीआई उत्पाद ही बिकते है. लेकिन अब प्रतीक ने कुछ ओडीओपी उत्पादों को भी ऑनलाइन प्लेटफार्म देना शुरू किया  है.

आईएएस बनने की चाह रखने वाले इस युवा को स्टार्टअप योजना ने आसमान में उड़ने की राह दिखा दी है. अब प्रतीक उन हुनरमंद लोगों को भी प्लेटफार्म दे रहे हैं, जिन्होंने अपने हुनर का लोहा पूरी दुनिया से  मनवाया है. 370 जीआई उत्पादों में से देश के 299 जीआई उत्पादों (जिनमे से  उत्तर प्रदेश से अकेले 27 जीआई उत्पाद है)  को एक जग़ह शॉपिंगकार्ट 24 नामक इ -कॉमर्स की साईट पर लाकर भारत के हस्तकला शिल्पियों की  हुनर को पूरे विश्व में पहुँचा रहे है. खाने, सजाने, संगीत, खिलौने, पहनने से लेकर हर रोज़ इस्तेमाल होने वाली जीआई  उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री देश और विदेशो में खूब हो रही है. वाराणसी का लकड़ी का ख़िलौना, बनारसी साड़ी, गुलाबी मीनाकारी , पंजादारी, ज़री जरदोजी , सिद्धार्थ नगर का काला नमक चावल, गोरखपुर का टेराकोटा, गाज़ीपुर की वाल हैंगिंग आदि उत्पादों की अमेरिका समेत कई देशों में भारी मांग है. जीआई उत्पाद की ख़ास बात ये होती  कि ये सभी उत्पाद हैंडलूम व हैंडीक्राफ्ट उत्पाद होते हैं.

प्रतीक ने बताया कि उन्होंने 2016 में  अपनी स्टार्टअप कंपनी शुरु की थी. उसके बाद जीआई उत्पादों को धीरे-धीरे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लाना शुरू किया. कोरोना काल में लॉकडाउन ने जब दुकानें खुलना बंद हुई तो प्रतीक ने ऑनलाइन बाज़ार का दरवाजा दुनिया के लिए खोल दिया. प्रतीक अप्रैल से अब तक करीब 7 लाख का जीआई उत्पाद देश और विदेशों  में बेच चुके हैं. प्रतीक ने बताया कि पहले  काशी के जीआई टैगिंग प्राप्त उत्पादों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया. फिर वो यूपी के 27 प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन  प्लेटफार्म पर लेकर आए. इनकी कंपनी से  डिपार्टमेंट ऑफ़ प्रमोशन ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ एंड इंटरनल ट्रेड( DPIIT ) से  मान्यता प्राप्त है. जिससे ई-कॉमर्स में मदद मिलती  है. अपने कस्टमर के लिए ये कंपनी हुनरमंद कलाकारों के लाइव प्रदर्शन भी करवाती है. जिसे बाद में सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी कला को और लोगों तक पहुंचने में भी मदद मिलती है. शिल्पियों को ट्रिपल “ई” एजुकेट ,एम्पॉवर,एनरिच  के फॉर्मूले से समृद्ध  करते है. जीआई ( जियोग्राफिकल  इंडिकेशन) जीआई उत्पाद यानी भौगोलिक संकेतक या जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऐसे उत्पादों होते है  जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है. इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषता एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है. इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का एहसास देता है.

Ravi Kishan ने भोजपुरी फिल्मों में अश्लील कंटेंट को बैन करने की मांग की, लिखा बिहार के सीएम को लेटर

भोजपुरी इंडस्ट्री में इन दिनों अश्लील गानों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इसी बीच भोजपुरी सुपरस्टार और उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद रवि किशन ने गानों में अश्लील कंटेंट को बैन करने की मांग की हैं.

रवि किशन (Ravi Kishan)  ने बिहार के सीएम को पत्र लिख कर अश्लील कंटेंट को रोकने की मांग की है. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री सहित उत्तर प्रदेश के सीएम को भी पत्र लिखा है.

 

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उन्होंने पत्र में लिखा है, कि  भोजपुरी सिनेमा का स्वर्णिम इतिहास और विरासत तेजी से खत्म हो रही है. भोजपुरी फिल्मों में इस तरह का कंटेंट प्रोड्यूस किया जा रहा है, जिसे आप अपनी परिवार के साथ बैठकर नहीं देख सकते हैं. इससे सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही है. इसलिए सिनेमा में दिखाए जाने वाले कंटेंट को विनियमित करने के लिए एक मजबूत कानून लाया जाए.

