नशे की लत भारत में भी महामारी बनती जा रही है. पंजाब तो इस का बुरी तरह शिकार है. पंजाब में 4 दशकों पहले जब बिहारी मजदूर आने लगे थे तो उन्हें काम पर लगाए रखने के लिए किसानों ने उन्हें नशा कराना शुरू किया था ताकि उन्हें दर्द महसूस न हो और वे 12-14 घंटे काम कर सकें. पंजाब में अफगानिस्तान से आने वाली अफीम आसानी से मिलती थी. इसीलिए मजदूरों के लिए ड्रग जमा करना कोई मुश्किल काम न था.

अब यह आदत मजदूरों से किसानों के बच्चों में घुस गई है. पूरा पंजाब ड्रग की मंडी बन गया है. हर दूसरा घर नशेड़ी का है. नशे के चलते सब नष्ट हो रहा है. नशे से ज्यादा पैसा उगाहने के लिए अब पंजाब से उस की तस्करी दूसरे राज्यों में की जा रही है और दिल्ली नशे का बड़ा केंद्र बन रहा है. यहां विदेशी भी आ कर धंधा कर रहे हैं.

दिल्ली में हर दूसरे रोज एक जघन्य अपराध होता है जिस में मर्डर तक होता है केवल इसलिए कि अपराधियों को नशे की आदत थी. जेलें नशेडि़यों से भरने लगी हैं और अमेरिका जैसा हाल होने लगा है जहां कोकीन और हेरोइन घरघर में मिलने लगी है और दक्षिण अमेरिका का ड्रग माफिया कितने ही इलाकों में पैर फैलाए हुए है.

ड्रग्स का चलन अभी तक या तो बहुत गरीबों में है या फिर बहुत अमीर घरों के बिगड़ैलों में. लेकिन इस को फैलते देर न लगेगी. जिन्हें सिगरेट और शराब पीने का चस्का लगा हुआ है उन में ड्रग्स लेने की आदत डलवाना आसान है. फिल्मों और पार्टियों से शराब का जिस तरह प्रचार हो रहा है वह चौंकाने वाला है. आजकल छोटे बच्चों की बर्थडे पार्टियों में भी जाम छलकने लगे हैं. ये बच्चे लिमिट जानते ही नहीं हैं लिमिट का पता हो, तो भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.

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