मायोपिया में आईबौल का आकार बढ़ जाता है जिस से रेटिना पर सामान्य फोकस पहुंचने में दिक्कत होती है जिसे चश्मे या लेंस के द्वारा ठीक किया जा सकता है.

आई बौल का आकार बढ़ने से फोकस सामान्य से थोड़ा पीछे शिफ्ट हो जाता है जिस से धुंधला दिखाई देने लगता है. आईबौल का आकार हम बदल नहीं सकते इसलिए लेज़र से कार्निया के उतकों को रिशेप कर के उस के कर्व को थोड़ा कम कर फोकस को शिफ्ट कर देते हैं.

लेसिक लेजर

आंखों की समस्याओं के लिए लेसिक लेजर एक उच्चतम और सफल तकनीक है. इस का पूरा नाम लेजर असिस्टेड इनसीटू केरेटोमिलीएसिस है जो मायोपिया के इलाज की एक बेहतरीन तकनीक है. इस तकनीक का प्रयोग दृष्ट‍ि दोषों को दूर करने के लिए किया जाता है. यह उन लोगों के लिए बेहद प्रभावी है जो चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस लगाते हैं.

लेसिक लेज़र सर्जरी में फैक्टो लेज़र मशीन के द्वारा कार्निया की सब से उपरी परत जिसे फ्लैप कहते हैं को हटा दिया जाता है. अब इस के नीचे स्थित उतकों पर लेज़र चला कर उन के आकार को बदला जाता है ताकि वो रेटिना पर ठीक तरह से लाइट को फोकस कर सके. उतकों को ठीक करने के पश्चात कार्निया के फ्लैप को वापस उस के स्थान पर रख दिया जाता है और सर्जरी पूरी हो जाती है.

लेसिक लेज़र को विश्व की सब से आसान सर्जरी माना जाता है. केवल कुछ सेकंड्स तक एक लाइट को देखना होता है और ऑपरेशन के तुरंत बाद दिखाई देने लगता है. -1 से -8 नंबर तक के लिए यह बहुत उपयोगी है लेकिन उस से अधिक के लिए यह तकनीक इस्तेमाल नहीं की जाती है. +5 नंबर तक भी इस के अच्छे परिणाम मिल जाते हैं . इसे रिस्क फ्री सर्जरी माना जाता हैं.

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