 

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रिपोर्ट्स के अनुसार रवि किशन ने  इस बारे में बात करते हुए कहा है कि  ‘एक अभिनेता के तौर पर मैं चाहता हूं ये इंडस्ट्री भी अच्छा कंटेंट पेश करे. यह देखकर काफी दुख होता है कि इंडस्ट्री में इतनी मेहनत करने के बाद ही इसे केवल अश्लील कंटेंट के लिए ही याद किया जाता है.

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उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह बंगाली फिल्म इंडस्ट्री ने कई पुरस्कार जीते हैं और ऑस्कर तक पहुंच गई है. उन्होंने ये भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि किसी दिन मेरी इंडस्ट्री भी ऐसा ही मुकाम हासिल करेगी.

प्याज की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा

लखनऊ . देश में उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन में सबसे अव्वल स्थान पर है. इसके बाद पश्चिम बंगाल तथा बिहार का नाम आता है. परन्तु प्याज उत्पादन को लेकर यूपी की स्थित बेहतर नहीं है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आया प्याज यूपी की जरुरतों को पूरा कर रहा है. खपत के मुताबिक़ यूपी में प्याज का उत्पादन ना कर पाने के कारण वर्षों से यह स्थिति है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब इसे बदलने का ठान ली है.

मुख्यमंत्री चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश अब प्याज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बने. मुख्यमंत्री की इस मंशा को पूरा करने के लिए उद्यान विभाग ने प्याज की खेती को और बढ़ावा देने की तैयारी की है. जिसके तहत क्रमबद्ध तरीके से लगातार राज्य में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.

इसकी शुरूआत करते हुए इस खरीफ सीजन में बुंदेलखंड, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर सहित गंगा के किनारे के उन क्षेत्रों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां बरसात का पानी ना भरता हो. इस संबंध में तैयार की गई योजना के तहत प्याज की खेती करने वाले किसानों को बीज आदि उपलब्ध कराए जायंगे.

उद्यान विभाग के निदेशक आरके तोमर के अनुसार, राज्य में हर वर्ष करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत है. जबकि रवि और खरीफ सीजन में यहां प्याज का कुल उत्पादन 4.70 लाख मीट्रिक टन ही हो रहा है. अभी सूबे में 28,538  हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की जा रही है. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्याज की खेती के क्षेत्रफल को एक लाख हेक्टेयर तक किए जाने की जरूरत है. जब एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी तब ही सूबे की जरूरत के मुताबिक़ यानि की 15 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हो पाएगा. यह कठिन कार्य है पर इसे किया जा सकता है. सूबे के कृषि विशेषज्ञों तथा उद्यान विभाग के अफसरों ने इस कठिन कार्य को करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की है.

इसके अनुसार हर जिले में उन इलाकों को चिन्हित किया गया है, जहां बरसात में पानी का भराव नहीं होता. इसके तहत गंगा के किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों में प्याज की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके तहत खरीफ की सीजन में गंगा के किनारे वाले इन जिलों में प्याज की खेती के रकबे में दो हजार हेक्टेयर का इजाफा करने का फैसला किया गया है. अभी गंगा के किनारे के इन जिलों में 4 हजार हेक्टेयर रकबे में करीब 80 हजार मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है. इसके अलावा प्याज की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा.

सरकार का मत है कि प्याज की खेती को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों से सूबे में किसानों की आमदनी में इजाफा होगा और प्रदेश की भी घरेलू जरूरत भी पूरी होगी. जिसके चलते राज्य को दूसरे राज्यों से प्याज मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और राज्य में प्याज की कमी के चलते इसके दाम बढ़ेंगे नहीं. किसानों को उनके प्याज की उचित कीमत मिलती रहेगी. इसी सोच के तहत इस खरीफ के सीजन में किसानों को प्याज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया है. राज्य में प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहें हैं. इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी. अमूमन एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 50 हजार रुपए की लागत से करीब 150 से 200 कुंतल प्याज की पैदावार होती है. इन बीजों के उपयोग से प्याज की पैदावार में इजाफा होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी. फ़िलहाल प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए इस प्रयोग को अगले रवी सीजन में भी लागू किया जाएगा, ताकि हर साल प्याज उत्पादन को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा किसान प्याज की खेती करने में उत्साह दिखाएं.

अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के टीकाकरण पर उत्तर प्रदेश का जोर

लखनऊ . कोरोना टीकाकरण को लेकर मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की जनता से की गई अपील का असर मंगलवार को नजर आया. खासकर अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लोगों में टीकाकरण को लेकर काफी उत्‍साह नजर आया. लख्‍नऊ के छोटे इमामबाड़े में बनाए गए कोविड टीकाकरण केन्‍द्र पर सुबह से ही टीका लगवाने के लिए लम्‍बी लाइन दिखाई दी. इसे पहले इस्‍लामिक सेंटर आफॅ इंडिया ईदगाह में वैक्‍सीनेशन सेंटर बनाया गया है. इस मौके पर शिया धर्मगुरू मौलाना कल्‍बे जवाद व जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने टीकाकरण केन्‍द्र पहुंच कर व्‍यवस्‍थाओं का जायजा लिया. इस दौरान उन्‍होंने लोगों को टीकाकरण के फायदे बताए .

यूपी में मंगलवार से विश्‍व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरूआत हुई है. इस पूरे अभियान के दौरान एक करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जाएगा. उत्तर प्रदेश में 18 से 44 वर्ष की आयु के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में दो-दो और शहरी क्षेत्र में तीन-तीन विशेष टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं. बड़े जिलों में आवश्यकता के अनुसार दो केंद्र बढ़ाने की अनुमति दी गई है. वहीं 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों के लिए भी दो-दो विशेष टीकाकरण केंद्र बनाए गए हैं.

अल्‍पसंख्‍यक समुदाय में उत्‍साह

लखनऊ में हुसैनाबाद स्थित  छोटे इमामबाड़े में कोरोना वैक्‍सीनेशन के लिए बड़ा केन्‍द्र बनाया गया था. सुबह से ही लोग उत्‍साह के साथ टीकाकरण अभियान में शामिल हो रहे थे. इस मौके पर इमाम ए जुमा मौलाना कल्‍बे जवाद ने टीकाकरण केन्‍द्र पहुंच कर लोगों को टीके के फायदे बताए . उन्‍होंने कहा कि कोरोना से बचाव का एक मात्र तरीका कोरोना टीका है. उन्‍होंने लोगों से अपील की वह किसी भी तरह की अफवाह में न आए और अपना टीकाकरण कराए. टीकाकरण को लेकर अफवाहे फैलाने वाले मुस्लिम समुदाय के दुश्‍मन है.

हुसैनाबाद निवासी शहजाद ने बताया कि सरकार ने पुराने लखनऊ में बड़ा केन्‍द्र बनाकर लोगों को राहत दी है. पुराने लखनऊ के लोगों को टीका लगवाने के लिए काफी दूर जाना पड़ रहा था. ऐसे में जिन लोगों के पास साधन नहीं थे, वह टीका नहीं लगवा रहे थे. सरकार छोटा इमामबाड़े में केन्‍द्र लगाने से लोगों को काफी राहत पहुंची है. छोटे इमामबाड़े में 18 से 44 साल के लोगों का अलग टीकाकरण किया जा रहा था जबकि 44 से ऊपर के लोगों का टीकाकरण अलग से किया जा रहा था. टीकाकरण केन्‍द्र पर सेल्‍फी प्‍वाइंट भी बनवाया गया था. जहां पर युवाओं ने टीका लगवाने के बाद अपनी सेल्‍फी ली. वहीं, मौके पर मौजूद सिविल डिफेंस कर्मी लोगों के बीच सोशल डि‍स्‍टेंसिंग बनाने का काम कर रहे थे.

टीकाकरण केन्‍द्र पर बड़े पैमाने पर मुस्लिम महिलाएं भी उपस्थित थी. जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने छोटा इमामबाड़ा स्थित टीकाकरण केन्‍द्र का निरीक्षण किया. उन्‍होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से आसपास के इलाकों से टीकाकरण केन्‍द्र तक लाने के लिए विशेष बसों का संचालन भी किया गया था. इसमें बिल्‍लौचपुरा, अकबरीगेट आदि से बसें लोगों को टीकाकरण केन्‍द्र तक ला रही थी. वहीं, सरकार ने जून महीने में एक करोड़ टीके लगाकर इस संख्या को तीन करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने उत्तर प्रदेश तैयार

