कर्नाटक में बहुमत न पा कर भी सत्ता में आ जाने की प्रबल चाह भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई शर्म या नैतिक मूल्य के घटने का मामला नहीं है. हिंदू पौराणिक सोच के अनुसार यह अपनेआप में सही है और हमारे पुराण इस तरह की घटनाओं से भरे पड़े हैं. इन्हीं पुराणों का गुणगान आज भी प्रवचनकर्ता बड़े गर्व से करते हैं.

भाजपा वैसे बड़ेबड़े सपने दिखा रही है पर वह देश को भ्रष्टाचारमुक्त और गरीबीमुक्त कर पाए या न कर पाए, कांग्रेसमुक्त बनाने में एड़ीचोटी का जोर लगा रही है. कर्नाटक में 130 से 150 सीटें हासिल करने की उम्मीद लगाए भाजपा 104 सीटों पर सिमट गई तो कितने ही चैनलों के एंकरों के मुंह जिस तरह लटके रह गए थे उस से साफ है कि भारतीय जनता पार्टी की सोच किस तरह हमारे देश के अमीर, समृद्ध और उच्चवर्ग में गहरे तक बैठी है कि उस की हजार गलतियों को अनदेखा किया जा रहा है.

कांग्रेस में कोई सुरखाब के पर नहीं लगे हैं लेकिन वह देश को जाति व धर्म के नाम पर भाजपा की तरह विभाजित नहीं कर रही. गैरभाजपा पार्टियों को जाति का सवाल भाजपा के हमले से बचाव में उठाना पड़ रहा है. देश के मतदाताओं में बहुमत पिछड़ी व निचली जातियों के मतदाताओं का ही है, इसलिए सभी पार्टियां उन पर डोरे डाल रही हैं. भारतीय जनता पार्टी सब से बड़ी व सक्षम पार्टी होते हुए भी पूरी तरह छा नहीं पा रही. उस की पिछड़ी व निचली जातियों को जोड़ने की कला अब कमजोर हो रही है, क्योंकि पिछड़ी व निचली जातियां अपने साथ हो रहे भेदभाव पर नाराजगी जताने लगी हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...