अरविंद केजरीवाल का लोकपाल सत्याग्रह और भ्रष्टाचार पर कांग्रेस सरकार के खिलाफ युद्ध अब केजरीवाल को खुद निगलने लगा है. 2014 के बाद बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार का शासन करने का तरीका कांग्रेसी सरकारों से अलग है. केजरीवाल या तो उसे समझ नहीं पाए या उन मोरचों को खोलने की हिम्मत नहीं है उन में. कांग्रेस की तरह भाजपा भी भयंकर रूप से सरकारी अधिकारों का दुरुपयोग कर रही है पर हिंदू धर्म के मोटे, मजबूत और धारदार परदे के पीछे से.

अगर जनता की मेहनत के पैसे को लूटना भ्रष्टाचार है तो भाजपा की सरकार जनता का पैसा धार्मिक आडंबरों पर खर्च कर रही है. पर न कांग्रेस की, न अरविंद केजरीवाल की हिम्मत है कि उस की पोलपट्टी खोल सकें.

गंगा नमामि, नर्मदा फैस्टिवल, शिवाजी स्मारक, पटेल स्मारक, अमृतसर का सौंदर्यीकरण, सरकारी या जनता के पैसों पर गौरक्षकों की फौज खड़ी करना, सामाजिक कल्याण व संस्कृति संबंधित विभागों, मंत्रालयों में भगवाइयों को भरना एक तरह का भ्रष्टाचार ही है जो जनता को कोल स्कैम या कौमनवैल्थ स्कैम से ज्यादा महंगा पड़ रहा है.

पर अरविंद केजरीवाल या राहुल गांधी इस पर चुप रहने को विवश हैं क्योंकि वे धर्म की आलोचना करने का साहस नहीं रखते. अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने पंजाब में अच्छेखासे वोट हासिल किए और दिल्ली नगर निगम चुनावों में भी वोटों की गिनती में वे भारतीय जनता पार्टी से सिर्फ 11 प्रतिशत ही कम हैं पर वे आर्थिक भ्रष्टाचार की पोलपट्टी खोलतेखोलते इतनी संकरी गली में चलने के आदी हो चुके हैं कि पूरे मैदान का धार्मिक भ्रष्टाचार उन्हें दिख ही नहीं रहा.

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