किशोरों की सुबह मोबाइल अलार्म से शुरू हो कर आईपैड व वीडियो गेम्स, कंप्यूटर और वीडियो चैट, मूवी, लैपटौप आदि के इर्दगिर्द गुजरती है. दिनभर वे फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर बिजी रहते हैं. इन्हें नएनए गैजेट्स अपने जीवन में सब से अहम लगते हैं. इन की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन अगर इन का उपयोग जरूरत से ज्यादा होने लगे तो यह एक संकेत है कि आप अपनी सेहत के साथ खुद ही खिलवाड़ कर रहे हैं.

कैलाश हौस्पिटल, नोएडा के डाक्टर संदीप सहाय का कहना है कि देर रात तक स्मार्टफोन, टैब या लैपटौप का इस्तेमाल करने से नींद पर असर पड़ सकता है. इस से न सिर्फ गहरी नींद में खलल पड़ेगा बल्कि अगली सुबह थकावट का एहसास भी होगा. यदि हम एकदो रात अच्छी तरह से न सोएं तो थकावट का एहसास होने लगता है और चुस्ती कम हो जाती है. यह बात सही है कि इस से हमें शारीरिक या मानसिक तौर पर कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन यदि कईर् रातों तक नींद उड़ी रहे तो न सिर्फ शरीर पर थकान हावी रहेगी बल्कि एकाग्रता और सोचने की क्षमता पर भी असर पड़ेगा. लंबे समय में इस से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं.

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गरदन में दर्द : लैपटौप में स्क्रीन और कीबोर्ड काफी नजदीक होते हैं. इस कारण इस पर काम करने वाले को झुकना पड़ता है. इसे गोद में रख कर इस्तेमाल करने पर गरदन को झुकाने की आवश्यकता पड़ती है. इस से गरदन में खिंचाव पैदा होता है, जिस से दर्द होता है. कभी कभी तो डिस्क भी अपनी जगह से खिसक जाती है. लैपटौप पर ज्यादा समय तक काम करने से शरीर का पौश्चर बिगड़ जाता है. लैपटौप में कीबोर्ड कम जगह में बनाया जाता है. इसलिए इस में उंगलियों को अलग स्थितियों में काम करना पड़ता है. इस से उंगलियों में दर्द होता है. चमकती स्क्रीन देखने पर आंखों में चुभन हो सकती है. आंखें लाल होना, उन में खुजली होना और धुंधला दिखाई देना सामान्य समस्याएं हैं.

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