नोएडा . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना के खिलाफ युद्धस्तर पर और प्रभावी ढ़ंग से लड़ाई लड़ी जा रही है. यही वजह है कि राज्य में कोरोना के सक्रिय मामले तेजी से घट रहे हैं. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए हमारी कार्य योजना पूरी तरह से तैयार हैं. पूरी सावधानी के साथ हम काम कर रहे हैं. तीसरी लहर से मुकाबले के लिए खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में समर्पित तौर पर आईसीयू बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने फिल्म सिटी नोएडा में कहा कि गांवों में हमें संक्रमण रोकना ही होगा. इसके लिए ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीट की रणनीति बनाई गई है. संक्रमित व्यक्ति की त्वरित पहचान कर अगर उसका त्वरित उपचार शुरू हो जाए, तो मामला क्रिटिकल नहीं होगा. इसलिए हम एंटीजन टेस्ट के साथ ही उन्हें मेडिकल किट दे रहे हैं. आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट भले ही बाद में आए, हम उपचार शुरू कर दे रहे हैं. मरीजों को वाहन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि अगर मरीज की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव है और उसमें कोरोना के लक्षण हैं, तो उनकी जांच के लिए डिजिटल एक्सरे करें.

आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा: योगी

सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में रोजाना औसतन 2.50 लाख लोगों की टेस्टिंग हो रही है. अब तक 4.5 करोड़ टेस्ट हो चुके हैं. प्रदेश में कोरोना की प्रथम लहर में हमने टीम 11 बनाकर प्रभावी नियंत्रण किया था, दूसरी लहर में टीम-9 बनाकर सबकी जवाबदेही तय की गई है. यही वजह है कि आज बीते 24 घंटे में पाजीटिव केस तकरीबन 10 हजार ही आए हैं.

पहले संक्रमण का रेट 22 फीसद था, जो घटकर पांच फीसद हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 1.50 करोड़ लोगों को हम वैक्सीन दे चुके हैं और आगे भी युद्धस्तर पर वैक्सिनेशन होगा. 45 साल से ऊपर के लोगों को भारत सरकार वैक्सिन उपलब्ध करा रही है. गौतमबुद्धनगर समेत 23 ऐसे जिले हैं, जहां 18 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों को भी वैक्सिन दिया जा रहा है, जहां संक्रमण दर अन्य जिलों से ज्यादा है. इसके बाद हमारी तैयारी गांवों की है.

हमने निर्देश दिया है कि गांवों में कामन सर्विस एरिया में वैक्सिनेशन का बंदोबस्त किया जाए, ताकि वहीं उनका पंजीकरण कर उनका वैक्सिनेशन किया जा सके. उन्हें दूर न जाना पड़े. इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि भीड़ न बढ़ने पाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं स्वयं सात मई से फील्ड में हूं और मैंने वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ और गोरखपुर के गांवों में जाकर व्यवस्था का निरीणण किया है . आगे भी यह कार्यक्रम जारी रहेगा.

इंसेफेलाइटिस के अनुभवों से लाभ लेते हुए दिए निर्देश

एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कोरोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबले की भी व्यापक तैयारी कर रहे हैं. प्रदेश में कई दशकों से इंसेफेलाइटिस का कहर था, हमारी सरकार ने इस पर 98 फीसद तक नियंतत्रण पा लिया है. उससे लड़ते समय हमने व्यापक कार्य योजना बनाई थी. हमारी कार्य योजना का नतीजा ही है कि पहले जहां इंसेफेलाइटिस से 1200 से 1500 बच्चों की मौत होती थी, वहीं विगत वर्ष 63 मौतें हुईं.

इसी कार्य योजना के अनुभवों का लाभ लेते हुए हमने कोरोना की तीसरी लहर से खासकर बच्चों और महिलाओं को बचाने के लिए निर्देश दिए हैं. उनके लिए डेडिकेटेड अस्पताल और आईसीयू बनाए जाने के निर्देश दे दिए गए हैं. समन्वय समिति बनाई है, जो ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों में मिलकर काम करती है.

नोएडा में ना हो ऑक्सीजन की कमी

सीएम योगी ने कहा कि पोस्ट कोविड में ब्लैक फंगस की समस्या आई है, हमने एडवाइजरी जारी की है. इसे रोकने के लिए कार्य योजना बनाई गई है. सीएमओ, मेडिकल कालेज और जिला अस्पतालों को एडवाइजरी भेजी है. ब्लैक फंगस को लेकर ट्रेनिंग भी दी जा रही है. उन्होंने नोएडा का जिक्र करते हुए कहा कि 27 अप्रैल को जहां 10 हजार से अधिक केस थे, वहीं आज 400 से भी कम हैं.

