राफेल हवाई जहाजों की बढ़ी कीमतों के बारे में एक बहाना जो मोदी सरकार दे रही है कि वे पूरी तरह सुसज्जित हैं. भाजपा समर्थक वैबसाइटों और ग्रुपों पर फोटो प्रचारित किए जा रहे हैं कि पहले जो राफेल खरीदे जा रहे थे वेबस चेसिस की तरह के थे और अब जो आएंगे वे लक्जरी टूरिस्ट बस की तरह के हैं. अगर यह तथ्य सच है तो सरकार बनाने में क्यों हिचक रही है कि क्या बदलाव लाए गए हैं और क्या खर्चा हुआ है.

रक्षा मामलों को गुप्त रखा जाना चाहिए पर इस का मतलब यह तो नहीं कि रक्षा खरीद और सैनिक मामलों में कुछ लोग मनमानी कर सकें. सेना की कौन सी ऐसी बात है जो दूसरे देश की सेना को नहीं मालूम होती. हर देश भारी पैसा और लोहो लगाता है कि दुश्मन की हर जानकारी मिलती रहे. आम जनता से छिपा कर रखने से तो लाभ तब हो जब वही एकमात्र जानकारी स्रोत हो.

भारत ये जहाज खुद नहीं बना रहा. फ्रांस की कंपनी डोसा बना रही है. वह यह जहाज किसी को भी बेच सकती है. पाकिसतान, चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश और यहां तक कि चाहे तो भूटान भी इन्हें खरीद सकता है. ये सब देश जब खरीदने जाएंगे तो कंपनी निश्चित रूप से अपनी नई से नई तकनीक बनाएगी और कहेगी कि भारत ने भी इसे खरीदा है और यदि भारत की तकनीक की मार या ..... उन के पास होगी तो वे क्यों न बेचेंगी.

ऐसे मामले में हमारी सुरक्षा धरी की धरी नहीं रह जाएगी क्या, फ्रांस और इंजिप्स ने राफेल हवाई जहाज खरीद ही रखे हैं. इंजिप्स से उन की जानकारी दूसरे मुसलिम  देश पाकिस्तान को न देगा इस की गारंटी क्या है?

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