एक दौर था जब भोजपुरी फिल्मों में कौमेडियन की पहचान घुटनों तक कच्छे, लंबे नाड़े और चार्ली चैपलिन टाइप मूंछों से की जाती थी. इस इमेज में भोजपुरी की कौमेडी लंबे समय तक बंधी रही और भोजपुरी फिल्मों में बौलीवुड की तरह अच्छे कौमेडियन की कमी लगातार बनी रही.

लेकिन आज के दौर में भोजपुरी इंडस्ट्री में बहुत बेहतरीन कौमेडियन कलाकार हैं जिन की ऐक्टिंग की बदौलत भोजपुरी सिनेमा में भी अच्छी कौमेडी फिल्मों को बनाने का रास्ता खुला है.

भोजपुरी सिनेमा के ऐसे ही एक कलाकार हैं मनोज सिंह टाइगर उर्फ बतासा चाचा, जो भोजपुरी के लिए मील का पत्थर साबित हुए हैं. उन का नाम भोजपुरी बैल्ट का बच्चाबच्चा जानता है. उन्होंने कौमेडी को अलग पहचान दी है.

मनोज सिंह टाइगर उर्फ बतासा चाचा ने भोजपुरी की 150 से ज्यादा फिल्में की हैं. उन्हें ऐक्टिंग के लिए 50 से ज्यादा अवार्ड मिल चुके हैं और उन्होंने 50 से ज्यादा सुपरहिट फिल्में दी हैं.

फिल्म ‘दिलबर’ की शूटिंग के दौरान हुई मुलाकात में मनोज सिंह टाइगर उर्फ बतासा चाचा के कई अनछुए पहलुओं पर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश:

आप का ऐक्टिंग की तरफ रुझान कैसे हुआ?

मैं उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से हूं. मेरा ऐक्टिंग की तरफ रुझान गांव की रामलीला से शुरू हुआ तो घर के लोग नाराज रहने लगे, इसलिए अपनी ऐक्टिंग की इच्छा को पूरा करने के लिए मैं साल 1997 में फिल्मों में काम की तलाश में मुंबई चला गया. वहां मुझे पृथ्वी थिएटर में काम करने का मौका मिला. वहीं मैं ने एक नाट्य मंडली बनाई और कई नाटक किए.

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