पूरे प्रदेश में एक्टिव मामलों की संख्या बीते 24 घंटे में घटकर 1.63 लाख रह गई है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि नोएडा दिल्ली से सटा हुआ है. वहां से आवागमन होता है. ऐसे में प्रशासन से कहा गया है कि मरीजों को आक्सीजन की कमी न होने पाए.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी सराहा ‘यूपी मॉडल’

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से लोगों तथा बच्चों को बचाने और कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश की सरकार ने जो मॉडल अपनाया है उसका अब बॉम्बे हाईकोर्ट भी कायल हो गया हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और देश का नीति आयोग कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की तारीफ कर चुका है. आयोग ने यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए नज़ीर बताया है. वही बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूपी मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए वहां की सरकार से यह पूछा है कि महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती?

यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये सूबे के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है. यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिये वरदान बता रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को बीमारी से बचाने को लेकर हमेशा ही बेहद गंभीर रहे हैं. इंसेफेलाइटिस जैसी जानलेवा बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए उन्होंने इस बीमारी के खात्मे को लेकर जो अभियान चलाया उससे समूचा पूर्वांचल वाकिफ हैं.

इसी क्रम में जब मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए ट्रिपल टी यानि ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति तैयार करा रहे थे, तब ही उन्होंने कोरोना संक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों को अलग से एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया. जिसके तहत ही चिकित्सा विशेषज्ञों ने उन्हें बताया कि कोरोना संक्रमण से बच्चों बचाने और उनका इलाज करने के लिए हर जिले में आईसीयू की तर्ज पर सभी संसाधनों से युक्त पीडियाट्रिक बेड की व्यवस्था अस्पताल में की जाए. चिकित्सा विशेषज्ञों की इस सलाह पर मुख्यमंत्री ने सूबे के सभी बड़े शहरों में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने के निर्देश दिये हैं. यह बेड विशेषकर एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए होंगे. इनका साइज छोटा होगा और साइडों में रेलिंग लगी होगी. गंभीर संक्रमित बच्चों को इसी पर इलाज और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.

सूबे में बच्चों के इलाज में कोई कमी न आए इसके लिए सभी जिलों को अलर्ट मोड पर रहने के लिये कहा गया है. इसके तहत ही मुख्यमंत्री अधिकारियों को बच्चों के इन अस्पतालों के लिए मैन पावर बढ़ाने के भी आदेश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि जरूरत पड़े तो इसके लिए एक्स सर्विसमैन, रिटायर लोगों की सेवाएं ली जाएं. मेडिकल की शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को ट्रेनिंग देकर उनसे फोन की सेवाएं ले सकते हैं. लखनऊ में डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तत्काल सभी बड़े शहरों में 50 से 100 पीडियाट्रिक बेड बनाने के निर्णय को बच्चों के इलाज में कारगर बताया है. उन्होंने बताया कि एक महीने से ऊपर के बच्चों के लिए पीआईसीयू (पेडरिएटिक इनटेन्सिव केयर यूनिट), एक महीने के नीचे के बच्चों के उपचार के लिये एनआईसीयू (नियोनेटल इनटेन्सिव केयर यूनिट) और महिला अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिये एसएनसीयू (ए सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) बेड होते हैं. जिनमें बच्चों को तत्काल इलाज देने की सभी सुविधाएं होती हैं.

बच्चों के इलाज को लेकर यूपी के इस मॉडल का खबर अखबारों में छपी. जिसका बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने संज्ञान लिया. और बीते दिनों  इन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा कि यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा होने की आशंका के चलते एक अस्पताल सिर्फ बच्चों के लिए आरक्षित रखा गया है. महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती. महाराष्ट्र में दस साल की उम्र के दस हजार बच्चे कोरोना का शिकार हुए हैं. जिसे लेकर हो रही सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह महाराष्ट्र सरकार से यह सवाल पूछा हैं.

जाहिर है कि हर अच्छे कार्य की सराहना होती हैं और कोरोना से बच्चों को बचाने तथा उनके इलाज करने की जो व्यवस्था यूपी सरकार कर रही है, उसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने उचित माना और उसका जिक्र किया. ठीक इसी तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और नीति आयोग ने भी कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के ‘यूपी मॉडल’ की जमकर तारीफ की है. इस दोनों की संस्थाओं ने कोरोना मरीजों का पता लगाने और संक्रमण का फैलाव रोकने के किए उन्हें होम आइसोलेट करने को लेकर चलाए गए ट्रिपल टी (ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट) के महाअभियान और यूपी के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम की खुल कर सराहना की. नीति आयोग ने तो यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बताया है. यह पहला मौका है जब डब्लूएचओ और नीति आयोग ने कोविड प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में तैयार कराए गए यूपी मॉडल की सराहना की है. और उसके बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट बच्चों का इलाज करने को लेकर यूपी मॉडल’  का कायल हुआ है.

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